Homeअतिथि पोस्टप्रत्येक क्षण में बहुत कुछ नया है!

प्रत्येक क्षण में बहुत कुछ नया है!

प्रत्येक क्षण में बहुत कुछ नया है!

यदि हमारे अंदर पुराने का आग्रह है तो जीवन में सब पुराना हो जाएगा। जीवन मंे यदि हम पुराने का आग्रह छोड़ दें तो इस नये वर्ष 2017 का प्रत्येक दिन नया दिन तथा प्रत्येक क्षण नया क्षण होगा। कोई व्यक्ति जो निरंतर नए में जीने लगे, तो उसकी खुशी का हम कोई अंदाजा नहीं लगा सकते। हमारे अंदर यह जज्बा होना चाहिए कि इस क्षण में नया क्या है? यदि यह जज्बा हो तो ऐसा कोई भी क्षण नहीं है, जिसमें कुछ नया न आ रहा हो। हम नए को खोजें, थोड़ा देखें कि यह ऊर्जावान तथा जीवनदायी सूरज कभी उगा था? हम चकित खड़े रह जाएंगे कि हम अब तक इस भ्रम में ही जी रहे थे कि रोज वही ऊर्जावान तथा जीवनदायी सूरज उगता है। हम अपने जीवन में निरन्तर यह खोज जारी रखे कि नया क्या है? हमारा फोकस पुराने पर है या नये पर है यह इस बात पर सब कुछ निर्भर करता है। हम हर चीज में नया खोजने का स्वभाव विकसित करे। हमारा पूरा फोक्स नई वस्तुओं से जीवन को नया करने पर नहीं वरन् स्वयं के दृष्टिकोण को नया करने पर होना चाहिए। प्रत्येक क्षण को नया बनाने के इस विचार को हकीकत में बदलने की क्षमता ही नेतृत्व की असली विशेषता है। 

अब सवाल यह है कि हमारा चित्त नया कैसे हो? नए चित्त के लिए सबसे पहले हमारे मन में, मस्तिष्क में जहां-जहां पुराना हावी है, उसे जागरूकता से छोड़ने का हम प्रयास करें। यह प्रयास साल में एक दिन नहीं करना है, प्रति दिन और प्रति पल करना होता है, क्योंकि मन लगातार सुबह से शाम तक धूल इकट्ठा करता रहता है। हर रोज जीया हुआ जीवन, अनुभव, स्मृतियाँ बनकर दिमाग में बुरी तरह छा जाती हैं। उन्हें निकाल बाहर करने का कोई तरीका हम नहीं जानते। जिस तरह हम हर रोज शरीर को स्नान करने के बाद तारोताजा हो जाते हैं वैसे ही हर पल मन को उजले-उजले विचारों द्वारा हम अपने चिन्तन को तारोताजा बनाये रखे। जीवन एक धारा है, एक बहाव है, एक संकल्प है, एक जज्बा है, एक जुनून है जो रोज नया होता है।

हर बार नए साल पर हम खुद को बदलने की ठानते हैं। इस बार अपनी खुशी को समझें और उसे ही ढूंढें। जीवन में तीन चीजें हैं – पहला विचार, दूसरा स्त्रोत तथा तीसरा खुशी। विचार और खुशी के बीच छुटी हुई कड़ी अर्थात मीसिंग लिंक है हमारा स्त्रोत। अपने मीसिंग लिंक स्त्रोत से जुड़ते ही हमारे जीवन का हर विचार हमें खुशी तथा प्रतिपल नयेपन में जीने का अहसास देने लगता है। खुश रहने से हमारे शरीर के प्रत्येक सेल नये जन्म लेते हैं। शरीर के अंदर की संरचना में निरन्तर नये-पुराने होने की प्रक्रिया चलती रहती हैं। खुश रहने का धन से कोई संबंध नही है खुश रहना एक मानसिकता है इसे दिशा देकर विकसित किया जा सकता है। संत सूरदास के अनुसार अच्छे काम को करने में धन की आवश्यकता कम पड़ती है, अच्छे हृदय और संकल्प की अधिक। मानसिक स्वस्थ हमारी शारीरिक स्वस्थ की आधारशिला है। महात्मा गांधी के अनुसार दृढ़ संकल्प एक गढ़ के समान है, जो कि भयंकर प्रलोभनों से हमें बचाता है, दुर्बल और डांवाडोल होने से हमारी रक्षा करता है।

नया साल के प्रत्येक दिन तथा प्रत्येक क्षण एक चित्र की तरह है, जिसे अभी बनाया नहीं गया है। एक रास्ता है, जिस पर अभी कदम नहीं पड़े हैं। एक पंख है, जिसने उड़ान नहीं भरी है। नए साल में हमको एक संकल्प जरूरत है। दुनियाभर में नववर्ष के आगमन पर जश्न में डूबे लोगों को देखकर मस्तिष्क में यह विचार आया था कि क्या वर्ष में 1 जनवरी का दिन ही नया नहीं होता है तथा तथा वर्ष के शेष 364 दिन पुराने होते हैं। वर्ष के 364 दिन पुराने में जीने के आदी हो चुके हम 1 दिन कैसे नया महसूस कर सकते हैं? हमें निरन्तर प्रयास करके अपने प्रत्येक दिन को नया बनाना चाहिए। आइये, स्वयं को अन्दर से नया करें।

जिंदगी में ‘कुछ’ हासिल करने के लिए हमें ‘लीक को तोड़’ नई जमीन की तलाश करनी होती है। मशहूर अमेरिकी कवि व लेखक राॅल्फ वाल्डो इमर्सन कहते हैं कि वहां मत जाओ, जहां रास्ता ले जाता है, बल्कि अपने निशानों को छोड़ते हुए वहां जाओ, जहां कोई रास्ता नहीं है। बाद में दुनिया उन्हीं निशानों पर चलती है। आगे बढ़ने के लिए हरेक कामयाबी के बाद हमारा यह जानना भी बेहद जरूरी होता है कि और कहां सुधार हो सकते हैं? हम अपने अंदर छिपी ताकत को पहचाने यहीं युग की आवाज है। तुम समय की रेत पर छोड़ते चलो निशां, पुकारती तुम्हें ये जमीं पुकारता यह आंसमा।

हम यह न समझें कि दूसरे व्यक्ति का संघर्ष कम है और हमारा ज्यादा। जो जिस स्तर पर है, उसके संघर्ष का रूप भी वैसा ही होता है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका दरअसल हमारे मन की होती है। जिसका मन मजबूत होगा, उसे जीवन में कभी कोई पराजित नहीं कर सकता है। उसे किसी भी तरह की कठिनाई अपने लक्ष्य से विचलित नहीं कर सकती है। हमें प्रत्येक क्षण अपने स्वयं के ऊपर आध्यात्मिक विजय प्राप्त करनी है। इसके लिए छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करके आगे की ओर कदम निरन्तर बढ़ाते रहना है।  हमें अपनी ऊर्जा को चारों तरफ से समेटकर अपने लक्ष्य पर फोकस करना है।

समस्या को समस्या मानना भी अपने आप में एक समस्या से भरी सोच है। जीवन में असफलता का मिलना बुरा नहीं है। हर असफलता अपना कीमती अनुभव हमारे लिए छोड़कर जाती है। हमें अपने को यह बात याद दिलाने की जरूरत है कि हारना बुरा नहीं है।…और क्या हुआ अगर हम हार गए हैं? कम से कम हमने कोशिश तो की। ये कोशिश ही हमारी सफलता है। इसलिए पूरे विश्वास से कहा जा सकता है कि मुश्किल नहीं गिर कर उठना। किसी ने कहा है कि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती, लहरों से डरकर नैया पार नहीं होती। संत रामतीर्थ ने कहा है कि सफलता का पहला सिद्धांत है- काम, अनवरत काम।

जिंदगी को किस तरह जिया जाए इसके लिए कोई फार्मूला बनाना तो संभव नहीं, क्योंकि हर व्यक्ति की अपनी जिम्मेदारी और अपना संघर्ष होता है। उसी के मुताबिक उसे जीवन जीना होता है परंतु यह भी सच है कि जिंदगी की सार्थकता इस बात में है कि हमने किसी मकसद के साथ कितना समय खुश रहकर बिताया। राल्फ वाल्डो के अनुसार इमर्सन के अनुसार अपने हृदय पर यह अंकित करें कि हर दिन सर्वश्रेष्ठ है।

गेन्ट यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च का मानना है कि हम जब खुश होते हैं, तो अलग तरह से सोचते हैं। इसीलिए ज्यादा रचनात्मक  होते हैं। हर स्थिति को तटस्थ भाव से देखना और वर्तमान में होना ही वह चीज है, जो आत्मिक संतुष्टि की बुनियाद है। भगवान बुद्ध एक दिन पहले अपने साथ हुए दुव्र्यवहार और फिर गलती का एहसास होने पर क्षमा मांगने आए व्यक्ति को कहते हैं ‘बीता हुआ कल मैं वहीं छोड़कर आ गया और तुम वहीं अटके हो? तुमने पश्चाताप कर लिया। तुम निर्मल हो चुके हो। अब तुम आज में प्रवेश करो। बीते हुए कल के कारण आज को मत बिगाड़ो।’ वर्तमान में जीना ही जीने की सर्वोत्तम कला है। यहीं जीने की सही राह है। आ दबोचे अगर तुमको सिंकदर का गुरूर, हाथ खाली आते जाते अर्थियां देखा करो। जिन्दगी की हूबहू तुम झलकियां देखा करो। सबके गुण अपनी हमेशा गलतियां देखा करो।

जब हम कोई बड़ी उपलब्धि हासिल करना चाहते हैं तो हमको सेवी भाव बन कर अपनी वैचारिक शूचिता का प्रमाण देना होगा। असंख्य सीढ़ियों की इस यात्रा में पहला कदम बढ़ाने का अवसर हमको सेवा-भावना से ही मिल सकता है। कहा जाता है कि विनम्रता विजय प्राप्ति की पहली सीढ़ी है, जहां कदम रखने के बाद आगे के सोपान सहज मिलते जाते हैं। दूजे के ओठों को देकर अपने गीत फिर दुनिया से बोल। एक दिन मिट जायेगा माटी के मोल। जग में रह जायेंगे यारा तेरे बोल।

निरंतर अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाला खुद-ब-खुद हीरो हो जाता है। यहां सुपरमैन का किरदार निभाने वाले क्रिस्टोफर की बात सुननी चाहिए। वह कहते हैं कि सुपरमैन एक आम व्यक्ति जैसा ही होता है, लेकिन वह मुश्किलों को टालने की बजाय उन्हें हल करने की कोशिश करता है। वह भावनाओं की ताकत पर जोर देते हैं। यदि हम मदद, सहानुभूति, दया, संवेदना आदि से भरे हों, तो भीतर का सर्वश्रेष्ठ आसानी से बाहर आता है। यही वजह है कि आज आई.क्यू. से अधिक ई.क्यू. यानी इमोशनल इंटेलिजेंस महत्वपूर्ण माना जाता है। स्वामी विवेकानंद के अनुसार संकल्प वह चमत्कारी जादू है, जिसे दैनिक जीवन में नियमित रूप से अपनाने से मानव का कायाकल्प हो जाता है।

महान सुधारवादी काल्विन ने कहा कि मनुष्य की नियति तय है। लेकिन उनका यह कहना जड़ता का समर्थन नहीं करता। उन्होंने कहा कि मनुष्य की नियति है वह ईमानदारी से कर्मयोगी बने और समाज को अपना सर्वोत्तम दे। विन्सेंट वाॅन गाॅग की जीवनी में लिखा है, ‘मनुष्य संसार में केवल प्रसन्न होने नहीं आया है। वह श्रेष्ठता का सृजन करने भी आया है। इस श्रेष्ठता को वह उदारता और ईमानदारी से प्राप्त करने आया है। मनुष्य अपनी उन क्षुद्रताओं पर विजय प्राप्त करने आया है, जिनमें अधिकतर लोगों का जीवन घिसटता है। हर धर्म यही कहता है कि लोकहित के लिए जीते हुए ‘‘दूसरों के भले में अपना भला’’ के सूत्र को अपनाये। ऐसा करके हम दूसरों के लिए जीने की आस बन जाते हैं।

हौसले और जज्बे की कोई आयु सीमा नहीं होती। अगर इंसान चाहे तो खुद को किसी भी क्षमता से ऊपर उठा सकता है। 105 साल की उम्र में लगातार एक घंटे साइकिल चलाकर जर्मनी के राॅबर्ट मारचंद ने यह साबित कर दिया। उन्होंने लगभग साढ़े बाइस किलोमीटर तक साइकिल चलाकर विश्व रिकाॅर्ड बनाया है। उस विचार को धरती तथा आकाश की कोई ताकत रोक नहीं सकती जिस विचार का साकार होने का समय आ गया हो। आज का विचार है अपने प्रत्येक क्षण को लोकहित के मकसद से जीना है।

26 वर्षीय संदीप माहेश्वरी ने साल 2006 में अपनी वेबसाइट इमेजेजबाजार लाॅन्च की। थोड़ी सी तस्वीरों के साथ शुरूआत करने वाली उनकी वेबसाइट पर आज सबसे ज्यादा भारतीय तस्वीरें हैं। इस वेबसाइट के 45 देशों में सात हजार से ज्यादा हैं और उनकी वर्ष भर की कमाई करोड़ों में है। संदीप माहेश्वरी का कहना है कि अच्छा बोलने, देखने और सुनने से नेगेटिव एनर्जी बाहर निकल जाती है। संदीप के जीवन का फंडा है कि मैं दुनिया को बदलने की कोशिश नहीं करता, बल्कि सिर्फ खुद पर काम करता हूं और खुद को ठीक रखने की कोशिश करता हूँ। असली कामयाबी भौतिक चीजों में नहीं, बल्कि उसमें है, जिसके बाद आप हर चीज गंवाकर भी हंसते-हंसते मर सकें। नये साल में नासकाॅम की स्टार्टअप रिपोर्ट 2016 में बेंगलुरू में दुनिया के सबसे युवा टेक पेशेवरों के होने की बात कहीं गई है। यहां कार्यरत इंजीनियरों की औसत उम्र 25 साल है, जो सिलिकाॅन वैली के 36 वर्ष से काफी कम है। शहर के 70 प्रतिशत स्टार्टअप तकनीक की गहरी समझ रखने वाले युवा चला रहे हैं।

अमेरिका की प्रतिष्ठित फोब्र्स पत्रिका की 2017 की सुपर अचीवर्स की सूची में भारतीय मूल के 30 इनोवेटर और उद्यमियों ने स्थान बनाया है। इस सूची में उन लोगों को शामिल किया गया है जिनकी उम्र 30 से कम है और अपने काम से दुनिया और यथास्थिति को बदलने में यकीन रखते हैं। इनमें शामिल कुछ दिग्गजों को – शिशुओं के इलाज के लिए सराहना मिली, डाक्टरों के बीच संवाद आसान, ड्रोन से इलाज को बढ़ावा दे रहीं, परीक्षण तकनीक बनाई, पर्यावरण संरक्षण को दे रहे बढ़ावा, किसान नेटवर्क बन रहा आदि-आदि। भारतीय मूल के 30 दिग्गजों के कुछ अलग करने के जज्बे को लाखों सलाम। भारत विश्व का सबसे युवा देश है। भारत ही विश्व में एकता तथा शान्ति स्थापित करेगा। भारत के सभी 125 करोड़ लोग देश के असली नेता तथा असली हीरो हंै। भारत प्रत्येक युवा का जुनून होना चाहिए। विनोबा भावे का कहना है कि नई चीज सीखने की जिसने आशा छोड़ दी, वह बूढ़ा है आइये मिलकर संकल्प करें कि मेरे प्रत्येक विचार तथा कार्य व्यवसाय शुभ और कल्याणकारी हो।

प्रदीप कुमार सिंह, शैक्षिक एवं वैश्विक चिन्तक
पता– बी-901, आशीर्वाद, उद्यान-2
एल्डिको, रायबरेली रोड, लखनऊ-226025
मो. 9839423719

धरती को