सूर्य देव की स्तुति व विधि
सूर्य देव की स्तुति व विधि इस प्रकार है|
आदित्यः प्रथमं नाम|
द्वितियं तु दिवाकरः||
तृतीय भास्कर प्रोक्तं|
चतुर्थ च प्रभाकरः||
पंचमं च सहस्त्रांशुः||
पष्ठं चैव त्रिलोचनः||
सप्तमं हरिदश्चश्चः|
अष्टमं च विभावसुः||
नवमं दिनकृत् प्रोक्तं|
दशमं द्वादशात्मकः||
एकादश त्रयीमूर्तिद्वार्दशं सूर्य एवं च|
द्वादशैतानि नामानि प्रातःकाले पठेन्नरः||
दुः स्वप्ननाशनं सद्यः सर्व सिद्धि प्रजापते||
सूर्य देव की स्तुति की विधि इस प्रकार है|
जो साधक प्रातःकाल इस स्तुति का सात बार जाप करता है| उसके बुरे स्वप्न अशुभता त्याग के सर्व प्रकार की सिद्धि प्रदान करते हैं|