अकृतज्ञ मनुष्य
वर्षो पहले किसी गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था| वह नौकरी की खोज में था| पर कोशिश करने पर भी उसे कोई ढंग का काम नहीं मिला पाया|
वर्षो पहले किसी गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था| वह नौकरी की खोज में था| पर कोशिश करने पर भी उसे कोई ढंग का काम नहीं मिला पाया|
परशुराम रामायण काल के दौरान के मुनी थे। पूर्वकाल में कन्नौज नामक नगर में गाधि नामक राजा राज्य करते थे। उनकी सत्यवती नाम की एक अत्यन्त रूपवती कन्या थी। राजा गाधि ने सत्यवती का विवाह भृगुनन्दन ऋषीक के साथ कर दिया। सत्यवती के विवाह के पश्चात् वहाँ भृगु जी ने आकर अपने पुत्रवधू को आशीर्वाद दिया और उससे वर माँगने के लिये कहा।
प्राचीन समय की बात है| नदी की एक सूखी तलहटी थी| कंकड़-पत्थरों में हीरा-मणिक खोजने वाला खोजी थकान से चूर-चूर हो गया था| अत्यंत परेशान होकर वह अपने साथियों से बोला- “अपनी इस खोज में मैं पूरी तरह से निराश हो चुका हूँ| मैंने कई दिनों की लगातार मेहनत से निन्यानवें हजार नौ सौ निन्यानवें पत्थर इकट्ठा कर लिये होंगे, परंतु मुझे अपने ढेर में हीरे-मणिक एक कण भी नहीं मिला|”
बहुत दिनों की बात है| किसी गांव में एक किसान रहता था| उसका घर गांव के छोर पर था| वह अपनी पत्नी और बच्चे के साथ रहता था| किसान और उसकी पत्नी बच्चे को बहुत चाहते थे| एक दिन शाम को किसान लौटकर घर आया तो अपने साथ नेवले का बच्चा लेकर आया| पत्नी के पूछने पर उसने कहा, “मैं इसे बच्चे के खेलने-दुलारने के लिए लाया हूं|”
सूर्य के वर से सुवर्ण के बने हुए सुमेरु में केसरी का राज्य था। उसकी अति सुंदरी अंजना नामक स्त्री थी। एक बार अंजना ने शुचिस्नान करके सुंदर वस्त्राभूषण धारण किए। उस समय पवनदेव ने उसके कर्णरन्ध्र में प्रवेश कर आते समय आश्वासन दिया कि तेरे यहाँ सूर्य, अग्नि एवं सुवर्ण के समान तेजस्वी, वेद-वेदांगों का मर्मज्ञ, विश्वन्द्य महाबली पुत्र होगा। और ऐसा ही हुआ भी।
एक बार की बात है| स्वामी रामतीर्थ संयुक्त राज्य अमेरिका गये| बंदरगाह निकट आ रहा था| हर एक व्यक्ति अपना सामान एकत्रित करने लगा| लेकिन स्वामी रामतीर्थ उसी प्रकार बैठे रहे| जबकि दूसरे व्यक्ति अपना सामान इकट्ठा कर रहे थे, और इधर से उधर भाग रहे थे|
बहुत समय पहले गंगा नदी के तट पर एक आश्रम में अनेक ऋषि-मुनि रहते थे| उनके गुरु बड़े ही विद्वान और सिद्ध पुरुष थे| वे अपनी शक्ति से तरह-तरह के आश्चर्यजनक चमत्कार कर सकते थे|
एक बार राजा पाण्डु अपनी दोनों पत्नियों – कुन्ती तथा माद्री – के साथ आखेट के लिये वन में गये। वहाँ उन्हें एक मृग का मैथुनरत जोड़ा दृष्टिगत हुआ। पाण्डु ने तत्काल अपने बाण से उस मृग को घायल कर दिया। मरते हुये मृग ने पाण्डु को शाप दिया, “राजन! तुम्हारे समान क्रूर पुरुष इस संसार में कोई भी नहीं होगा। तूने मुझे मैथुन के समय बाण मारा है अतः जब कभी भी तू मैथुनरत होगा तेरी मृत्यु हो जायेगी।”
एक बार की बात है एक जिज्ञासु साधक सच्चे आनंद की तलाश में एक महात्मा के पास गया| महात्मा जी से उसने बहुत आग्रह से प्रार्थना की कि वह सच्चे आनंद पर प्रकाश डालें|
बहुत समय की बात है, एक घने जंगल में शेर और शेरनी का एक जोड़ा रहता था| कुछ दिनों बाद शेरनी को दो बच्चे हुए| बच्चों को पाकर दोनों बहुत खुश हुए|