तूने रात गँवायी सोय के, दिवस गँवाया खाय के।
तूने रात गँवायी सोय के, दिवस गँवाया खाय के।
हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय॥
तूने रात गँवायी सोय के, दिवस गँवाया खाय के।
हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय॥
नैया पड़ी मंझधार्
नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार्॥