13. अनुशासनपर्व Share 0 अध्याय 153 1 [व] ततः कुन्तीसुतॊ राजा पौरजानपदं जनम पूजयित्वा यथान्यायम अनुजज्ञे गृहान परति Continue reading POST TAGS: अनुशासनपर्वमहाभारत संस्कृत
07. द्रोणपर्व Share 0 अध्याय 61 1 [धृ] शवॊभूते किम अकार्षुस ते दुःखशॊकसमन्विताः अभिमन्यौ हते तत्र के वायुध्यन्त मामकाः Continue reading POST TAGS: द्रोणपर्वमहाभारत संस्कृत
13. अनुशासनपर्व Share 0 अध्याय 31 1 [य] शरुतं मे महद आख्यानम एतत कुरुकुलॊद्वह सुदुष्प्रापं बरवीषि तवं बराह्मण्यं वदतां वर Continue reading POST TAGS: अनुशासनपर्वमहाभारत संस्कृत
03. आरण्यकपर्व Share 0 अध्याय 270 1 [मार्क] ततः परहस्तः सहसा समभ्येत्य विभीषणम गदया ताडयाम आस विनद्य रणकर्वशः Continue reading POST TAGS: आरण्यकपर्वमहाभारत संस्कृत
01. आदिपर्व Share 0 अध्याय 176 1 [वै] एवम उक्ताः परयातास ते पाण्डवा जनमेजय राज्ञा दक्षिणपाञ्चालान दरुपदेनाभिरक्षितान Continue reading POST TAGS: आदिपर्वमहाभारत संस्कृत
05. उद्योगपर्व Share 0 अध्याय 169 1 [भीस्म] रॊचमानॊ महाराज पाण्डवानां महारथः यॊत्स्यते ऽमरवत संख्ये परसैन्येषु भारत Continue reading POST TAGS: उद्योगपर्वमहाभारत संस्कृत
07. द्रोणपर्व Share 0 अध्याय 60 1 [स] तथा संभाषतां तेषां परादुरासीद धनंजयः दुदृक्षुर भरतश्रेष्ठं राजानं ससुहृद गणम Continue reading POST TAGS: द्रोणपर्वमहाभारत संस्कृत
13. अनुशासनपर्व Share 0 अध्याय 30 1 [भ] एवम उक्तॊ मतङ्गस तु भृशं शॊकपरायणः अतिष्ठत गयां गत्वा सॊ ऽङगुष्ठेन शतं समाः Continue reading POST TAGS: अनुशासनपर्वमहाभारत संस्कृत
03. आरण्यकपर्व Share 0 अध्याय 271 1 [मार्क] ततॊ विनिर्याय पुरात कुम्भकर्णः सहानुगः अपश्यत कपिसैन्यं तज जितकाश्य अग्रतः सथितम Continue reading POST TAGS: आरण्यकपर्वमहाभारत संस्कृत
12. शांतिपर्व Share 0 अध्याय 30 1 [युधिस्ठिर] स कथं काञ्चनष्ठीवी सृञ्जयस्य सुतॊ ऽभवत पर्वतेन किमर्थं च दत्तः केन ममार च Continue reading POST TAGS: महाभारत संस्कृतशांतिपर्व