HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 33)

यह घटना कपिलवस्तु नगर की है| वहाँ के राजा का नाम था शुद्धोदन| एक समय की बात है| राजा के पुत्र सिद्धार्थ अपने चचेरे भाई देवदत के साथ बगीचे में टहल रहे थे|

एक बार की बात है| जापान में भारत के प्रसिद्ध तत्वचिंतक स्वामी रामतीर्थ रेल-यात्रा कर रहे थे| वह रेलवे स्टेशन पर उतरे, प्लेटफार्म पर चक्कर लगा आए| पर उनकी मनचाही चीज नहीं मिली|

हिमाचल प्रदेश की सुरमई वादियों में यूं तो कदम-कदम पर देवस्थल मौजूद हैं, लेकिन इनमें से कुछ एक ऐसे भी हैं जो अपने में अनूठी गाथाएँ और रहस्य समेटे हुए हैं| ऐसा ही एक मंदिर है निरमंड का परशुराम मंदिर|

एक बार शेर ने उत्सव की घोसणा की| सभी जानवर आये| कुछ जानवर झुण्ड में तथा कुछ जोडों में आये थे| आनन्द का वातावरण बन गया| उत्सव आरम्भ हुआ| गायन हुआ, नृत्य चला, फिर बन्दर को नाचने के लिए कहा गया| बन्दर आनंदमग्न था| उसने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया| जानवरों ने जमकर उसकी प्रशंसा की| शेर ने उसकी पीठ थपथपाई| बन्दर प्रसिद्ध हो गया|

यह घटना मुगलकाल की है| रहीम खानखाना एक अच्छे योद्धा, हिंदी-प्रेमी और सबसे अधिक वह एक दानी व्यक्ति थे| उनका नियम था कि वह हर दिन गरीबों या याजकों को दान देते थे| उनका दूसरा नियम था की दान देते हुए वह कभी अपनी निगाह लेने वाले पर नहीं डालते थे| वह नीचे नजर कर रूपये-पैसों के ढेर से मुट्ठी भरकर गरीबों को दान करते थे|

उज्जयिनी में राजा चंद्रसेन का राज था। वह भगवान शिव का परम भक्त था। शिवगणों में मुख्य मणिभद्र नामक गण उसका मित्र था। एक बार मणिभद्र ने राजा चंद्रसेन को एक अत्यंत तेजोमय ‘चिंतामणि’ प्रदान की। चंद्रसेन ने इसे गले में धारण किया तो उसका प्रभामंडल तो जगमगा ही उठा, साथ ही दूरस्थ देशों में उसकी यश-कीर्ति बढ़ने लगी। उस ‘मणि’ को प्राप्त करने के लिए दूसरे राजाओं ने प्रयास आरंभ कर दिए। कुछ ने प्रत्यक्षतः माँग की, कुछ ने विनती की।

एक समय की बात है, तीन बैल गहरे मित्र थे| वे एक साथ रहते, चरते और खेलते थे| उसी क्षेत्र में एक शेर भी था, जो बैलों को मारकर खा जाना चाहता था| कई बार वह आक्रमण कर चुका थ, मगर हर बार वे तीनों सिर बाहर करके त्रिकोण-सा घेरा बना लेते थे थे तथा अपने तेज और मजबूत सींगो से अपनी सुरक्षा करते थे| बैल शेर को भगा देते थे|

एक समय की बात है| महात्मा बुद्ध का एक शिष्य उनके पास गया| महात्मा के चरणों में झुककर प्रणाम कर निवेदन किया- “भगवान् मुझे देश के ऐसे अंचल में जाने की अनुमति दें जहाँ अत्यंत क्रूर और भयंकर जन-जातियाँ रहती हों|”

भगवान विष्णु द्वारा अपने भाई हिरण्याक्ष का वध करनेकी वजह से हिरण्यकशिपु विष्णु विरोधी था और अपने विष्णुभक्त पुत्र प्रह्लाद को मरवाने के लिए भी उसने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। फिर भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार धारण कर हिरण्यकशिपु का वध किया था। खंभे से नृसिंह भगवान का प्रकट होना ईश्वर की शाश्वत, सर्वव्यापी उपस्थिति का ही प्रमाण है।

पक्षी और जानवर भिन्न जाति और स्वभाव के प्राणी हैं| कुछ पक्षी कुछ जानवरों को खा जाते हैं और कुछ जानवर पक्षियों का भक्षण करते है| यह भी आश्चर्य ही है कि अधिकांश एक-सा भोजन करते हैं| इसलिए कुछ मित्र हैं और कुछ शत्रु| उनमें लड़ाई चलती रहती है, किन्तु एक बार उनमें युद्ध छिड़ गया| पक्षियों में सर्वाधिक नुकसान बत्तखों का हुआ और जानवरों में सबसे अधिक हानि खरहे और चूहों को हुई|