HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 88)

एक कुसुमित डाल ने अपने पड़ोस की टहनी से कहा- आज का दिन तो बिल्कुल नीरस लग रहा है। क्या तुम्हें भी ऐसा ही महसूस हो रहा है? उस टहनी ने उत्तर दिया- नि:संदेह यही बात मुझे भी लग रही है। उसी समय उस टहनी पर एक चिरौटा आ बैठा और उसके निकट ही एक दूसरा चिरौटा भी आ गया।

सात वर्ष बीत गए| एक दिन राजा शांतनु नदी के तट पर घुमने निकले| उन्होंने देखा एक सुन्दर बालक छोटे से धनुष से नदी में तीर चला रहा है| शांतनु सोचने लगे, “यह बालक जल से इस भांति खेल रहा है जैसे छोटे बच्चे अपनी माता के साथ खेलते हैं|” वे बालक को स्नेह से देख रहे थे, तभी गंगा उनके सामने प्रकट हुईं|

प्राचीन काल की बात है, राजा भरत शालग्राम क्षेत्र में रहकर भगवान् वासुदेव की पूजा आदि करते हुए तपस्या कर रहे थे| उनकी एक मृग के प्रति आसक्ति हो गई थी, इसलिए अंतकाल में उसी का स्मरण करते हुए प्राण त्यागने के कारण उन्हें मृग होना पड़ा| मृगयोनि में भी वे ‘जातिस्मर’ हुए- उन्हें पूर्वजन्म की बातों का स्मरण रहा|

एक भिखारी भीख मांगने निकला। उसका सोचना था कि जो कुछ भी मिल जाए, उस पर अधिकार कर लेना चाहिए। एक दिन वह राजपथ पर बढ़ा जा रहा था। एक घर से उसे कुछ अनाज मिला। वह आगे बढ़ा और मुख्य मार्ग पर आ गया। अचानक उसने देखा कि नगर का राजा रथ पर सवार होकर उस ओर आ रहा है। वह सवारी देखने के लिए खड़ा हो गया, लेकिन यह क्या? राजा की सवारी उसके पास आकर रुक गई।

बहुत पुरानी बात है| शांतनु नाम के एक राजा हस्तिनापुर में राज्य करते थे| उन्हें शिकार खेलना अति प्रिय था| एक दिन राजा शांतनु ने नदी के तट पर एक बहुत सुन्दर स्त्री को देखा| वह कोई साधरण नारी नहीं बल्कि देवी गंगा थी| परन्तु राजा शांतनु इस बात से अनभिज्ञ थे|

प्रथम चरित्र

दूसरे मनु के राज्याधिकार में ‘सुरथ’ नामक चैत्रवंशोदभव राजा क्षिति मंडल का अधिपति हुआ| शत्रुओं तथा दुष्ट मंत्रियों के कारण उसका राज्य, कोषादी उसके हाथ से निकल गया|

जापान में एक बहुत बड़े आदमी हुए हैं| उनका नाम था कागावा| लोग उन्हें ‘जापान का गांधी’ कहा करते थे| वास्तव में वे थे भी गांधीजी की ही तरह| वह शिकावा की मामूली-सी बस्ती में बड़ी सादगी से रहते थे और सबको प्यार करते थे|

एक समय की बात है। एक शहर में एक धनी आदमी रहता था। उसकी लंबी-चौड़ी खेती-बाड़ी थी और वह कई तरह के व्यापार करता था। बड़े विशाल क्षेत्र में उसके बगीचे फैले हुए थे, जहां पर भांति-भांति के फल लगते थे।

प्राचीन काल की बात है| व्यास नाम के एक वृद्ध पुरुष भारत भूमि पर रहते थे| व्यास बहुत ही बुद्धिमान और विद्वान थे| वे सदा चिंतन-मनन में लगे रहते थे| ऋषिवर व्यास भिन्न-भिन्न विषयों पर गहराई से सोच-विचार किया करते थे|