Homeदीपावलीदीपावली के दिन दीये जलाने के पीछे क्या महत्व है?

दीपावली के दिन दीये जलाने के पीछे क्या महत्व है?

दीपावली के दिन दीये जलाने के पीछे क्या महत्व है?

दीवाली हिन्दुओं का सबसे बड़ा व् विशेष त्यौहार है जिसे ये सम्प्रदाय बहुत ही हर्षोउल्लास के साथ मनाता है। यह पर्व हर बरस अक्टूबर या नवंबर के महीने मनाया जाता है।
इस दिन दीयों का महत्व और भी बढ़ जाता है चूँकि ये त्यौहार इनके साथ सीधा सम्बंधित है इनकी चमक देखते ही बनती है। दीपावली दो शब्दों के सुमेल से बना है दीप + वाली = दीपों की पंक्ति अर्थात जगमगाते दीपकों की लंबी कतारे जो सारे रस्ते व् जगह को रौशनी से भर देती है।

यहाँ यह जानना और भी दिलचस्प होगा की आखिर इन दीपों को क्यों जलाया जाता है।

 

1रोशनी व दीपावली

रामायण की कहानी

रोशनी व दीपावली

इस दिन हर व्यक्ति अपने घर की साफ-सफाई करता है, इसे सजाता है, उसको मिट्टी के दियों से लेकर बिजली के आधुनिक लैम्पों से सजाता है। कोई भी अपने घरो व् आस पास के माहौल को रोशन करने से नहीं चूकता। पारंपरिक तोर पर तो लोग मिट्टी के दीपों को रुई की बाती से जलाते है। आजकल चाहे इसका रिवाज थोड़ा कम जरूर हो गया है मगर फिर भी रोशनी करने का यही एक ऐसा तरीका है जो शायद कभी भी नहीं बदलने वाला है।

लोग हमेशा से ही यह जानने को व्याकुल रहे है की आखिर इस पर्व पर दीपक जलाने का रिवाज़ कैसे चला।

आईये इसके बारे में जानते है……..

मिट्टी का दीपक या दीया दीपावली का एक पर्याय बन गया है।

दीपक घर के हर कोने को अपनी प्रकाश से चमकीला बना देते है जैसे आसमान में तारे चमकते है। इस दिन को और भी रंगीन बनाने के लिए लोग नए कपडे पहनते है स्वादिष्ट मिठाईआ बनाते व् बांटते है।

 

2दीपावली पर दीये जलाने के पीछे की पौराणिक कथा

दीपावली पर दीये जलाने के पीछे की पौराणिक कथा

दीपावली पर दीये जलाने के पीछे की पौराणिक कथा

ये पर हर घर में प्यार व् खुशिया बाँटने के लिए मनाया जाता है। इसको बुराई के ऊपर सच्चाई की जीत के रूप में भी मनाते है। उत्तर भारत में यह पर्व इसी दिन इसीलिए मनाया जाता है क्यूंकि इसी दिन श्रीराम अपनी पत्नी सीता माता, छोटे भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या नगरी 14 वर्ष का बनवास काटकर लंकापति रावण का संहार करके लौटे थे।

श्रीराम जी ने परम भक्त हनुमान जी, अपने छोटे भाई लक्ष्मण व् वानर सेना के साथ लंकापति रावण का संहार किया क्यूंकि उन्होंने सीता माता का अपहरण किया था यह युद्ध इसी बात का प्रतीक था की बुराई कभी भी सच्चाई से जीत नहीं सकती है इसकी पराजय निश्चित है।

इसके अलावा हिन्दू लोग अपने घरो में हर शाम दीया जलाते है जो की तमस को दूर करता है जो की सांकेतिक तोर पर यह दर्शाता है की हमने अपने आप को इस परम पिता परमात्मा के प्रति समर्पित कर दिया है।

 

3तेल का दीपक में क्या महत्व है?

लक्ष्मी गणेश पूजा

तेल का दीपक में क्या महत्व है?

दीपक में डाला गया तेल हमारी मानवजाति की सारी बुराइयों का प्रतीक है जो की हमारे भीतर ईर्ष्या, द्धेष, नफरत, क्रोध, लालच के रूप में रहती है। दीपक की बाती हमारी अंतरात्मा का सूचक है। दीपक की रौशनी हमें यह सिखाती है की हमें अपने मन व् दिमाग को इन सभी बुराइयों से दूर रखना है बल्कि इनको साफ़ करना है। जैसे जैसे तेल दीपक में से कम होता जाता है वैसे वैसे हमारे घर से नकारत्मकता दूर होती जाती है।

इसमें एक गुप्त सन्देश है की प्रकाश तभी संभव है जब हम श्री राम की तरह सच्चाई के पथ पर चलते है।

 

4दीपक किस बात का प्रतीक है?

पारंपरिक दीये

दीपक किस बात का प्रतीक है?

यह ज्ञान का प्रतीक है। जो इंसान अज्ञानी है जिसको किसी भी बात का ज्ञान नहीं है वो हमेशा खुद को अंधकार में रखता है। वो रौशनी के संपर्क में तभी आएगा जब उसको इस ज्ञान की समझ होगी।

दीपक हमें यही बात समझाता है की ज्ञान की लौ अज्ञानता को समाप्त कर देती है।

दीपक महज घरो व आस पास के माहौल को रोशाएमान करने का साधन ही नहीं है बल्कि यह हमें यही सिख देता है की जब हम इस ईश्वर परम परमात्मा के साथ जुड़ जाते है तो हमारा जीवन ज्ञान से भरपूर हो जाता है व् आनंदमयी बन जाता है।

 

 Ms. Ginny Chhabra (Article Writer)

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