संस्थापिका-निदेशिका, सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ का जीवन परिचय – डा. भारती गाँधी
डा. (श्रीमती) भारती गांधी का बालकों की शिक्षा, अध्यापिकाओं का प्रशिक्षण, महिलाओं का उत्थान और समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के प्रति समर्पण एवं संघर्ष सर्वविदित है। सिटी मोन्टेसरी स्कूल जिसे श्रीमती भारती गांधी एवं उनके पति श्री जगदीश गांधी ने अथक परिश्रम, सेवाभाव एवं संघर्ष से स्थापित किया था वर्तमान में लगभग 56,000 से अधिक छात्रों को शिक्षा प्रदान करता है। उल्लेखनीय है कि इस तथ्य को गिनीज़ बुक आॅफ वल्र्ड रिकार्ड ने स्वीकारते हुए सी0एम0एस0 को विश्व के एक ही नगर में संचालित सबसे विशाल विद्यालय होने की मान्यता देते हुए एक प्रमाण-पत्र दिया है। यूनेस्को ने भी सिटी माण्टेसरी स्कूल की शांति शिक्षा की महत्ता को विश्व परिवेश में इसकी नितांत आवश्यकता को समझते हुए सन् 2002 में इस स्कूल को अंतर्राष्ट्रीय शांति शिक्षा पुरस्कार से सम्मानित किया।
आपका जन्म 8 अगस्त 1934 को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में के अनूपशहर में एक इंजीनियर के सुशिक्षित परिवार में हुआ। श्रीमती गांधी की प्रारम्भिक शिक्षा बुलंदशहर में हुई। श्रीमती गांधी ने कडे़ अध्ययन् के पश्चात स्नातक, एल0टी0, एम0एड., डिप्लोमा आॅफ गाइडेन्स साइकोलोजिस्ट (शैक्षिक मार्गदर्शन) एवं पी0एच0डी0 की परीक्षायें उत्तीर्ण की। बाल्यावस्था से ही संत श्री विद्या विवेक जी के प्रभाव से इनमें समाज सेवा की प्रबल इच्छा जागृत हो गयी। उन्होंने अपना जीवन समाज के दलित, पिछड़े एवं निर्बल लोगों की सेवा के लिये समर्पित करने का निश्चय कर लिया।
अपने प्रगतिशील विचारों का प्रचार एवं सामाजिक कुरीतियों एवं अन्याय का सामना करने के अपने प्रयास के चलते वे अनेक समाजसेवी और नारी आंदोलन से जुड़ी संस्थाओं के प्रयासों में सम्मिलित हो गयी।
दहेज प्रथा जो कि वर्तमान समाज की ज्वलंत समस्या है का श्रीमती भारती गांधी ने कठोर विरोध किया। अपने विवाह के द्वारा उन्होंने दहेज के प्रति अपने रूख को मूर्तरूप में समाज के सामने रखा। श्री जगदीश गांधी से विवाह के अवसर पर विवाह भेंट स्वरूप श्री गांधी को गीता के उपदेशों पर आधारित एक पुस्तक भेट की गयी। गांधी दम्पत्ति ने इस अवसर पर प्रण किया कि वे देश और समाज की सेवा के प्रति अपना जीवन समर्पित करेंगे। इस अवसर पर स्वर्गीय वी0वी0 गिरि उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल और बाद में भारत के राष्ट्रपति ने गांधी दम्पत्ति को आशीर्वाद दिया और उनके कार्यों की प्रंशसा की एवं सभी उपस्थित लोगों से उनके आदर्शों को अनुकरण करने को कहा।
1962 में श्रीमती भारती गांधी ने अखिल भारतीय दहेज सम्मेलन बुलाया। श्रीमती भारती गांधी ने निर्भीक एवं समर्पित महिलाओं के एक दल का नेतृत्व किया जिसमे मदिरापान का विरोध करने के लिये मदिरा विक्रय केन्द्रों पर धरना दिया और मदिरा का सेवन करने वालों को उनकी आदत के भयंकर परिणामों से अवगत कराया। 1965 में उन्होंने उत्तर प्रदेश मद्यपान निषेध सम्मेलन – जो कि अपने जैसा पहला था का आयोजन किया जिसका उद्घाटन श्री मोरारजी देसाई ने किया जो आगे चलकर भारत के प्रधानमंत्री बने। 1965 में ही श्रीमती गांधी ने इलाहाबाद के आनन्द भवन में एक “वीमन वर्कर्स कान्फ्रेंस” का आयोजन किया। इस कान्फ्रेंस को संत विनोबा भावे ने सम्बोधित किया।
अन्य मुदद्े जिनमें श्रीमती गांधी का विशेष रूझान है वे हैं प्रौढ़ शिक्षा और राष्ट्रीय एकता। श्रीमती गांधी ने राष्ट्रीय एकता को बढ़़ावा देने के लिये बाल एवं युवा महोत्सवों एवं सम्मेलनों का आयोजन किया।
1957 से 1959 के बीच श्रीमती भारती गांधी एक मनोवैज्ञानिक के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार के मंडलीय मनोविज्ञान केन्द्र, लखनऊ में कार्यरत थीं। उन्होंने 1960-61 में खुन-खुन जी गल्र्स कालेज में प्रवक्ता के रूप में अध्यापन किया। 1961-62 में वे आदर्श शिक्षा केन्द्र इंटर कालेज, लखनऊ की प्रधानाचार्या रहीं।
1959 में श्रीमती गांधी एवं श्री जगदीश गांधी ने सिटी मोन्टेसरी स्कूल की स्थापना की जिसमें भैतिक, सामाजिक एवं अध्यात्मिक तीनों प्रकार के जीवन मूल्य, मानव कल्याण, विश्व बन्धुत्व एवं ईश्वर भक्ति के उच्च आदर्शों का समावेश करके सच्चे अर्थों में पूर्ण शिक्षा प्रदान करने का संकल्प लिया और उसे क्रियान्वित कर रहे हैं।
अध्यापन के अपने ज्ञान का विस्तार करने हेतु श्रीमती गांधी ने विभिन्न देशों की शिक्षा प्रणाली का अध्ययन करने के उद्देश्य से अनेक देशों की यात्रा की है उदाहरणार्थ (1) जर्मनी, (2) हालैंड,
(3) फ्रांस, (4) रूस, (5) संयुक्त-राष्ट्र-अमरीका, (6) इंग्लैण्ड, (7) अफगानिस्तान, (8) हांग-कांग,
(9) मलेशिया, (10) थाईलैंड, (11) सिंगापुर, (12) म्यांमार, (13) इज़राईल, (14) ईरान,
(15) आइसलैण्ड, (16) जार्डन, (17)कीनिया, (18) बुरून्डी, (19) बेल्जियम, (20) लक्जमवर्ग, (21)चेकोस्लाविया, (22) तुर्कमेनिस्तान, (23) ताजिकिस्तान, (24) पाकिस्तान, (25) उक्रेन,
(26) उजबेकिस्तान, (27) कजाकिस्तान, (28) रोमानिया (29) साउथ कोरिया (30) हंगरी तथा (31) पेरू (साउथ अमेरिका) (32) स्वीडन (33) चेक रिपब्लिक (34) यू.एस.एस.आर. (35) किर्गिस्तान इत्यादि।
वे चिल्ड्रेन्स इन्टरनेशनल समर विलेज इंग्लैंड की आजीवन सदस्या हैं। इसके साथ ही श्रीमती गांधी इन्टरनेशनल स्कूल-टू-स्कूल एक्सचेंज प्रोग्राम का भी संचालन करती हैं जिससे आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, मैक्सिको, जापान, आदि देशों के बालकों को परस्पर मेल-जोल करने का अवसर मिलता है एवं विश्व एकता एवं विश्व बन्धुत्व को बढ़ावा मिलता है।
1974 में श्रीमती गांधी ने बहाई धर्म को स्वीकार किया जो कि एक ईश्वर, सर्वधर्म सम्भाव एवं मानवमात्र की एकता का पाठ पढ़ाता है, वे कई वर्षों तक राष्ट्रीय अध्यात्मिक सभा की सदस्या रही हैं तथा भारत में रोटरी क्लब की प्रथम महिला सदस्या हैं।
वर्ष 1992 से 1994 तक श्रीमती गांधी की नियुक्ति जेल विज़िटर के रुप में आदर्श कारागार, लखनऊ में की गयी। इस दौरान श्रीमती गांधी ने कैदियों को राखी बांध कर उनका उत्साहवर्धन किया एवं अच्छे कार्यों द्वारा उन्हें अपना जीवन निर्वाह करने हेतु प्रेरित किया।
सिटी मोन्टेसरी स्कूल गिनीज बुक आॅफ वल्र्ड रिकार्ड में एक ही शहर में सबसे अधिक बच्चों वाले विद्यालय के रुप में दर्ज है। वर्तमान में इस विद्यालय में लगभग 50,000 बच्चे अध्ययन कर रहे है। सिटी मोन्टेसरी स्कूल की संस्थापिका-निदेशिका श्रीमती गांधी को उनकी शिक्षा के माध्यम से सारे समाज की सेवाओं के लिये अब तक अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका हैं, जिसमें से कुछ प्रमुख पुरस्कार/अवार्ड इस प्रकार हैं:-
- दीक्षा भारती द्वारा ‘भारतीय नारी सम्मान’ (2014)
- अमर उजाला फाउंडेशन द्वारा ‘जनप्रिय व्यक्तित्व अवार्ड’ (2012)
- हिन्दुस्तान समाचार पत्र द्वारा ‘स्पेशल जजेज च्वाॅइस अवार्ड’ (2012)
- लखनऊ वुमेन्स एसोसिएशन द्वारा ‘कीर्ति श्री अवार्ड’ (2011)
- राष्ट्रीय स्तर पर ‘आधी आबादी वुमेन एचीवर्स अवार्ड’ (2010)
- आल इंडिया कान्फ्रेंस आॅफ इन्टेलेकचुअल्स द्वारा ‘यू0पी0 रत्न अवार्ड’ (2000)
- इसके साथ ही डाॅ. गाँधी को ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2000’ के अवसर पर शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिये श्रीमती गांधी को 8 मार्च 2000 को माननीय श्रीमती प्रभा द्विवेदी जी, महिला बाल विकास, पुष्टाहार एवं प्राविधिक शिक्षा ने राष्ट्रीय महिला संस्थान के सहयोग से आयोजित समारोह में सम्मानित किया।
- अध्यापक दिवस के अवसर पर श्रीमती गांधी को 5 सितम्बर 1995 को शिक्षा के क्षेत्र में उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिये नेशनल काऊंसिल आॅफ विमेन ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
- संस्कार भारती, लखनऊ संस्था द्वारा 22 जुलाई, 2015 को श्रीमती भारती गाँधी को शिक्षा के क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान हेतु ‘कला मणि’ उपाधि से विभूषित कर सम्मानित किया गया।
इस प्रकार श्रीमती गांधी अटूट परिश्रम, सेवाभाव, संघर्ष एवं ईश्वर के प्रति प्रेम का परिचय देते हुये अपना सम्पूर्ण जीवन मानवमात्र की सेवा में व्यतीत कर रहीं हैं और वर्तमान मंे भी वे मानव जीवन को अधिक उददे्श्यपूर्ण, सुखी एवं ईश्वरभक्ति युक्त बनाने, बालक-बालिकाओं की अच्छी शिक्षा एवं महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिये प्रयासरत है।
डाॅ. भारती गाँधी
संस्थापक-संचालिका
सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ