गर्भ रक्षा के लिए मन्त्र व विधि
गर्भ रक्षा के लिए मन्त्र व विधि इस प्रकार है|
द्रोण पर्वतं यथा वद्धं शीतार्थे|
राघवेण उतं तथा वंधयिष्यामि||
अमुकस्य गर्भ मापत उमा विशिर्यऊ स्वाहा|
ॐ त्तद्यथाधर धारिणी गर्भ रक्षिणी||
आकाश मात्र के हुं फट् स्वाहा||
गर्भ रक्षा के लिए मन्त्र की विधि इस प्रकार है|
लाल डोरे को इस मन्त्र से 21 बार जप कर 21 गाँठ देवें| फिर गर्भिणी की कमर में बांध देने से गर्भ क्षय नहीं होता| किन्तु 7 मास पूरे होने पर उस डोरे को खोल देना चाहिए|