बथुआ के 10 स्वास्थ्य लाभ – 10 Health Benefits of Bathua
इसकी प्रकृति शीतल है| हरी पत्तियों को शाक होने के कारण यह पाचकाग्नि को सक्रिय करने एवं रुचि पैदा करने के लिए उपयोग में लाया जाता है| यह बलवर्धक है, किन्तु पचता देर से है| तिल्ली का विकार दूर करने में यह अद्वितीय है|
बथुआ के 10 औषधीय गुण इस प्रकार हैं:
1. पेट के रोग
जब तक मौसम में बथुए का साग मिलता रहे, नित्य इसकी सब्जी खाएं| बथुए का उबाला हुआ पानी पिएं| इससे पेट के हर प्रकार के रोग यकृत, तिल्ली, अजीर्ण, गैस, कृमि, दर्द, अर्श, पथरी ठीक हो जाते हैं| पथरी हो तो एक गिलास कच्चे बथुए के रस में शक्कर मिलाकर नित्य पिएं तो पथरी टूटकर बाहर निकल जाएगी|
2. मूत्र रोग
मूत्राशय, गुर्दा और पेशाब के रोगों में बथुए का साग लाभदायक है| पेशाब रुक-रुक कर आता हो, तो इसका रस पीने से पेशाब खुलकर आता है|
बथुआ आधा किलो, पानी के तीन गिलास, दोनों को उबालें और पानी को छान लें| बथुए को निचोड़कर पानी निकालकर यह भी छाने हुए पानी में मिला लें| स्वाद के लिए नींबू, जीरा, जरा-सी काली मिर्च और सेंधा नमक मिला लें और पी जाएं| इस प्रकार तैयार किया हुआ पानी दिन में तीन बार पिएं| इससे पेशाब में जलन, पेशाब कर चुकने के बाद होने वाला दर्द, टीस उठना ठीक हो जाता है| दस्त साफ आता है| पेट की गैस, अपच दूर हो जाती है| पेट हल्का लगता है| उबले हुए पत्ते दही में मिलाकर खाएं, बहुत स्वादिष्ट लगते हैं और मूत्र रोग के लिए लाभकारी भी हैं|
3. कृमि
कच्चे बथुए का रस एक कप में स्वादानुसार नमक मिलाकर एक बार नित्य पीते रहने से कृमि मर जाते हैं| बथुए के बीज एक चम्मच पिसे हुए शहद में मिलाकर चाटने से भी कृमि मर जाते हैं|
4. जलना
आग से जले अंग पर कच्चे बथुए का रस बार-बार लगाएं|
5. कब्ज
बथुआ अमाशय को ताकत देता है, कब्ज दूर करता है| बथुए का शाक दस्तावर होता है| कब्ज वालों को बथुए का शाक नित्य खाना चाहिए| कुछ सप्ताह नित्य बथुए की सब्जी में ताकत आती है और स्फूर्ति बनी रहती है|
6. फोड़ा
फोड़े, फुंसी, सूजन पर बथुए को कूट कर सोंठ और नमक मिलाकर गीले कपड़े से बांधकर और कपड़े पर गीली मिट्टी लगाकर आग में सेंकें| सिकने पर गर्म-गर्म बांधें| फोड़ा बैठ जायेगा या पककर शीघ्र फूट जायेगा|
7. जूं
जुएं, लीखें हो तो बथुए को उबालकर इसके पानी से सिर धोएं तो जुएं मर जायेंगी तथा बाल साफ हो जाएंगे|
8. मासिक धर्म
मासिक धर्म रुका हुआ हो तो दो चम्मच बथुआ के बीज एक गिलास पानी में उबालें| आधा रहने पर छानकर पी जाएं| मासिक धर्म खुलकर साफ आयेगा| साथ ही सब्जी भी खाएं, तो अच्छा है|
9. नेत्र रोग
आंखों में सूजन, लाली हो तो प्रतिदिन बथुए की सब्जी खाएं|
10. चर्म रोग
सफेद दाग, दाद, खुजली, फोड़े आदि चर्म रोगों में नित्य बथुआ उबालकर, निचोड़कर इसका रस पिएं तथा सब्जी खाएं| बथुए के उबले हुए पानी से त्वचा को धोएं| बथुए के कच्चे पत्ते पीसकर, निचोड़कर रस निकालें| दो कप रस में आधा कप तिल का तेल मिलाकर मंद-मंद आग पर गर्म करें| जब रस जलकर पानी ही रह जाए तो छानकर शीशी में भर लें तथा चर्म रोगों पर नित्य लगाएं| लम्बे समय तक लगाते रहें, लाभ होगा|
विशेष
बथुए में लोहा, पारा, सोना और क्षार पाया जाता है| बथुए का साफ निरोग रहने के लिए उपयोगी है| बथुए का सेवन कम-से-कम मसाले डालकर करें| नमक न मिलाएं तो अच्छा है| यदि स्वाद के लिए मिलाना पड़े तो सैंधा नमक मिलाएं और देशी घी से छोंक लगाएं| बथुए का उबाला हुआ पानी अच्छा लगता है तथा दही में बनाया हुआ रायता स्वादिष्ट होता है| किसी भी तरह बथुआ नित्य सेवन करें| बथुआ शुक्रवर्धक है| यह पथरी होने से बचाता है| बथुआ अमाशय को बलवान बनाता है| गर्मी से बढ़े हुए यकृत को ठीक करता है|
NOTE: इलाज के किसी भी तरीके से पहले, पाठक को अपने चिकित्सक या अन्य स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता की सलाह लेनी चाहिए।
Consult Dr. Veerendra Aryavrat +91-9254092245
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