प्रत्येक बालक को सबसे पहले एक अच्छा इंसान बनायें!
बालक परमपिता परमात्मा की सर्वोच्च कृति हैः-
प्रत्येक बालक अवतार की तरह पवित्र, दयालु तथा ईश्वरीय प्रकाश से प्रकाशित हृदय लेकर इस धरती पर अवतरित होता है। परमात्मा की मानव प्राणी पर यह विशेष कृपा है कि वह अपने प्रत्येक मानव पुत्र को पवित्र, दयालु तथा ईश्वरीय प्रकाश का अनमोल उपहार देकर उत्पन्न करता है। इस ईश्वरीय गुण को विकसित करके किसी भी बालक को ईश्वर भक्त बनाने में सबसे ज्यादा योगदान उसके परिवार और उसके विद्यालय का होता है। इसलिए परिवार में माता-पिता तथा विद्यालय में शिक्षक यदि अपनी जिम्मेदारियों को पूरी तरह से निभाये तो ईश्वरीय गुणों से परिपूर्ण बालक सारे विश्व को सुन्दर और सुरक्षित बना सकता है।
बच्चे के चिंतन को आध्यात्मिक बनाने में उसके माता-पिता का सर्वाधिक योगदान होता हैः-
बच्चे का शरीर तो भौतिक है और अगर ऐसे में उसका चिंतन भी भौतिक बन गया तो वह ‘पशु’ के समान हो जायेगा। वास्तव में बच्चे के चिंतन को आध्यात्मिक बनाने में उसके माता-पिता का सर्वाधिक योगदान होता है क्योंकि वे ही उसके प्रथम शिक्षक होते हैं। ऐसे में अगर कोई बच्चा बचपन से अपने परिवार में ईश्वर की प्रार्थना को देखता है, परिवार के सभी सदस्यों को आपस में प्रेमपूर्ण व्यवहार करते हुए देखता है, मेहनत के साथ परिवार के सभी सदस्यों को काम करते हुए व परामर्श करते हुए देखता है तो उसका चिंतन आध्यात्मिक बन जाता है और वह स्वयं बड़ा होकर उसी प्रकार का अच्छा व्यवहार करता है। इसके विपरीत यदि वह बच्चा घर, स्कूल तथा समाज में अशांति देखेगा, तर्क-वितर्क आदि देखेगा तो वह वैसा ही खराब बन जाता है। इसलिए हमें अपने बालक को जैसा बनाना है उसके लिए हमें पहले स्वयं ही वैसा बनना होगा।
ईश्वर भक्त बालक कभी भी अपने ज्ञान को विनाश की ओर नहीं लगायेगाः-
आधुनिक स्कूल की सामाजिक जिम्मेदारी है कि वह वर्तमान सामाजिक आवश्यकता के अनुरूप सर्वश्रेष्ठ (1) भौतिक ज्ञान (2) सामाजिक ज्ञान तथा (3) आध्यात्मिक ज्ञान की शिक्षा देकर उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास करें। ईश्वर भक्त बालक कभी भी अपने ज्ञान को विनाश की ओर नहीं लगायेगा। वह अपने ज्ञान का उपयोग ईश्वर की सृष्टि को और भी अधिक सुन्दर और सुरक्षित तथा सारी मानवजाति के उत्थान की ओर लगायेगा। इसलिए एक आधुनिक विद्यालय को सबसे पहले प्रत्येक बालक के अन्तरिक गुणों को विकसित करके उसे नेक इंसान बनाना चाहिए। वास्तव में ऐसे ही श्रेष्ठ बालकों के द्वारा धरती पर स्वर्ग अर्थात ईश्वरीय सभ्यता की स्थापना होगी।
हमें प्रत्येक बालक को सबसे पहले एक अच्छा इंसान बनाना है!
हमें प्रत्येक बच्चे को सर्वोत्तम शिक्षा देकर उन्हें एक अच्छा डाॅक्टर, इंजीनियर, न्यायिक एवं प्रशासनिक अधिकारी बनाने के साथ ही उसे एक अच्छा इंसान भी बनाना है क्योंकि सामाजिक ज्ञान के अभाव में जहाँ एक ओर बच्चा समाज को सही दिशा देने में असमर्थ रहता है तो वहीं दूसरी ओर आध्यात्मिक ज्ञान के अभाव में वह गलत निर्णय लेकर अपने साथ ही अपने परिवार, समाज, देश तथा विश्व को भी विनाश की ओर ले जाने का कारण भी बन जाता है। इसलिए प्रत्येक बच्चे को सर्वोत्तम भौतिक शिक्षा के साथ ही साथ उसे एक सभ्य समाज में रहने के लिए सर्वोत्तम मानवीय शिक्षा तथा आज की बाल एवं युवा पीढ़ी के साथ ही आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुन्दर एवं सुरक्षित समाज के निर्माण के लिए बुद्धिमत्तापूर्ण निर्णय लेने के लिए सर्वोत्तम आध्यात्मिक शिक्षा भी देनी होगी।
– डा. जगदीश गांधी, शिक्षाविद् एवं
संस्थापक-प्रबन्धक, सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ