रोग शांति के लिए मन्त्र व विधि
रोग शांति के लिए मन्त्र व विधि इस प्रकार है|
पर्वत ऊपर पर्वत|
पर्वत ऊपर स्फटिक शिला|
स्फटिक शिला पर अंजनी|
जिन जाया हनुमन्त|
नेहला टेहला कांख की कखराई|
पीछे की आदटी|
कान की कनफेट राल की|
बद कण्ठ की कंठमाला|
घुटने का डहरू|
दाढ़ की डढ़शूल|
पेट की ताप, तिल्ली किया|
इतने को दूर करें|
भस्मंत न करें|
तो तुझे माता अंजनी का दूध|
पिया हराम|
मेरी भक्ति|
गुरु की शक्ति|
फुरो मन्त्र|
ईश्वरो वाचा|
सत्य नाम आदेश गुरु का||
रोग शांति के लिए मन्त्र की विधि इस प्रकार है|
इस मन्त्र का जाप करते हुए झाड़ा करने से कहे गए समस्त रोग दूर होते हैं|