दुर्गा द्वात्रिशनाम माला व कथा
दुर्गा द्वात्रिशनाम माला व कथा इस प्रकार है|
दुर्गा दुर्गार्तिशमनी दुर्गापद्विनिवारिणी|
दुर्गमच्छेदिनी दुर्गसाधिनी दुर्गनाशिनी||
दुर्गतोद्धारिणी दुर्गनिहन्त्री दुर्गमापहा|
दुर्गमज्ञानदा दुर्गदैत्यलोकदवानला||
दुर्गमा दुर्गमालोका दुर्गमात्मक्वरुपिणी|
दुर्गमार्गप्रदा दुर्गमविद्या दुर्गमाश्रिता||
दुर्गमज्ञानसंस्थाना दुर्गमध्यानभासिनी|
दुर्गमोहा दुर्गमगा दुर्गमार्थस्वरुपिणी||
दुर्गममासुरसंहन्त्री दुर्गमायुधधारिणी|
दुर्गमाग्ड़ी दुर्गमता दुर्गम्या दुर्गमेश्वरी||
दुर्गभीमा दुर्गभामा दुर्गभा दुर्गदारिणी|
नामावलिमिमां यस्तु दुर्गाया मम मानव:||
पठेत् सर्वभयान्मुक्तो भविष्यति न संशय:||
दुर्गा द्वात्रिशनाम माला की कथा इस प्रकार है|
एक समय ब्रह्मा आदि देवताओं ने विविध उपचारों से श्री दुर्गा जी का पूजन किया| इससे प्रसन्न होकर दुर्गा जी ने देवताओं को कहा, ‘मैं तुम्हारे पूजन से संतुष्ट हूँ, तुम्हारी जो इच्छा हो, माँगो, मैं तुम्हें दुर्लभ से दुर्लभ वस्तु भी प्रदान करूँगी|’ दुर्गा जी का यह वचन पाकर देवता बोले, ‘देवि आप अपने भक्तों के लिये कल्पवृक्ष हैं| हम आपकी शरण में आये हैं| हमें सब कुछ मिल गया है| तथापि आपकी आज्ञा है इसलिये हम जगत् की रक्षा के लिये आपसे कुछ पूछना चाहते हैं| देवि! ऐसा कौन-सा ऐसा उपाय है, जिससे आप शीघ्र प्रसन्न होकर संकट में पड़े हुए व्यक्ति (साधक) की रक्षा करती हैं| देवि! यदि यह बात सर्वथा गोपनीय हो तो भी हमें अवश्य बतावें|’
देवताओं के द्वारा इस प्रकार की प्रार्थना करने पर दुर्गा देवी ने कहा, ‘देवगण! ध्यान से सुनो – यह रहस्य अत्यन्त गोपनीय और दुर्लभ है| मेरे बत्तीस नामों की माला सब प्रकार की आपत्ति का विनाश करने वाली है| तीनों लोकों में इसके समान दूसरी कोई स्तुति नहीं है|’
इस बत्तीस नामों की माला का मूल पाठ ऊपर वर्णन किया गया है| जो साधक इस नाम माला का नित्य पाठ करता है| वह नि:संदेह सब प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है| इसके अतिरिक्त यदि कोई व्यक्ति शत्रुओं से या वन में हिंसक जन्तुओं के चंगुल में फँस जाय तो इस माला का जाप करें तो उसके सम्पूर्ण संकट दूर हो जाते हैं|
इस माला का नित्य पाठ करने से साधक को कभी भी कोई हानि नहीं होती|