HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 49)

एक बार की बात है| हिंदी के सुप्रसिद्ध साहित्य के लेखक ‘श्रीराम शर्मा’ एक बार गढ़वाल-टिहरी के एक स्थान पर ठहरे हुए थे कि उनके एक शिकारी मित्र ने एक बूढ़े किसान के साथ उनके पास आकर सूचना दी कि इस बूढ़े की दो गायों को एक बाघ ने मार डाला है|

किसी वन में तमाल के वृक्ष पर घोंसला बनाकर चिड़ा और चिड़िया रहा करते थे| समय पाकर चिड़िया ने अण्डे दिए और जब एक दिन चिड़िया अण्डे से रही थी तथा चिड़ा उसके समीप ही बैठा था तो एक मदोन्मत हाथी उधर से आ निकला| धूप से व्याकुल होने के कारण वह वृक्ष की छाया में आ गया ओर उसने अपनी सूंड से उस शाखा के ही तोड़-मरोड़ दिया जिस पर उनका घोंसला था| इससे चिड़ा ओर चिड़िया तो किसी तरह उड़कर बच गए किन्तु घोंसला नीचे गिर जाने से उसमें रखे अण्डे चूर-चूर हो गए|

एक बार नारदजी एक पर्वत से गुजर रहे थे। अचानक उन्होंने देखा कि एक विशाल वटवृक्ष के नीचे एक तपस्वी तप कर रहा है। उनके दिव्य प्रभाव से वह जाग गया और उसने उन्हें प्रणाम करके पूछा कि उसे प्रभु के दर्शन कब होंगे।

बहुत समय पहले की बात है| एक गुरु अपने शिष्यों के साथ घूमने जा रहे थे| वे अपने शिष्यों से बहुत स्नेह करते थे और उन्हें सदैव प्रकृति के समीप रहने की शिक्षा दिया करते थे|

एक बाबाजी घूमते-फिरते एक शहर में पहुँचे| रात हो गयी थी| सरदी के दिन थे| शहर का दरवाजा बंद हो गा था| बाबाजी को ठण्ड लगी| गरम कपड़ा पास में था नहीं| बाबा जी ने सोने के लिये जगह देखी| एक भड़भूँजे की भट्ठी थी|

राह चलते किसी सेठ की मुलाकात एक साधू से हुई| बातों ही बातों में सेठ ने कहा, ‘महाराज, मेरे जीवन में उपभोग की सभी वस्तुएँ हैं मगर सुख नहीं है|’ साधु ने मुस्कुराकर पूछा, ‘कैसा सुख चाहते हो? क्या तुम्हें वास्तव में सुख की तलाश है?’

किसी सरोवर में अनागत विधाता, प्रत्युत्पन्नमति और यद्भविष्य नामक तीन मत्स्य रहते थे| एक दिन की बात है कि उस तालाब की ओर से कुछ मछुआरे निकले और उसमें देखकर कहने लगे|

आपने जम्मू की वैष्णो माता का नाम अवश्य सुना होगा। आज हम आपको इन्हीं की कहानी सुना रहे हैं, जो बरसों से जम्मू-कश्मीर में सुनी व सुनाई जाती है। कटरा के करीब हन्साली ग्राम में माता के परम भक्त श्रीधर रहते थे। उनके यहाँ कोई संतान न थी।

एक राजा बहुत धार्मिक प्रवृत्ति का था| धर्म के प्रचार के लिए उसने एक नियम बना रखा था| उसके महल के सामने उपवन में हर रोज शाम को धर्मसभाओं का आयोजन होता था|