भाग्य की शक्ति
एक राजा के घर में तीन स्तनों वाली कन्या पैदा हुई तो राजा ने उसे मुसीबत समझकर अपने नौकरों से कहा कि इसे जंगल में फेंक आओ|
एक राजा के घर में तीन स्तनों वाली कन्या पैदा हुई तो राजा ने उसे मुसीबत समझकर अपने नौकरों से कहा कि इसे जंगल में फेंक आओ|
अहमद शाह अब्दाली से महादजी सिंधिया का युद्ध चल रहा था। दोनों ओर के सैनिक वीरतापूर्वक लड़ रहे थे। लड़ते-लड़ते एक अवसर ऐसा आया कि सिंधिया बुरी तरह से घायल हो गए। उनके शरीर के प्रत्येक अंग से रक्त बह रहा था और वे लगभग अचेत अवस्था में आ गए। ऐसी स्थिति में राणो नामक भिश्ती उन्हें अपने बैल पर लादकर युद्ध मैदान से दूर एक जंगल में ले गया।
दो हिस्सों में बँटा हुआ एक जंगल था| दोनों भागों में दो सुनहरे हिरण रहते थे| एक का नाम था- वट हिरण और दूसरे का- शाखा हिरण| दोनों का अपना-अपना दल था|
चार साधु थे| वे शहर के पास एक जंगल में रहते थे और भगवान् का भजन-स्मरण करते थे| उन चारों साधुओं की अपनी अलग-अलग एक निष्ठा थी|
कश्मीर के राजा रामनाथ की लड़की के महल में एक राक्षस रोजाना ही आकर उसे तंग किया करता था| लड़की उस राक्षस से बहुत दु:खी थी किन्तु उस राक्षस से पीछा छुड़ाने का कोई रास्ता उसकी समझ में नहीं आ रहा था|
एक अमीर आदमी विभिन्न मंदिरों में जनकल्याणकारी कार्यो के लिए धन देता था। विभिन्न उत्सवों व त्योहारों पर भी वह दिल खोलकर खर्च करता। शहर के लगभग सभी मंदिर उसके दिए दान से उपकृत थे। इसीलिए लोग उसे काफी इज्जत देते थे।
बात काफ़ी पुरानी है…गणेशपुर नरेश ब्रहमदत का राजपंडित एक बार वन में एकांत स्थान पर कोई गुप्त मंत्र जप रहा था| तभी वहीं पास लेटे एक सियार के कान खड़े हो गए, वह भी ध्यान से सुनने लगा| कुछ देर बाद राजपंडित खड़ा हुआ और बोला, ‘बस, मुझे मंत्र सिद्ध हो गया|
एक बड़े विरक्त, त्यागी सन्त थे| एक व्यक्ति उनका शिष्य हो गया| वह बहुत पढ़ा-लिखा था| उसने व्याख्यान देना शुरू कर दिया| बहुत लोग उसके पास आने लगे|
एक जंगल में गीदड़ रहता था| उसे एक बार कही से मरा हुआ| हाथी नजर आ गया| वह उसके चारों ओर घूमता रहा| किन्तु उसकी सख्त खाल को फाड़ न पाया, उसी समय उधर से कहीं एक घूमता हुआ शेर आ गया| उस गीदड़ ने शेर के आगे सिर झुकाकर कहा, महाराज यह आपका शिकार है| मैं कल से खड़ा इसकी रक्षा कर रहा हूं|
गंगा नदी के तट पर भगवान का एक परम भक्त नित्य पूजा-पाठ व ध्यान करता था। वह प्रात:काल आता, स्नान करता और आसन लगाकर बैठ जाता। भगवान की भक्ति में जो रमता तो घंटों बिता देता। उसकी यह विशेषता थी कि पूजा या ध्यान के समय कैसी भी विघ्न-बाधाएं आतीं, किंतु वह अपने आसन से टस से मस नहीं होता।