सौंफ के 25 स्वास्थ्य लाभ – 25 Health Benefits of Fennel
सर्वप्रथम इसे मुख-शुद्धि के लिए प्रयोग किया जाता है| यों सौंफ का उपयोग एक सुगन्धित, उत्तेजक और शांतिदायक पदार्थ के रूप में होता है| उदर की वायु दूर करने में यह रामबाण साबित होती है| यह आंतों में होने वाले मरोड़ों को शान्त करती है| बच्चों के उदरशूल को भी यह दूर करती है| इसके प्रयोग से मूत्र सहज और साफ आता है| अजीर्ण आदि से होने वाले दस्तों के लिए भी अति उत्तम औषधि है| सौंफ का काढ़ा बनाकर पीने से ज्वर की तेजी कम हो जाती है| यह शीतल और पाचक गुण प्रधान है| यह मेधा एवं स्मरण-शक्ति को तीव्र बनाती है| रक्तवाही संस्थानों को शुद्ध करती है| आमाशय की गर्मी दूर करती है|
सौंफ के 25 औषधीय गुण इस प्रकार हैं:
1. कब्ज
चार चम्मच सौंफ एक गिलास पानी में उबालें| जब आधा पानी रह जाये तो छानकर पिएं| कब्ज दूर हो जाएगा| सोते समय आधा चम्मच पिसी हुई सौंफ की फंकी गर्म पानी से लेने से कब्ज दूर होता है|
सौंफ, हर्र और शक्कर प्रत्येक आधा चम्मच मिलाकर, पीसकर गर्म पानी से फंकी लें|
2. ज्वर
तेज ज्वर होने पर सौंफ पानी में उबाल कर दो-दो चम्मच बार-बार पिलाते रहने से ज्वर का ताप नहीं बढ़ता|
3. बादी बवासीर
सौंफ और मिश्री दोनों पीसकर आधा चम्मच की फंकी दूध के साथ लें|
4. खूनी बवासीर
सौंफ, जीरा, धनिया प्रत्येक एक चम्मच दो कप पानी में उबालें| आधा पानी रहने पर छानकर उसमें एक चम्मच देशी घी मिलाकर पिलाने से रक्तस्त्रावी बवासीर में लाभ होता है|
5. पेचिश
भुनी हुई सौंफ और मिश्री समान मात्रा में पीसकर हर दो घंटे से 6 बार दो-दो चम्मच की ठंडे पानी से फंकी लेने से मरोड़दार दस्त, आंव और पेचिश में लाभ होता है|
6. आंव
सौंफ का तेल 5 बूंद, आधा चम्मच चीनी पर डालकर नित्य चार बार लेने से आंव बंद हो जाती है|
7. दस्त
यदि मरोड़ देकर थोड़ा-थोड़ा मल आता हो तो 3 ग्राम कच्ची और 3 ग्राम भुनी सौंफ मिश्री के साथ मिलाकर दें|
8. छोटे बच्चों के दस्त और पेचिश
छोटे बच्चों के पतले दस्त और पेचिश में 6 ग्राम सौंफ, 75 ग्राम पानी में उबालें| जब पानी आधा रह जाए तब उसमें एक ग्राम काला नमक डाल दें| बच्चों को 12 ग्राम पानी दिन में तीन बार देने से बहुत लाभ होता है|
9. पेट का दर्द
सौंफ और सैंधा नमक पीसकर दो चम्मच गर्म पानी से फंकी लें|
10. मुंह के छाले
जिन लोगों के मुंह में छाले प्राय: होते रहते हैं, वे खाने के बाद थोड़ी सौंफ लिया करें तो छाले नहीं होंगे|
11. पाचन
सौंफ और जीरा समान मात्रा में मिलाकर सेंक लें| भोजन के बाद एक चम्मच नित्य चबाएं|
12. खांसी
दो चम्मच सौंफ, दो चम्मच अजवाइन आधा किलो पानी में उबालकर दो चम्मच शहद मिलाकर छान लें| इसकी तीन चम्मच प्रति घंटा की मात्रा में पिलाने से बच्चों की खांसी दूर हो जाती है|
13. नेत्र रोग
भोजन के बाद एक चम्मच सौंफ खाने से नेत्र ज्योति बढ़ती है| पेशाब खुलकर आता है| सौंफ पीस लें| रात को सोते समय आधा चम्मच सौंफ एक चम्मच शक्कर मिलाकर दूध से फंकी लें, इससे नेत्र ज्योति बढ़ेगी|
14. जुकाम
15 ग्राम सौंफ, 3 लौंग आधा किलो पानी में उबालें, चौथाई पानी रहने पर देशी बूरा या चीनी मिलाकर घूंट-घूंट पिएं|
15. स्मरण-शक्ति
सौंफ को हल्की-हल्की कूटकर, ऊपर के छिलका उतार कर छान लें| इस तरह अन्दर की मींगी निकालकर समान मात्रा में मिश्री मिलाकर पीस लें| एकेक चम्मच सुबह, शाम दो बार ठंडे पानी से या गर्म दूध से फंकी लें| इसके सेवन से स्मरण-शक्ति बढ़ती है, मस्तिष्क में शीतलता रहती है|
16. निद्रा की अधिकता
जिसे निद्रा अधिक आए, हर समय नींद, सुस्ती रहे, उसे 10 ग्राम सौंफ को आधा किलो पानी में उबालकर चौथाई रह जाने पर थोड़ा-सा नमक मिलाकर सुबह-शाम पांच दिन पिलाएं| इससे नींद कम आयेगी|
17. धुम्रपान
यदि आप सिगरेट, बीड़ी पीना छोड़ना चाहते हों तो सौंफ को घी में सेंककर शीशी में भर लें| जब भी सिगरेट पीने की इच्छा हो तो इसी सौंफ को आधा-आधा चम्मच चबाते रहें| सिगरेट पीने की इच्छा समाप्त हो जाएगी| मन पर भी संयम रखें|
18. अनिद्रा
10 ग्राम सौंफ आधा किलो पानी में उबालें| चौथाई पानी रहने पर छान कर गाय का 250 ग्राम दूध और 15 ग्राम घी में स्वादानुसार चीनी मिलाकर पिलाएं|
19. सन्तान
गर्भकाल में नौ महीने तक खानपान के बाद नित्य सौंफ चबाते रहने से सन्तान गौर वर्ण की होती है|
20. दांत निकलना
दांत निकलते समय यदि बच्चा रोता हो तो गाय के दूध में मोटी सौंफ उबालकर, छानकर बोतल में भर लें तथा एकेक चम्मच चार बार पिलाएं| इससे दांत सरलता से निकल आयेंगे|
21. पेट फूलना
रात को चम्मच सौंफ आधा कप पानी में भिगो दें|
प्रात: सौंफ को मसलकर छान लें| इस पानी को दूध में मिलाकर पिलाने से बच्चों का पेट फूलना, गैस भरना, पेट-दर्द ठीक हो जाता है|
22. पेट का भारीपन
नींबू के रस में भीगी हुई सौंफ को भोजन के बाद खाने से पेट का भारीपन दूर होता है| भूख खूब लगती है तथा मल भी साफ होता है|
23. बंध्यात्व
यदि 6 ग्राम सौंफ का चूर्ण घी के साथ तीन मास तक सेवन करें तो निश्चित रूप-से बंध्या स्त्री गर्भ धारण करने योग्य हो जाती है| यह कल्प मोटी स्त्रियों के लिए विशेष लाभप्रद है| यदि स्त्री दुबली-पतली हो तो उसमें शतावरी चूर्ण +मिलाकर देना चाहिए|
6 ग्राम शतावरी मूल का चूर्ण 12 ग्राम घी और दूध के साथ खाने से गर्भाशय की सब विकृतियां दूर होती हैं और गर्भ-स्थापन होता है|
24. गर्भपात
गर्भ धारण करने के बाद 62 ग्राम सौंफ, 31 ग्राम गुलाब का गुलकंद पीसकर पानी मिलाकर एक बार नित्य पिलाने से गर्भपात रुकता है|
पूरे गर्भकाल में सौंफ का अर्क पीते रहने से गर्भ स्थिर रहता है|
25. खुजली
सौंफ और धनिया समान मात्रा में पीस लें| इसमें डेढ़ गुना घी और दोगुनी चीनी मिलाकर रखें| सुबह-शाम 30-30 ग्राम खाएं| हर प्रकार की खुजली में लाभ होता है|
NOTE: इलाज के किसी भी तरीके से पहले, पाठक को अपने चिकित्सक या अन्य स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता की सलाह लेनी चाहिए।
Consult Dr. Veerendra Aryavrat +91-9254092245
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