रक्षा के लिए मन्त्र व विधि
रक्षा के लिए मन्त्र व विधि इस प्रकार है|
फरीद चले परदेश को|
कुत्तक जी के भाव|
सांपा चोरां नांहरा|
तीनों दांत बंधान||
रक्षा के लिए मन्त्र की विधि इस प्रकार है|
इस मन्त्र को ग्रहण के समय जप कर अनुकूल कर लें| फिर यात्रा के समय इस मन्त्र को पढ़कर अपने ऊपर फूँकें और ताली बजायें|