इन्द्रकी पोशाक
एक सीधे-सरल स्वभाव के राजा थे| उनके पास एक आदमी आया, जो बहुत होशियार था| उसने राजा से कहा कि अन्नदाता! आप देश की पोशाक पहनते हो| परन्तु आप राजा हो, आपको तो इन्द्र की पोशाक पहननी चाहिये|
एक सीधे-सरल स्वभाव के राजा थे| उनके पास एक आदमी आया, जो बहुत होशियार था| उसने राजा से कहा कि अन्नदाता! आप देश की पोशाक पहनते हो| परन्तु आप राजा हो, आपको तो इन्द्र की पोशाक पहननी चाहिये|
एक बेचारा गधा भूखा प्यासा इधर-उधर घूमा करता था| एक दिन उसकी मित्रता एक गीदड़ के साथ हो गई| गीदड़ के साथ रहकर वह गधा खूब मौज मस्ती मारता| इस प्रकार वह दिन रात मोटा होने लगा|
एक बार भगवान विष्णु जी शेषनाग पर बेठे बेठे बोर होगये, ओर उन्होने धरती पर घुमने का विचार मन मै किया, वेसे भी कई साल बीत गये थे धरती पर आये, ओर वह अपनी यात्रा की तेयारी मे लग गये, स्वामी को तेयार होता देख कर लक्ष्मी मां ने पुछा !
एक राजा था| वह एक सन्त के पास जाया करता और उनका सत्संग किया करता था| उस राजा ने अपने लिये एक महल बनाया|
एक बुद्धिमान जौहरी था| अपने काम में वह बड़ा तेज था| दैवयोग से युवावस्था में ही वह मर गया| पीछे उसकी स्त्री तथा गोद में एक बालक रह गया| लोगों ने उनके पैसे दबा लिये| धन नष्ट हो गया| उस स्त्री के पास एक हीरा था, जो उसको जौहरी ने दिया था| वह हीरा बहुत कीमती था|
एक तालाब में दो मगरमच्छ रहते थे| एक मेंढक से उनकी दोस्ती हो गई| इस प्रकार वे तीनों तालाब में रहने लगे ओर अपना दुख-सुख कहकर मन बहलाते रहते| मेंढ़क को यह पता नहीं था कि इन दोनों मगरमच्छों में से एक मन्दबुद्धि और दूसरा अहंकारी है|
नो बेल पुरस्कार प्राप्त सर सीवी रमन भौतिक विज्ञान के प्रख्यात वैज्ञानिक थे। उन्हें अपने विभाग के लिए एक योग्य वैज्ञानिक की आवश्यकता थी। उन्होंने अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित करवाया, जिसे पढ़कर उनके पास कई आवेदन आए। सर सीवी रमन ने उनमें से कुछ का चयन किया और उन्हें साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया।
हस्तिनापुर की रानी व उसकी सखियाँ तालाब में नित्य स्नान किया करती थी| एक दासी जो प्रतिदिन उनके कपड़ों और आभूषणों की निगरानी करती थी, इस उबाऊ काम से काफ़ी परेशान थी|
एक राजा था| उसके पास एक बहुरुपिया आया| वह तरह-तरह के स्वाँग धारण किया करता था| उसमें देवी की एक ऐसी शक्ति थी कि वह जो भी स्वाँग धारण करता, उसको पूरा वैसा-का-वैसा निभाता था| उसमें वह कहीं चुकता नहीं था|