HomePosts Tagged "श्री गुरु हरिगोबिन्द जी" (Page 2)

एक दिन जहाँगीर ने गुरु जी के हाथ में कपूरों और मोतियों की एक माला देखकर कहा कि इसमें से एक मनका मुझे बक्शो| मैं इसे अपनी माला का मेरु बनाकर आपकी निशानी के तौर पर रखूँगा| गुरु जी ने जहाँगीर की पूरी बात सुनी और कहने लगे पातशाह! इससे भी सुन्दर और कीमती 1080 मनको की माला जो हमारे पिताजी के पास थी वह चंदू के पास है|