HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 31)

एक दिन साँवले सलोने बालश्रीकृष्ण रत्नों से जड़ित पालने पर शयन कर रहे थे। उनके मुख पर लोगों के मन को मोहने वाली मंद हास्य की छटा स्पष्ट झलक रही थी। कुटिल दृष्टि न लग जाए इसलिए उनके ललाट पर काजल का चिह्न शोभायमान हो रहा था। कमल के सदृश उनके दोनों सुंदर नेत्रों में काजल विद्यमान था।

भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रात के बारह बजे मथुरा के राजा कंस की जेल मे वासुदेव जी की पत्नि देवी देवकी के गर्भ से सोलह कलाओ से युक्त भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था ।

प्रत्येक प्राणी को मन-वचन-कर्म से निर्भय होना चाहिए| पता खड़का और बंदा सरका का जीवन-दर्शन रखने वाला प्राणी और जातियाँ जीवन-संघर्ष में यशस्वी नहीं हो सकती|

जंगल का राजा शेर, बूढ़ा और कमजोर हो गया था| अब वह पहले की तरह जानवरों का शिकार नहीं कर सकता था| कभी-कभी तो उसे दिन-दिनभर भूखा रहना पड़ता| दिनों-दिन वह अधिक कमजोर और बूढ़ा होता जा रहा था|

शामगढ़ नगर का निवासी सोमिलक जुलाहा बहुत ही कुशल शिल्पी था| वह राजाओं के पहनने योग्य अनेक सुंदर, चित्र-विचित्र और बहुमूल्य रेशमी वस्त्र बुना करता था| लेकिन फिर भी उसका हाथ तंग ही रहता|

बार की घटना है| भारत में अंग्रेजी राज्य के यशस्वी लेखक एवं राष्ट्रीय नेता श्री सुंदरलाल जी एक बार पूना गए| यह श्रीमद्भगवद्गीता की कर्मयोग की व्याख्या करने वाले भारतीय चिंतक एवं राष्ट्र नेता लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के व्यक्तिगत जीवन की एक झलक लेना चाहते थे|

रामायण के सुन्दर-काण्ड में हनुमानजी के साहस और देवाधीन कर्म का वर्णन किया गया है। हनुमानजी की भेंट रामजी से उनके वनवास के समय तब हुई जब रामजी अपने भ्राता लछ्मन के साथ अपनी पत्नी सीता की खोज कर रहे थे।