पायो जी म्हे तो राम रतन धन पायो
पायो जी म्हे तो राम रतन धन पायो॥ टेक॥
नटवर नागर नन्दा भजो रे मन गोविन्दा
श्याम सुन्दर मुख चन्दा भजो रे मन गोविन्दा।
अब तो निभायां सरेगी बांह गहे की लाज।
समरथ शरण तुम्हारी सैयां सरब सुधारण काज॥
मन तड़पत हरि दरसन को आज
मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज
आ, विनती करत, हूँ, रखियो लाज, मन तड़पत…
हरी नाम का प्याला हरे कृष्ण की हाला
ऐसी हाला पी पी करके, चला चले मतवाला