अध्याय 325
1 [भीस्म]
पराप्य शवेतं महाद्वीपं नारदॊ भगवान ऋषिः
ददर्श तान एव नराञ शवेतांश चन्द्रप्रभाञ शुभान
1 [भीस्म]
पराप्य शवेतं महाद्वीपं नारदॊ भगवान ऋषिः
ददर्श तान एव नराञ शवेतांश चन्द्रप्रभाञ शुभान
1 धृतराष्ट्र उवाच
कथं शांतनवॊ भीष्मॊ दशमे ऽहनि संजय
अयुध्यत महावीर्यैः पाण्डवैः सहसृञ्जयैः
1 [वै]
स तां दृष्ट्वा विशालाक्षीं राजपुत्रीं सखीं सखा
परहसन्न अब्रवीद राजन कुत्रागमनम इत्य उत