HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 55)

एक जंगल में अनेक प्रकार के जल जन्तुओं से भरा तालाब था| वहां पर रहने वाला एक बगुला बूढ़ा होने के कारण मछलियों को मारने में भी असमर्थ हो गया| वह बेचारा तालाब के किनारे बैठा रो रहा था| उसे इस प्रकार रोता देखकर एक केकड़े को बहुत दुख हुआ|

सम्राट अजातशत्रु ने सुचारु रूप से राज्य संचालन के कुछ नियम बना रखे थे, जिनका पालन सभी के लिए अनिवार्य था। उल्लंघन की दशा में दंड का प्रावधान भी था। सम्राट स्वयं भी इन नियमों का यथाविधि पालन करते थे। इससे उनके राज्य की व्यवस्था पूर्णत: सुगठित थी।

एक बनजारा था| वह बैलों पर मेट (मुल्तानी मिट्टी) लादकर दिल्ली की तरफ आ रहा था| रास्तों में कई गाँवों से गुजरते समय उसकी बहुत-सी मेट बिक गयी| बैलों की पीठ पर लदे बोर आधे तो खाली हो गये और आधे भरे रह गये|

एक गांव में देवशंकर नाम का एक पण्डित रहता था| उसके यहां एक बार पुत्र ने जन्म लिया| ठीक उसी औरत के साथ ही नेवले ने भी एक बच्चे को जन्म दिया लेकिन वह नेवली बेचारी बच्चे को जन्म देते ही मर गई|

एक बार भगवान बुद्ध राजगृह में थे। जनसमूह को नित्य प्रवचन देने के उपरांत सायंकाल बुद्ध अपने शिष्यों के साथ बैठकर विभिन्न विषयों पर वार्तालाप किया करते थे। ऐसा करने से शिष्यों का भी ज्ञानवर्धन होता था और बुद्ध को उन सभी का तुलनात्मक बौद्धिक स्तर भी ज्ञात हो जाता था।

एक समय की बात है| पंजाब के महाराणा रणजीत सिंह अपनी राजधानी लाहौर में थे कि उन्हें उनके गुप्तचरों ने खबर दी कि कबीली लुटेरों का एक दल सरहद के सूबे के पेशावर शहर में घुस गया है और उसे लूट रहा है|

महाराज रन्तिदेव मनु के वंश में उत्पन्न हुए थे, इनके पिता का नाम सुकृत था| महाराज रन्तिदेव में मानवता कूट-कूट कर भरी हुई थी| ये प्राणीमात्र में भगवान् को देखा करते थे|