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‘विश्व संसद’, ‘विश्व सरकार’ एवं ‘विश्व न्यायालय के गठन का समय अब आ गया है!- डा. जगदीश गांधी

महाविनाश की ओर बढ़ती दुनियाँः

अमेरिका एवं उत्तरी कोरिया के बीच उपजे परमाणु युद्ध के खतरों के कारण तीसरे विश्व युद्ध की आशंका, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद, गृह युद्ध, हिंसा, बीमारी, भुखमरी, पर्यावरण आपदा तथा विश्व के कुछ देशों में चल रहे गृह युद्ध के कारण विश्व के लगभग 2.5 अरब बच्चों के साथ ही आगे जन्म लेने वाली पीढ़ियों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है। वर्तमान परिस्थिति में अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच कभी भी परमाणु युद्ध छिड़ सकता है। दरअसल, अमेरिका हर हाल में उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम को बंद कराना चाहता है, लेकिन उत्तर कोरिया पीछे हटने को तैयार नहीं है। उत्तर कोरिया ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अमेरिका की धमकियों से डरने वाला नहीं है और वह साप्ताहिक, मासिक और वार्षिक मिसाइल परीक्षण जारी रखेगा। उत्तरी कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने कहा कि अगर अमेरिका ने उकसावे की कार्रवाई की, तो वह उस पर परमाणु हमला करने में तनिक भी संकोच नहीं करेगा तो वहीं दूसरी ओर, अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने सख्त लहजे में कहा कि उत्तर कोरिया अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सब्र की परीक्षा न ले, तो बेहतर होगा।

विश्वव्यापी समस्याओं का समाधान राष्ट्रीय सरकारों के द्वारा संभव नहीं हैः

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जाॅन एफ0 कैनेडी ने कहा था कि ‘‘हमें मानव जाति को महाविनाश से बचाने के लिए विश्वव्यापी कानून बनाना एवं इसको लागू करने वाली संस्था को स्थापित करना आवश्यक होगा और विश्व में युद्ध और हथियारों की दौड़ को विधि विरूद्ध घोषित करना होगा।’’ नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री जान टिम्बरजेन ने कहा है कि ‘‘राष्ट्रीय सरकारें विश्व के समक्ष उपस्थित संकटों और समस्याओं का हल अधिक समय तक नहीं कर पायेंगी। इन समस्याओं के समाधान के लिए विश्व संसद आवश्यक है, जिसे संयुक्त राष्ट्र संघ को मजबूती प्रदान करके प्राप्त किया जा सकता है।” इसलिए प्रभावशाली वैश्विक प्रशासन के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ को प्रजातांत्रिक एवं शक्तिशाली बनाकर विश्व संसद का स्वरूप प्रदान करना चाहिए।

‘विश्व संसद’, ‘विश्व सरकार’ एवं ‘विश्व न्यायालय के गठन का समय अब आ गया हैः

महान विचारक विक्टर ह्नयूगो ने कहा है कि ‘‘इस दुनियाँ में जितनी भी सैन्यशक्ति है उससे कहीं अधिक शक्तिशाली वह एक विचार होता है, जिसका कि समय अब आ गया हो।’’ वह विचार जिसका कि समय आ गया है। वह विचार है भारतीय संस्कृति की ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की महान विचारधारा और भारतीय संविधान का ‘अनुच्छेद 51’, जिसके द्वारा विश्व भर में युद्धों पर प्रतिदिन होने वाली करोड़ों डालर की धनराषि को बचाकर हम इससे विष्व के प्रत्येक बालक के लिए रोटी, कपड़ा, मकान, षिक्षा, सुरक्षा तथा चिकित्सा की अच्छी व्यवस्था कर सकते हैं। इसके लिए विश्व के राष्ट्र प्रमुखों को अति शीघ्र विश्व संसद, विश्व न्यायालय एवं विश्व सरकार के गठन के लिए ठोस एवं शक्तिशाली कदम उठाने की आवश्यकता है।

युद्ध और हिंसा के कारण बच्चों का बीता हुआ कल ही नहीं, बल्कि भविष्य भी प्रभावित हो रहा हैः

वर्ष 2015 में टर्की के समुद्र किनारे सीरिया के तीन साल के बच्चे आयलन कुर्दी का शव औंधे मुंह पड़ा मिला था, जिसने सारे विश्व को झकझोर कर रख दिया था। अभी हाल ही में सीरिया में रासायनिक हमले के बाद पूरी दुनिया सकते में है। वर्तमान विश्व परिदृश्य में सीरिया, यमन, अफगानिस्तान, नाइजीरिया के साथ ही विश्व के कई अन्य देशों में फैली हिंसा का असर सारे विश्व में देखा और महसूस किया जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र की बच्चों के लिए काम करने वाली एजेंसी यूनिसेफ के अनुसार पूरे मध्य पूर्व इलाके में करीब डेढ़ करोड़ बच्चे सीरिया और इराक के कई हिस्सों में चल रही जंग के बुरे नतीजे भुगत रहे हैं। जिसके बाद यूनिसेफ ने चेतावनी दी थी कि मध्यपूर्व के इन इलाकों के बच्चे शांति का माहौल भूल से गए हैं। बीते पांच सालों से युद्ध के माहौल में जीने के कारण उन्हें स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव झेलना पड़ रहा है। यूनिसेफ के निदेशक एंथनी लेक के अनुसार बहुत छोटे बच्चों ने तो केवल संकट ही देखा है। महत्वपूर्ण उम्र में प्रवेश करते हुए किशोरों ने हिंसा और तकलीफ झेली है, जिससे सिर्फ उनका बीता हुआ कल ही नहीं बल्कि भविष्य भी प्रभावित हो रहा है।

स्कूलों के साथ ही बच्चों एवं उनके शिक्षकों को बनाया जा रहा है निशानाः

हालिया दशकों में लाखों बच्चे युद्धों में मारे गये या घायल हो गये या हमेशा के लिए अपंग हो गये। इसके पूर्व जुलाई 2016 में प्रकाशित यूनीसेफ 2016 की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में 16 लाख बच्चे युद्ध व संघर्ष क्षेत्रों में पैदा हुए हैं तथा लगभग 250 लाख बच्चे संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे हैं। इसी रिपोर्ट के अनुसार 2014 में केवल अफगानिस्तान के स्कूलों पर 164 हमले तथा इराक में 67 हमले दर्ज किये गये। नाइजीरिया में बोको हराम के आतंकवादी समूह ने 1,200 स्कूलों को क्षतिग्रस्त व नष्ट कर दिया और 600 से अधिक शिक्षकों को मार डाला। यूनिसेफ के “बच्चों के लिए कोई स्थान नहीं” शीर्षक से प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 में 1500 सीरियाई बच्चों के अधिकारों का हनन हुआ जिनमें से 60 प्रतिशत से अधिक की हत्या की गयी और उनके शरीर के अंग कटे हुए थे। इनमें एक तिहाई से अधिक बच्चों की हत्या उस समय की गयी जब वे स्कूल में थे, या स्कूल से लौट रहे थे।

बच्चे कभी भी हिंसा, संघर्ष या युद्ध का कारण नहीं होते हंैः

सीरिया में रसायनिक हमले में मारे गए और विश्व के कई देशों में संघर्षरत क्षेत्रों में बच्चों पर हो रही हिंसा के विरोध में अप्रैल, 2017 में नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने दिल्ली में राजघाट पर 1500 बच्चों के साथ शांति सभा आयोजित करते हुए विश्व के सभी महान नेताओं से विश्व में शांति की अपील की। इस शांति सभा में कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि दुनिया को बचाने और अमन-शांति के लिए हम सबको एकजुट होना चाहिए। क्योंकि युद्ध और संघर्ष में सबसे अधिक परेशानी बच्चों व महिलाओं को होती है। उन्होंने कहा कि बच्चे कभी भी हिंसा, संघर्ष या युद्ध का कारण नहीं होते है। इसके बजाय वे ऐसी परिस्थितियों में सबसे अधिक नुकसान उठाते हैं। यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम विश्व भर के बच्चों तथा आगे जन्म लेने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित समाज विरासत में छोड़ कर जायें।

विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनः

सिटी मोन्टेसरी स्कूल के बच्चों द्वारा विश्व के 2.5 अरब बच्चों तथा आगे आने वाली पीढ़ियों को एक सुन्दर एवं सुरक्षित भविष्य प्रदान करने के उद्देश्य से वर्ष 2001 से प्रतिवर्ष लखनऊ में ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ आयोजित किया जाता है। सिटी मोन्टेसरी स्कूल के बच्चों की अपील पर वर्ष 2000 से आयोजित हो रहे इस सम्मेलन में अब तक विश्व के 125 देशों के 1002 मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों, कानूनविदों् एवं शांति प्रचारकों ने प्रतिभाग करके विश्व संसद, विश्व सरकार तथा वल्र्ड कोर्ट आॅफ जस्टिस के गठन को अपना सर्वसम्मति से समर्थन दिया है। विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का 18वां अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन 10 से 14 नवम्बर, 2017 तक लखनऊ में आयोजित होने जा रहा है।

विश्व में एकता एवं शांति की स्थापना के लिए भारत को ही करना होगा पहलः

अपने देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र जी जैसे चमत्कारिक व्यक्तित्व, कुशल प्रशासक, दूरदर्शी एवं सैद्धांतिक सिद्धांत वाले व्यक्ति के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही उनके द्वारा जिस तरह से अपने देश की ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की सभ्यता एवं संस्कृति एवं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप सारे विश्व को एक करने की पहल लगातार जारी है उससे हमारे बच्चों में फिर से यह आशा जाग उठी है कि भारत सारे विश्व में शांति अवश्य स्थापित करके विश्व के 2.5 अरब बच्चों के साथ ही आने जन्म लेने वाली पीढ़ियों को भी सुन्दर एवं सुरक्षित भविष्य प्रदान करेगा। अतः मैं विश्व के 2.5 अरब बच्चों के साथ ही आगे जन्म लेने वाली पीढ़ियों के स्वनियुक्त अभिभावक के रूप में सरकार भारत से यह अपील करता हूँ कि ने अपने नैतिक व संवैधानिक उत्तरदायित्व को पूरा करने के लिए विश्व केे 2.5 अरब बच्चों के साथ ही आगे जन्म लेने वाली पीढ़ियों को स्वस्थ एवं सुरक्षित भविष्य उपलब्ध कराने के लिए अति शीघ्र विश्व के नेताओं की एक बैठक अति शीघ्र भारत में बुलाने की पहल करें।

डा. जगदीश गांधी

डा. जगदीश गांधी

– डा. जगदीश गांधी, शिक्षाविद् एवं
संस्थापक-प्रबन्धक, सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ

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