मूली के 16 स्वास्थ्य लाभ – 16 Health Benefits of Radish
स्त्रियों के मिजाजों की भांति मूली के भी अपने स्वाद भरे मिजाज हैं| बहुत-सी मूली मीठी होती है, बहुत-सी फीकी और बहुत-सी तेज चिरमिरी, मानों दांतों तले तेज मिर्च आ गई हो| इसकी तासीर ठंडी होती है| फिर भी पेट के लिए यह बहुत लाभदायक है| इसके सेवन से भोजन में रुचि बढ़ती है| पेट में गैस (वायु) को तो यह दूर करती ही है, अग्निमांद्य तथा कब्ज को दूर करने में भी समक्ष है|
मूली के 16 औषधीय गुण इस प्रकार हैं:
1. गले के घाव
मूली का रस और पानी समान मात्रा में मिलाकर नमक डालकर गरारे करने से गले के घाव ठीक हो जाते हैं |
2. हिचकी
मूली के चार पत्ते खाने से हिचकी बन्द हो जाती है|
3. मधुमेह
मूली खाने से या इसका रस पीने से मधुमेह में लाभ होता है|
4. आंतों के रोग
मूली का रस आंतों में एंटीसेप्टिक का काम करता है|
5. अग्निमांद्य
अग्निमांद्य, अरुचि, पुरानी कब्ज, गैस होने पर भोजन के साथ मूली पर नमक, काली मिर्च डालकर दो माह तक नित्य खाएं| इससे लाभ होगा| पेट के रोगों में मूली की चटनी, अचार, सब्जी भी उपयोगी है|
6. पीलिया
(Jaundice) एक कच्ची मूली नित्य प्रात: उठते ही खाते रहने से कुछ दिनों में पीलिया ठीक हो जाता है| मूली के पत्तों का रस 125 ग्राम में 30 ग्राम चीनी मिलाकर छानकर प्रात: पिलाएं| पीते ही लाभ होगा| एक सप्ताह में रोगी ठीक हो जाएगा| मूली का रस सब प्रकार के पीलिया में लाभप्रद है|
7. अम्लपित्त
गर्मी के प्रभाव से खट्टी डकारें आती हों तो एक कप मूली के रस में मिश्री मिलाकर पीने से लाभ होता है|
8. मासिक स्त्राव
(कष्टप्रद, रुका हुआ मासिक स्त्राव) कई लड़कियों को मासिक स्त्राव के समय बहुत दर्द होता है| जब तक मासिक धर्म खुलकर नहीं आए, दर्द होता रहता है| मूली के बीजों का चूर्ण 4-4 ग्राम सुबह, शाम नित्य तीन बार देने से मासिक धर्म खुलकर आता है, दर्द ठीक हो जाता है| यदि मासिक धर्म बन्द हो गया हो, कई महीनों से नहीं आया हो तो मूली, सोया मैंथी तथा गाजर के बीज समान मात्रा में लेकर 4-4 ग्राम खाकर ऊपर से ताजा पानी पी लें| बन्द माहवारी खुलकर आएगी| मासिक धर्म की कमी के कारण मुंहासे निकलते हों तो प्रात: पत्तों सहित एक मूली नित्य खाएं| मूली खाने के बाद गुड़ खाने से डकार में गन्ध नहीं आती|
9. पेट का दर्द
एक कप मूली के रस में नमक और मिर्च डालकर पिलाने से पेट दर्द ठीक होता है|
10. स्वर भंग
आधा चम्मच मूली के बीजों को पीसकर गर्म जल के साथ लेने से गला साफ़ हो जाता है|
11. बिच्छू का डंक
मूली के टुकड़े पर नमक लगाकर बिच्छू काटे स्थान पर रखने से वेदना शान्त होती है| जो लोग हमेशा मूली खाया करते हैं, उन पर बिच्छू का विष कम प्रभाव डालता है| रोगी को मूली खिलाओ और दंश स्थान पर मूली का रस लगाओ, लाभ होगा|
12. दाद
मूली के बीजों को नींबू के रस में पीसकर गर्म करके लगाएं| पहले दिन लगाने पर जलन, दर्द होगा, दूसरे दिन कम होगा| ठीक होने पर नहीं होगा| यह सूखे, गीले दोनों प्रकार के दादों में लाभदायक है|
13. बवासीर
मूली कच्ची खाएं या इसके पत्तों की सब्जी बनाकर खाएं, हर प्रकार से बवासीर में लाभदायक है| कच्ची मूली खाने से बवासीर से गिरने वाला रक्त बन्द हो जाता है| इसके अतिरिक्त बवासीर खूनी हो या बादी, एक कप मूली का रस लें| इसमें एक चम्मच देशी घी मिलाएं| हिलाकर सुबह, शाम दो बार नित्य पिएं, लाभ होगा|
एक सफेद मूली को काटकर नमक लगाकर रात को ओस में रख दें| इसे प्रात: भूखे पेट खाएं| मल त्याग के बाद गुदा भी मूली के पानी से धोएं| 125 ग्राम मूली के रस में 100 ग्राम देशी घी की जलेबियां एक घंटा भीगने दें, फिर जलेबी खाकर पानी पी जाएं| इस तरह एक सप्ताह सेवन करने से जीवन भर के लिए हर प्रकार की बवासीर ठीक हो जाएगी|
14. पथरी रोग
मूली के बीज 35 ग्राम आधा किलो पानी में उबालें| जब पानी आधा रह जाए तो छानकर पिएं| कुछ दिनों तक लेने से मूत्राशय (Bladder) को पथरी गलकर निकल जाती है|
मूली का 20 ग्राम रस हर चार घंटे के अंतर से तीन बार नित्य पिएं तथा इसके पत्ते चबा-चबाकर खाएं| मूत्राशय की पथरी चूर-चूर होकर पेशाब के साथ बाहर आ जाएगी| यह प्रयोग दो-तीन माह करें| मूली का रस पीने से पित्ताशय की पथरी बनना बन्द हो जाती है|
15. मूत्र कष्ट
आधा गिलास मूली का रस पिलाने से पेशाब के समय होने वाली जलन और वेदना मिट जाती है|
16. मूत्र की कमी
गुर्दे की खराबी से यदि पेशाब का बनना बन्द हो जाए तो मूली का रस दो औंस प्रति मात्रा में पीने से वह फिर से बनने लगता है|
NOTE: इलाज के किसी भी तरीके से पहले, पाठक को अपने चिकित्सक या अन्य स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता की सलाह लेनी चाहिए।
Consult Dr. Veerendra Aryavrat +91-9254092245
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