भूतादिक उच्चाटन करने के लिए मन्त्र व विधि
भूतादिक उच्चाटन करने के लिए मन्त्र व विधि इस प्रकार है|
ओं नमो भगवते नारसिंहाय|
अतुल वीर पराक्रमाय|
घोर रौद्र महिषासुर रूपायै|
त्रैलोक्य डम्बराय|
रोद्र क्षेत्र पालाय हों हों|
क्रीं क्रीं क्रमितताड़य ताड़य|
मोहय-मोहय द्रभि-द्रभि|
क्षोभय-क्षोभय आभि-आभि|
साधय-साधय ह्रीं हृदये|
आशक्तये प्रीति लालटे बन्ध|
यही हृदये स्तम्भय-स्तम्भय|
किलि-किलि ई ह्रीं डाकिनीं|
प्रच्छादय-प्रच्छादय शकिनीं|
प्रच्छादय-प्रच्छादय भूतं|
प्रच्छादय-प्रच्छादय|
अभूति-अभूति स्वाहा राक्षसं|
प्रच्छादय-प्रच्छादय ब्रह्म राक्षसं|
प्रच्छादय-प्रच्छादय आकाशं|
प्रच्छादय-प्रच्छादय सिंहिनी पुत्रम्|
प्रच्छादय-प्रच्छादय ऐते डाकिनी ग्रहं|
साधय-साधय शाकिनी ग्रहं|
साधय-साधय अनेन मंत्रेण|
डाकिनी-शाकिनी भूत-प्रेत|
पिशाचादि एकाहिक द्वाहिक|
त्र्याहिक चातुर्थिक पंचमिक|
वातिक पैत्तिक श्लेष्मिक|
सन्निपात केसरी केसरी|
डाकिनी ग्रहादि मुञ्च-2 स्वाहा|
गुरु की शक्ति मेरी भक्ति|
फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा||
चोर भय हरण के लिए मन्त्र की विधि इस प्रकार है|
इस मन्त्र को 21 दिन में जप कर सिद्ध करें| फिर इस मन्त्र को इक्कीस बार पढ़ते हुये रोगी व्यक्ति का झाड़ा करें तो सभी प्रकार के अनिष्ट रोग दूर भाग जाते हैं|