पालक के 8 स्वास्थ्य लाभ – 8 Health Benefits of Spinach
यह देर से पचता है, किन्तु फिर भी पेट के विकारों में अत्यन्त लाभदायक है| इसमें लौह तत्व अधिक होते हैं, अत: नये रक्त की रचना भी इससे सहज ही हो जाती है| यह दुर्बल शरीर वालों को शक्ति प्रदान करता है| इसे शाक के रूप में ही अधिक प्रयोग जाता है|
पालक के 8 औषधीय गुण इस प्रकार हैं:
1. गले के रोग
गले की जलन और फेफड़ों की सूजन हो तो पलक के रस के कुल्ले करने से लाभ होता है|
2. रक्त विकार
रक्त विकार और शरीर की खुश्की पालक के सेवन से दूर होती है| आधा गिलास पालक के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर 50 दिन पिएं| शरीर में इससे रक्त की वृद्धि होगी| रक्त की कमी दूर करने हेतु पालक सर्वोत्तम है| रक्तक्षय-सम्बन्धी विकृतियों में यदि प्रतिदिन पालक का रस नित्य तीन बार 125 ग्राम की मात्रा में लिया जाए, तो समस्त विकार दूर होकर चेहरे पर लालिमा, शरीर में स्फूर्ति, उत्साह एवं शक्ति क संचार, रक्त भ्रमण तेजी से होता है| इसके निरन्तर सेवन से चेहरे के रंग में निखार आ जाता है| रक्त बढ़ता है| इसका रस कच्चे पत्ते या छिलके सहित मूंग की दाल में पालक की पत्तियां डालकर सब्जी खानी चाहिए| यह रक्त साफ और बलयुक्त करता है| पालक पीलिया, उन्माद, हिस्टीरिया, प्यास, जलन और पित्त ज्वरों में लाभ करता है|
3. दन्त रोग
पालक का रस दांतों और मसूढ़ों को मजबूत बनाता है| पायोरिया के रोगी को कच्चा पालक दांतों में चबाकर खाना चाहिए| प्रात: भूखे पेट पालक का रस पीने से पायोरिया ठीक हो जाता है| इसमें गाजर का रस मिलाने से मसूढ़ों से रक्तस्त्राव का जाना बन्द हो जाता है|
4. मंद ज्योति
नेत्र ज्योति पालक का रस पीने से बढ़ती है|
5. पथरी
कई लोग यह मानते हैं कि पालक खाने से पथरी होती है, लेकिन यह निश्चित समझ लें कि कच्चे पालक के रस के सेवन से पथरी कदापि नहीं होती|
6. मूत्र की अधिकता
रात को बार-बार पेशाब जाना, शाम को पालक की सब्जी खाने से कम हो जाता है|
7. गले का दर्द
पालक के पत्ते उबाल कर पानी छान लें और पत्ते भी निचोड़ लें| इसके गर्म-गर्म पानी से गरारे करने से गले का दर्द ठीक हो जाता है|
8. पाचन संस्थान के विकार
कच्चे पालक का रस आधा गिलास प्रात: पीते रहने से कब्ज कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है| आंतों के रोगों में इसकी तरकारी लाभदायक है| पालक और बथुआ की सब्जी खाने से भी कब्ज दूर होता है| कुछ दिन लगातार पालक अधिक मात्रा में खाने से पेट के रोगों में लाभ होता है| आमाशयिक व्रण, आंतों के घाव आदि में पालक का रस लाभदायक है|
विशेष: पालक में दालचीनी डालने से इसकी ठंडी प्रकृति बदल जाती है| पालक को पकाने में इसके गुण नष्ट नहीं होते| पालक में विटामिन ए, बी, सी, आयरन और कैलशियम अधिक मात्रा में पाया जाता है| कच्चा पालक खाने में कडुवा और खारा लगता है, परन्तु गुणकारी होता है| दही के साथ कच्चे पालक का रायता बहुत स्वादिष्ट और गुणकारी होता है| गुणों में पालक का शाक सब शाकों में बढ़-बढ़कर है| इसका रस यदि पीने में अच्छा न लगे तो इसके रस में आटा ओसण कर, गोंदकर रोटी बनाकर खानी चाहिए| सम्पूर्ण पाचन-तंत्र की प्रणाली (पेट व छोटी-बड़ी आंतें) के लिये पालक का रस सफाई कारक एवं पोषणकर्ता हैं| कच्चे पालक के रस में प्रकृति के शुद्धिकारक तत्व रखे है| पालक संक्रामक रोग तथा विषाक्त कीटाणुओं में उत्पन्न रोगों से रक्षा करता है| पालक में पाया जाने वाला विटामिन-ए म्युकस मेम्ब्रेन्स की सुरक्षा के लिए उपयोगी है|
NOTE: इलाज के किसी भी तरीके से पहले, पाठक को अपने चिकित्सक या अन्य स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता की सलाह लेनी चाहिए।
Consult Dr. Veerendra Aryavrat +91-9254092245
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