Homeदीपावलीदीपावली की पूजा विधि

दीपावली की पूजा विधि

दीपावली की पूजा विधि

दीपावली का त्यौहार लोकप्रिय हो गया है क्यूंकि इसको बहुत ही हर्षो उत्साह व रंगीनी से मनाया जाता है। बहुत समय तक इसको धार्मिक मान्यता के अनुसार मनाया गया परन्तु अब यह सार्वभौमिक अच्छाई व ख़ुशी की भावना में कही खो सा गया है। अब इस त्यौहार को भारत देश के तक़रीबन सभी वर्ग पूरे जोश से मनाते है सभी लोगों का प्रिये त्यौहार बन गया है यह वह उत्सव है जिसने सभी भारतीयों को एक अनूठी पहचान दी है।

 

1लक्ष्मी पूजा दीपावली के उपलक्ष्य में

लक्ष्मी पूजा दीपावली के उपलक्ष्य में

लक्ष्मी पूजा दीपावली के उपलक्ष्य में

यह पूजा इस पर्व का अटूट हिस्सा है। यह पूजा सभी घरों में विशेष कर व्यापारी वर्ग में अनिवार्य तौर पर की जाती है। इस दिन को व्यापारी वर्ग अपने व्यापार का नया वित्तीय वर्ष मानता है इसीलिए इसकी ख़ास पूजा की जाती है, हिन्दू मत अनुसार लक्ष्मी जी धन संपदा खुशाली व समृद्धि का प्रतीक है इसीलिए इनकी पूजा इस पर्व में विशेष महत्व व स्थान रखती है।

 

2दीवाली पूजा की तैयारिया

दीवाली पूजा की तैयारिया

दीवाली पूजा की तैयारिया

अमावस्या की काली रात गहराने से पहले इससे पूर्व की सूरज अस्त हो इस पूजा को किया जाता है। इस पूजा का असल समय प्रख्यात पंडित व् ज्योतिषी एक दिन पहले निकाल देते है। इस पूजा के लिए देवी लक्ष्मी व गणेश जी की प्रतिमा, कलश, रोली, मौली, कुमकुम, चावल के दाने, पान के पत्ते (पूजा विधान के लिए), सुपारी, सिक्के, कपूर, अगरबत्ती, दीया, मिठाई, फूल, माला की जरुरत होती है। प्रसाद के लिए मिठाई चाहिए होती है।

पूजा करने से पहले यह ध्यान रखे की सारा घर व् प्रवेश द्धार साफ़ सुथरा दीपकों व् मोमबत्तियों से रोशन हो ताकि हम देवी लक्ष्मी का स्वागत कर सके व बुरी आत्माओं को दूर रख सके इस दिन लोग घरों के बाहर रंगोली बनाते है व साथ ही चावल के आटे व कुमकुम से मिलके छोटे छोटे पांवो के निशान भी बनाते है जो की देवी लक्ष्मी के चिर- प्रतीक्षत आगमन का सूचक होते है। सारी रात दीया जलाकर रखा जाता है ताकि देवी लक्ष्मी चुपके से गृह प्रवेश कर सके।

 

3लक्ष्मी गणेश पूजा अनुक्रम

लक्ष्मी गणेश पूजा अनुक्रम

लक्ष्मी गणेश पूजा अनुक्रम

ऐसा कहा जाता है की कोई भी शुभ काम करने से पहले गणेश जी की पूजा करनी चाहिए दीपावली पर देवी लक्ष्मी की पूजा से भी पहले गणेश जी की पूजा करने की परंपरा है। पहले इनकी मूर्तिओं को नहलाया जाता है फिर एक पटरे पर स्थापित किया जाता है आरती की जाती है, भजन गाए जाते है, सभी को प्रसाद बाँटा जाता है। इसी के बाद ही पटाखे छोड़ने का कार्य किया जाता है।

ध्यान देने योग्य बात यह है की इस दिन 5 देवी – देवताओं की पूजा की जाती है। पहले देव गणेश जी की, फिर माँ लक्ष्मी को तीन रूपों में पूजा जाता है वे है : महालक्ष्मी देवी (धन की देवी), माँ सरस्वती (विद्या व ज्ञान की देवी), महाकाली। पाँचवे देब कुबेर (खजाने के देव) की।

 

 Ms. Ginny Chhabra (Article Writer)

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