05. उद्योगपर्व Share 0 अध्याय 113 1 [न] एवम उक्तः सुपर्णेन तथ्यं वचनम उत्तमम विमृश्यावहितॊ राजा निश्चित्य च पुनः पुनः Continue reading POST TAGS: उद्योगपर्वमहाभारत संस्कृत
05. उद्योगपर्व Share 0 अध्याय 123 1 [व] ततः शांतनवॊ भीष्मॊ दुर्यॊधनम अमर्षणम केशवस्य वचः शरुत्वा परॊवाच भरतर्षभ Continue reading POST TAGS: उद्योगपर्वमहाभारत संस्कृत
05. उद्योगपर्व Share 0 अध्याय 136 1 [व] कुन्त्यास तु वचनं शरुत्वा भीष्मद्रॊणौ महारथौ दुर्यॊधनम इदं वाक्यम ऊचतुः शासनातिगम Continue reading POST TAGS: उद्योगपर्वमहाभारत संस्कृत
05. उद्योगपर्व Share 0 अध्याय 140 1 [सम्जय] कर्णस्य वचनं शरुत्वा केशवः परवीरहा उवाच परहसन वाक्यं समितपूर्वम इदं तदा Continue reading POST TAGS: उद्योगपर्वमहाभारत संस्कृत
05. उद्योगपर्व Share 0 अध्याय 146 1 [वासु] भीष्मेणॊक्ते ततॊ दरॊणॊ दुर्यॊधनम अभाषत मध्ये नृपाणां भद्रं ते वचनं वचनक्षमः Continue reading POST TAGS: उद्योगपर्वमहाभारत संस्कृत
05. उद्योगपर्व Share 0 अध्याय 178 1 भीष्म उवाच ततस तृतीये दिवसे समे देशे वयवस्थितः परेषयाम आस मे राजन पराप्तॊ ऽसमीति महाव्रतः Continue reading POST TAGS: उद्योगपर्वमहाभारत संस्कृत