पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि करण और उसके दोस्तों को ऋषि वेदव्यास जी मिल जाते हैं। इसके बाद करण और सितारा दोनों भूतकाल में जाकर लव को बचा लेते हैं और लव वापस आ जाता है। लव के वापस आने के बाद सभी ऋषि वेदव्यास जी को उनकी सहायता करने के लिए धन्यवाद करते हैं। बुलबुल:- बाबा आपका हमारी सहायता करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। करण:- हां बाबा अगर आप नहीं होते तो, हम अपने
पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि करण और उसके दोस्त एक जादुई जंगल को पार करने के बाद एक बड़ी सी गुफा में पहुंच जाते हैं और वहां पर उन्हें ऋषि वेदव्यास जी मिल जाते हैं। जो कि उन्हें लव को बचाने का उपाय भी बता देते हैं। उसके बाद ऋषि वेदव्यास जी यज्ञ आरंभ कर देते हैं। तब सभी यज्ञ में बैठ जाते हैं और फिर एक तेज रोशनी प्रकाशित होती है, जिसके
नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि करण और उसके दोस्त एक जादुई जंगल में थे। वहां पर एक जादुई फूल ने कुश को निघल लिया था। नैरेटर:- जब सभी रो रहे थे, तभी पीछे से कुश आ जाता है और सभी उसे देखकर बहुत ज्यादा हैरान हो जाते है। पहले तो सभी को लगता है कि वह कुश का भूत हैं, परंतु उसके बाद……. करण:- कुश तुम ठीक तो हो ना? कुश:- हां करण फिलहाल
नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि करण और उसके दोस्त एक जादुई जंगल में पहुंचने के बाद वें सभी रात को कुटिया में आराम कर रहे थे। उसके बाद उन्हें बहुत ही अजीबो गरीब आवाज सुनाई देती है। जिसके बाद वें सभी बाहर जाकर देखते हैं कि वहां पर बहुत सारे जादुई फूल आ गए थे और उनमें से एक फूल ने कुश को निघल लिया था। नैरेटर:- फूल के द्वारा कुश को
नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि करण और उसके दोस्त एक जादुई जंगल में पहुंच गए थे। वहां पर फल खाने के बाद वे सभी एक कुटिया में रात को सो रहे थे। तभी उन्हें वहां पर बहुत अजीब सी आवाज सुनाई देती है। उसके बाद जब करण और करमजीत कुटिया के बाहर जाकर देखते हैं तो वह काफी हैरान हो जाते हैं। तो चलिए देखते हैं कि करण और करमजीत ने
नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि करण और उसके दोस्तों ने बुढ़ी राक्षसी के साथ मिलकर उस शैतान को खत्म कर दिया था। उसके बाद कारण और उसके दोस्त महाराज को होश में लाने के लिए उनके पास काड़ा लेकर जाते हैं। उसके बाद महाराज फिर से अपने सैनिकों को करण और उसके सभी दोस्तों को तहखाने में डालने का आदेश देते हैं। महाराज:- सैनिको बंदी बना लो इन्हें। करण:- महाराज कृपया करके हमारी
नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि करण और उसके दोस्तों को शैतान ने अपने काबू में कर लिया था परंतु राक्षसी महारानी ने उन सब को वापस होश में लाने में सहायता की। उसके बाद वे सभी बूढ़ी राक्षसी के पास आ जाते हैं जहां पर वह बूढ़ी राक्षसी एक जादूई काडा तैयार करने के लिए बगीचे से सामग्रियां लेने चली जाती है। नैरेटर:- तभी वहां पर राक्षसी महारानी बेहोश हो जाती है। शुगर:-
नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि करण और उसके दोस्तों को शैतान ने अपने काबू में कर लिया था उसके बाद वह शैतान वहां से गायब हो गया था। फिर वो दोनों राक्षस अपनी आगे की पूजा आरंभ कर देते हैं। राक्षस 3:- शुक्र है हमारी आज की पूजा समय पर समाप्त हो गई नहीं तो मालिक हमें बहुत बड़ी सजा देते। राक्षस 1:- हां तुमने सही कहा। उनके आने से पहले हमें फिर
नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि करण और उसके दोस्तों ने राक्षस महाराज को सब सच बताने का प्रयास किया परंतु किसी ने भी उनकी बातों पर विश्वास नहीं किया और उन्हें फिर से कारागार में बंद कर दिया था। उसके बाद फिर वे सभी कारागार से निकलकर उन दोनों राक्षसों के कमरे में चले गए थे। वहां जाने के बाद उन्होंने बहुत सी अजीबो गरीब चीजें देखी। तो क्या आज करण
नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि करण और उसके दोस्त सभी एक नदी में राक्षसों के महल में पहुंच गए थे। वहां पर उन्होंने देखा था कि महल के दो राक्षस काले जादू की सहायता से वहां के महाराज को मारना चाहते हैं और खुद वहां का साम्राज्य हडपना चाहते हैं। उसके बाद करण और उसके सभी दोस्त मिलकर महाराज को सच बताने उनके कक्ष में चले गए थे परंतु महाराज उनकी
नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि करण और उसके दोस्तों ने नागराज की सहायता से उस राक्षस को श्राप मुक्त किया। उसके बाद कमल अपने श्राप से मुक्त होने के बाद करण और उसके दोस्तों के साथ महर्षि वशिष्ठ को ढूंढने के लिए उनके साथ यात्रा आरंभ कर देता है। उसके बाद वे सभी एक बड़े से नदी के पास पहुंच जाते हैं जिसे वे एक नाव के द्वारा पार करने का
नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि करण और उसके सभी दोस्तों ने गुरुजी की खोज में अपनी यात्रा आरंभ कर दी थी। उसके बाद वे सभी जंगल में एक गड्ढे में गिर जाते हैं, तब वे अपनी सहायता के लिए नागराज को बुलाते हैं। उसके बाद वे सभी एक राक्षस का सामना कर रहे थे, जो अपने कई रूप बना लेता है। करमजीत:- इन राक्षसों की संख्या तो बढ़ती ही जा रही है। करण:-
नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि लव सितारा के साथ अपने भविष्य स्वरूप को देखने चला गया था। जहां पर लव को उसका भविष्य स्वरूप देख लेता है। परंतु वह यह बात सितारा तथा अपने बाकी मित्रों से छुपा कर रखता है। नैरेटर:- जब अगली सुबह सभी सोकर उठते हैं तब उन्हें लव पूरे घर में कहीं भी नजर नहीं आता। वें उसे हर जगह ढूंढने का प्रयास करते हैं परंतु वे
नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि सितारा का श्राप टूट चुका था और लव भविष्य में ही रहने की जिद कर रहा था। वह देखना चाहता था कि वह भविष्य में क्या कर रहा होगा। नैरेटर:- लव सभी से जिद करता है कि वह देखना चाहता है कि कल को उसका भविष्य कैसा होगा। बाबा और उसके बाकी सभी मित्र उसे ऐसा करने से मना करते हैं, पर वह उनकी कोई बात नहीं
नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि करण और उसके सभी दोस्त घर वापस आ गए थे। उन्हें सितारा का श्राप तुडवाने के लिए हवन करना था। उनके संदूक की चाबी भी खो गई थी। मुनी:- आपको उस चाबी को वापस पाने के लिए थोड़ा कष्ट उठाना होगा। लव:- मुनी जी क्या हमें फिर से किसी राक्षस का सामना करना होगा। मुनी:- हां एक शैतान राक्षस है। लव:- नहींईईई….. अब फिर से राक्षस नहीं। मुनी:- चिंता मत करो,
नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि करण और उसके सभी दोस्तों को वह संदूक मिल गया था, जिसके अंदर वह चारों सामग्रियां थी। उसके बाद वे सभी जंगल में सो गए थे, परंतु जब लव सुबह सो कर उठता है तो उसे संदूक अपने आसपास वह कहीं भी नहीं दिखता, तो वह इस बात से बहुत ज्यादा घबरा जाता है। नैरेटर:- रात को सभी वहां पर सो गए थे, जब लव को संदूक
नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि करण और उसके सभी दोस्त उस महल में थे और जब वह खाना खाकर रात को सोने लगे, तब उनका शरीर पिघलना शुरू हो गया था। नैरेटर:- उसके बाद करण और उसके सभी दोस्त पूरे महल में छान-बिन करने लग जाते हैं कि आखिर उनके साथ ऐसा क्यों हो रहा है और वह इस मुसिबत से कैसे बाहर निकल सकते हैं? शुगर:- दोस्तों अब हम सब क्या करेंगे?
नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा कि नागराज की सहायता से करण ने उस राक्षस को खत्म कर दिया था। उसके बाद वे सभी जंगल में चले गए थे, जहां पर उन्हें एक कुटिया में रहने का स्थान मिला था। वे रात को उस कुटिया में सोए थे, परंतु जब वे सभी सुबह सोकर उठे तो उन्होंने खुद को एक अजीब से महल में पाया। नैरेटर:- करण और उसके सभी मित्र जब सो कर उठते
नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा कि राक्षस ने नागराज को घायल कर दिया था। उसके बाद करण ने मणी की सहायता से राक्षस से युद्ध करके उसे घायल कर दिया था, परंतु राक्षस वापस जिंदा हो गया था। नैरेटर:- बरकासुर फिर से जिंदा हो जाता है, तब यह देखकर सभी हैरान हो जाते हैं और यह सोचने लगते है कि वह इस राक्षस को कैसे खत्म करेंगे? तेजिंद्र सिंह:- ओए इ रक्षस तो फिर से
नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा कि राक्षस ने करमजीत और लव को निघल लिया था परंतु तेजिंद्र सिंह ने उन दोनों को राक्षस के पेट से बाहर निकाल लिया था। उसके बाद वे सभी एक जंगल में आ गए थे, जहां पर वे सभी फल तोड़कर खा रहे थे। परंतु तभी उन्हें कुछ सैनिक घेर लेते हैं और साथ ही करण उन सैनिकों से अपने सभी दोस्तों को बंदी बनाने का आदेश देता
नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा कि करण और उस के बाकी मित्र सितारा का श्राप तुड़वाने के लिए नीलगिरी पर्वत पर सामग्रियां लेने जाते हैं। तब वहां पर उन्हें एक राक्षस मिलता है और वह राक्षस करमजीत और लव को निघल जाता है। कुश :- नहीं….. लव, करमजीत यह क्या हो गया यह राक्षस तो दोनों को ही निघल गया। अब क्या होगा करण क्या हम करमजीत और लव को वापस कभी नहीं देख
नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा कि करण और उस के बाकी मित्र सितारा का श्राप तुड़वाने के लिए भविष्य में चले गए थे। बड़ी मुश्किल से उन सभी को बाबा मिल जाते हैं। जहां हमें यह भी पता चलता है कि टॉबी अपने पूर्वजन्म में तेजिंदर और सुनीता का पालतू पशु गुल्लू ही था। नैरेटर:- अब बाबा सभी को यह बताते हैं कि सितारा का श्राप किस तरीके से टूट सकता है। बाबा:- बच्चों, सितारा
पिछले एपिसोड में आप ने देखा कि करण और उस के बाकी मित्र सितारा का श्राप तुड़वाने के लिए भविष्य में चले गए थे, जहां पर उन की उम्र बढ़ गई थी। बड़ी मुश्किल से उन सभी को बाबा मिल जाते हैं। वहीं बाबा का मुनि नामक खरगोश भी बाबा के साथ रहता है और मुनि का एक परिवार भी है। एक सुबह टॉबी अचानक शुगर से शादी करने की जिद पकड़ लेता है। टॉबी बार-बार
पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि सितारा को श्राप से मुक्त करवाने के लिए सभी मित्र खतरनाक गुफाओं की ओर गए थे। जहां पर उन्हें दो बार जानलेवा मुसीबत का सामना करना पड़ा था। लेकिन करण की चतुराई के कारण वे सभी साधु बाबा तक पहुंच गए थे। वहीं कहानी के अंत में आप ने यह भी देखा था कि बुलबुल से सारी सच्चाई सुन कर बाबा सितारा का श्राप तुड़वाने के लिए
तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि टॉबी तजिन्दर सिंह और सुनीता जी के पालतू पशु गुल्लू की तरह व्यवहार कर रहा था। वहीं कहानी के अंत में आप ने देखा था कि सितारा भी एक बच्चे की तरह व्यवहार कर रहा था। क्योंकि उसे एक साधु ने श्राप दे दिया था और उस ने अपनी याददाश्त खो दी थी। सितारा टॉबी के साथ खेल रहा था.. और टॉबी कों बहुत परेशान कर रहा था।
तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि सितारा ; करण और उस के मित्रों को अपनी दुनिया से वापस इंसानी दुनिया में ले आया था और तभी वे लोग तजिंदर सिंह के गांव में भी पहुंच गए थे। वही कहानी के अंत में आप ने देखा था कि टॉबी की नजर एक कपड़े की गेंद पर जाती है। और उस गेंद को देखने के बाद वह कुछ ऐसा बोलता है जिसे सुन कर तजिन्दर
तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि मणि सियार करण और बाकी लोगो से लड़ाई करने लगा था। वहीं टॉबी को कुछ अहसास होता है, फिर बुलबुल के लाल रंग डालने पर वहां एक परछाई बन गई थी जो कि किसी दूसरे प्राणी की थी। तो आखिर वह कौन था और वहां पर किस मकसद से आया था। चलिए आगे जानते हैं- तो सभी मित्र उस परछाई के पीछे-पीछे गए थे, लेकिन वह परछाई कहीं गायब
तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि सितारा के गांव में मेला लगा है और सभी मित्र उस मेले में जाते है जहां वे खूब मौज मस्ती करते हैं। इस के बाद सभी लोग बन्नू चाचा की दुकान पर भी गए थे जहां पर सितारा चाचा की मुर्गी को पकड़ने का प्रयास करता है। पहले तो वह इस कार्य में बार बार असफल हो रहा था लेकिन बाद में वह चतुराई से वह
तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा कि करण और बाकी लोग उस सरदार को हरा कर अपनी दुनिया में वापस लौट चुके थे। लेकिन वहीं सितारा के गांव में एक और मुसीबत भी आन पड़ी थी। कुछ भयानक फूल गांव वासियों को खा रहे थे। इस के साथ ही आप ने देखा कि सभी मित्रों के सूझबूझ से यह मुसीबत भी टल गई थी। लेकिन क्या सच में मुसीबत टल गई थी?? सभी फूल सूख
पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि किस तरीके से सरदार ने सितारा को अपने वश में कर लिया था। जिस से वहां पर बहुत तबाही मच गई थी। वहीं सरदार अपने बड़े-बड़े लड़ाकुओं से कर्ण का युद्ध भी करवाता भी है। वहीं अंत मे सितारा ने सही जादू कर के सभी की जान भी बचा ली थी। तो सितारा ने सेना के सभी आदमियों को बच्चे मे परिवर्तित कर दिया था और इसी के
पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि लव को उन प्राणियों की दुनिया के बारे में कुछ बातें पता चल गई थी। जिस से कर्ण और उस के साथी जादुई दुनिया में जाने में समर्थ हो पाए थे। वहीं सभी लोग निर्णय लेते हैं कि वे लोग सरदार से बात करेंगे और इसी दौरान गगन वहां आ कर बताता है कि सितारा की मां की मृत्यु हो चुकी है। सितारा का रो रो कर बुरा
पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि गगन और उस के मित्र सितारा के पिता जी और करण के ऊपर हमला कर देते हैं। लेकिन तभी मौके पर गांव वाले आ जाते हैं जिस के कारण उन दोनों की जान बच जाती है। वहीं अचानक लव गायब हो जाता है और पास की पहाड़ी पर पव मिल जाता है, जहाँ वो चीतों को भी देखते हैं। उन चीतों के जाने के बाद, सभी झाड़ियों से
तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि कुछ प्राणियों और उन की सेना ने सितारा के गांव के लोगों पर हमला कर दिया था। करमजीत और बाकी लोग उस की सेना को हरा तो देते हैं लेकिन अंत में सितारा की मां की जान खतरे में पड़ जाती है। क्योंकि सितारा की मां का अपहरण हो गया था। सभी बहुत परेशान थे और सितारा की माँ को बचाने के बारे में सोच रहे थे। सितारा-
पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि करमजीत की चोटी ठीक हो गई है। वही जब अपना कार्य पूर्ण कर के सभी मित्र वापस लौट रहे होते हैं तो अचानक से सितारा कहीं गायब हो जाता है और वहीं उन सभी को रास्ते में मैरीगोल्ड मिलती है। टॉबी मेरीगोल्ड की बहुत परवाह कर रहा था जिस से शुगर को जलन हो रही थी। तभी वहां सितारा आ जाता है। जैसे ही सितारा आया, वैसे ही
तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा कि नारु नाम के एक व्यक्ति की जादुई टोपी उड़ कर सभी मित्रों के पास आ जाती है। लेकिन उस व्यक्ति को लगता है कि इन सभी ने ही उस की जादुई टोपी चुराई है। इसलिए वह करण और बाकी लोगों पर हमला भी करता है लेकिन अंत में सब कुछ ठीक हो गया था और नारु भी अपनी जादुई टोपी ले कर वहां से निकल चुका है। सभी
तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि कर्ण और उस के सभी मित्र मिल कर करमजीत की चोटी ठीक करने के लिए एक व्यक्ति के पास गए हुए हैं लेकिन वहां पर चोटी ठीक होने के बजाय सब उल्टा ही हो जाता है। इस के साथ कहानी के अंत में आप ने देखा था कि तेज हवाएं चलने लगती है जिस के कारण एक जादुई टोपी उड़ कर उन के पास आती है। उस
तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि करण और उस के बाकी मित्र सितारा की दुनिया में आ गए हैं। जहां पर सितारा का भी एक गांव और परिवार था। वहीं गाँव मे सभी मित्रों ने वीरू नाम के एक सांप को सितारा के गाँव से बड़ी बहादुरी और चतुराई से भगा दिया था। तो गाँव वाले करण और उस के मित्रों की बहादुरी और चतुराई देख कर उन की बहुत तारीफ कर रहे
तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि सब कुछ ठीक हो चुका है। सुनहरी चिड़िया अब राजकुमारी चंदा बन गयी है। राजकुमारी चंदा अपने माता-पिता के साथ अपनी दुनिया में वापस चली गई है और वधिराज भी अपनी दुनिया में वापस चला गया है। वहीं उन सभी को एक प्यारा सा जादुई प्राणी मिला है, जिस का नाम सितारा है जो उन्हें अपनी दुनिया में ले गया है। सितारा सभी दोस्तों को ना हंसने
तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि राजकुमारी चंदा का श्राप टूट चुका है और उन्हें अपना मनुष्य रूप वापस प्राप्त हो गया है। लेकिन इतना बड़ा कार्य पूर्ण होने में साहसी करण और उस के मित्र के अलावा अन्य कई लोगों का भी योगदान था। इस के अलावा अंत में करण को एक बहुत प्यार नया मित्र भी मिल गया है। नए मित्र को देख कर सभी लोग दंग रह जाते हैं क्योंकि
पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि उन की मदद करने वाली उस बूढी अम्मा की मौत हो चुकी थी। उस के बाद वहां पर बहुत बड़े-बड़े ओले भी बरसने लगते हैं , परेशानी पैदा करने वाले बड़े बड़े नेत्र जो उन का पीछा कर रहे थे। अंत में इन सबसे परेशान होकर चिड़िया उस के साथ चलने के लिए राजी भी हो गयी थी। नेत्र/ आवाज- "हा हा हा, यह तो होना ही था,
पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि सभी दोस्त एक बूढी अम्मा के घर में रुके हुए थे और इसी दौरान एक नकाबपोश आदमी कर्मजीत पर हमला करता है। वहीं कोई बहरूपिया बूढी अम्मा का रूप ले कर उन सभी मित्रों पर हमला करता है। सब कुछ ठीक होता नजर आता है कि अचानक एक आदमी करन के ऊपर तीर चला देता है। तीर बड़ी तेजी से कर्ण की तरफ आ रहा था.. लेकिन वह
पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि कर्ण और उस के मित्रों की सहायता से शीतल अपनी बहन वंदना का श्राप तुड़वा देती है। यह काम थोड़ा मुश्किल तो था लेकिन सभी की बहादुरी और चतुराई से यह कार्य आसानी से सफल हो गया था। तो आइये अब देखते हैं कि इस तिलिस्मी दुनिया में आगे क्या होता है:- मयूर अपनी प्रेमिका वंदना को वहां पर देख कर बहुत खुश था, और उन की खुशी
पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि बोकाल नाम का राक्षस गोरेपुर गाँव के लोगो को परेशान करता है। वह ऐसा इसलिए करता है क्योंकि उस की जादुई चक्की कहीं खो गई थी। तो सभी मित्र मिल कर उस की जादुई चक्की को ढूंढ लेते हैं और बोकाल के पास जाते हैं। बोकाल अपनी जादुई चक्की को देख कर बहुत खुश हो जाता है। बुलबुल- "हम आप की चक्की ले आये हैं!! बोकाल- "वाह, यह कमाल कैसे
तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि युगायु नाम का गांव का सरदार करण और उस के मित्र से सहायता मांगता है। इस के बाद सभी मित्र गाँव की चमत्कारी पुस्तक उस बाज से लेने जाते हैं लेकिन ऐसा नही हो पाता। लेकिन वही बाद में युगायु का हमशक्ल रंजन आ कर सारी सच्चाई बता देता है। युगायु की भी मौत हो चुकी थी। आखिर में उन को पुस्तक मिल जाती है। युगायु की
तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि महारानी दिग्पाला की सच्चाई सब के सामने आ गई है और सभी को पता चल गया है कि राजकुमारी पौर्णिमा का ये हाल इन दो मां बेटी की वजह से ही हुआ है। वही सभी मित्रों की चतुराई और बहादुरी के कारण राजकुमारी पौर्णिमा का श्राप भी टूट गया है। पौर्णिमा का श्राप टूटते ही वो असली रूप मे आ जाती है। जबकि राजकुमारी दिया अब कुरूप
पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि सभी बच्चों को अपने रास्ते मे एक छोटी बच्ची मिली थी लेकिन उस बच्ची को कौवे के राजा और उस के सैनिक वहां से उठा कर ले गए थे। लेकिन जब सभी मित्र उस बच्ची को बचाने के लिए कौवे राजा के राज्य मे गए थे तो सभी मित्र फंसे रह जाते हैं क्योंकि बच्ची नें राजा कल्पी वध अकेले ही कर दिया था। और कुलकु को
तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि कर्मजीत का बहरूपिया उन सभी बीच में उपस्थित था और किसी को कुछ भी पता नहीं था। और इसी कारण कबीले वाले करण को मारने वाले भी थे लेकिन तभी सही वक्त पर असली करमजीत वहां पर आ जाता है और सब कुछ ठीक हो जाता है। करन- "लेकिन करमजीत यह समझ में नहीं आया कि वह बहरूपिया कौन था? " वधिराज- "मुझे लगता है कि वह राजकुमारी
तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि सभी मित्र एक ऐसे राज्य में चले गए थे, जहां पर सूखा पड़ा हुआ था.. और उस का ऐसा हाल आलोक नाम के एक क्रूर राजा की वजह से हुआ था। वही करण और उस के मित्र उस राज्य की समस्या का समाधान करने का प्रयास करते हैं। अंत मे, वो एक चुड़ैल को पिंजरे में बन्द कर के मुक्त करवा देते हैं, इस के बाद
पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि सभी मित्रों को मल्ल और उस के भाई की सहायता मिली थी, जिस के कारण वे लोग राजकुमारी से बच कर निकल जाते है। वहीं रविंद्र नें राजकुमारी को भी मार दिया है। वे लोग आगे बढ़ते हैं तो वहां पर एक राक्षस सब की जान लेने का प्रयत्न करता है, तभी रानू आ कर उन की सहायता करती है बुलबुल- "लगता है ये लोहे के सामान इस राक्षस
पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि सभी मित्रों को राजकुमारी स्वरा झूठ बोल कर अपने जाल में फंसा लेती है और उन सभी से अपना गलत मकसद पूरा करवा लेती है। आखिर में सब की जान खतरे मे भी आ जाती है लेकिन एक आदमी सही मौके पर आ कर उन सभी को बचा लेता है और वो सेनापति मल्ल जैसा दिख रहा था। पर कौन था वो, आइये देखते हैं इस एपिसोड में कर्ण-
पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि सभी मित्रों को राजकुमारी स्वरा झूठ बोल कर अपने जाल में फंसा लेती है और उन सभी से अपना गलत मकसद पूरा करवा लेती है। आखिर में सब की जान खतरे मे भी आ जाती है लेकिन एक आदमी सही मौके पर आ कर उन सभी को बचा लेता है और वो सेनापति मल्ल जैसा दिख रहा था। कर्ण- "सेनापति मल्ल तो इसी महल में कैद हैं!! तो
पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि सभी मित्रों को किसी गुफा से हो कर गुजरना पड़ा था और इस गुफा में एक अशोकी नाम की स्त्री ताबूत मे कैद थी। अशोकी ने इन सभी को अपनी बातों में फंसा लिया था और खुद को आजाद करवा लिया था। वहीं इस के बाद सभी मित्रों को इसका दुष्परिणाम भी भुगतना पड़ा था। लेकिन कर्ण और उस के दोस्त अशोकी से लड़ाई जीत चुके थे
तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि सभी मित्रों को आगे जाने के लिए पुल पार करना था लेकिन वहां का रक्षक राक्षस उन्हें आगे बढ़ने नहीं दे रहा था। साथ ही वह राक्षस उन के साथ छल भी करता है। लेकिन अंत में बुलबुल मौका पा कर उस पुल को पत्थर में बदल देती है और उस के बाद वे लोग खाई को पार कर लेते हैं। सब लोग पुल पार कर के दूसरी
तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि तालाब की रानी किस तरीके से अपनी खोई हुई अंगूठी करण और करमजीत से ढूंढ़वा लेती है। और तालाब में अंगूठी ढूंढते समय करमजीत का हाथ भी कट जाता है। करण सुबह होने से पहले ही उस अंगूठी को ढूंढ लेता है, और इसी वजह से रानी को करण के सारे मित्रों को वापस जीवित करना पड़ता है। अंत में सब कुछ सही हो जाता है। बुलबुल- "करन,
पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि टॉबी को तीर लग गया था। लेकिन करण और उस के मित्रों को उस सैनिक द्वारा टॉबी को ठीक करने का तरीका पता चल गया था। और उस की बताई हुई जगह पर जाने के बाद वहां का राजा एक उपाय करता है, और टॉबी की जान बच जाती है। राजा- "तुम सब काफ़ी होशियार हो बच्चो!" बुलबुल- " आप का धन्यवाद महाराज!" राजा- "चलो तुम सभी की होशियारी के
पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि चील रानी के भाई ने करण और उस के मित्रों पर हमला कर दिया था लेकिन अपनी बहादुरी से उन लोगों ने सब को हरा दिया था। लेकिन चील सेना में से एक सैनिक बच गया था जिस ने चालाकी से टॉबी को तीर मार दिया था। बुलबुल- "वह सैनिक यहां से ज्यादा दूर नहीं गया होगा, मुझे विश्वास है कि हम उसे ढूंढ लेंगे!" लव- "मुझे एक उपाय
तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि रानी चमगादड़ की बहन आमला को एक श्राप मिला था। जिस से रानी और उस की बहन बहुत ज्यादा दुखी थी.. लेकिन सुनहरी चिड़िया और करण के मित्रों की सूझबूझ से इस परेशानी का भी हल ढूंढ लिया जाता है। और मुश्किल से आमला का श्राप टूट जाता है और सभी खुश हो जाते हैं। चमगादड़ रानी- "करन, आप सब ने तो चमत्कार ही कर दिया, सच
तो पिछले एपिसोड मे आप ने देखा था कि गांव वासियों पर मादा चमगादड़ की सेना ने हमला कर दिया था जिस के कारण गांव में अफरा-तफरी मच गई थी। लेकिन वहीं जब चमगादड सेना की दुश्मन चील सेना वहां पर पहुंच जाती हैं तो चमगादड़ सेना डर जाती है. और तभी करण उन की सहायता करता है. तब चमगादड़ की रानी को पता चलता है कि करण एक अच्छा बालक है। सुनहरी चिड़िया- "रानी जी
पिछले एपिसोड मे आप ने देखा कि कहानी में एक सरदार जी की एंट्री होती है जो करण और उस के मित्रों को बचा लेते हैं और उन की सहायता भी करते हैं। गांव में सभी लोग अजीब हो गए थे लेकिन सरदार जी की सहायता और करण की सूझ बूझ से समस्या का समाधान हो चुका था और सभी लोग अब ठीक हो चुके थे। गांव के सभी लोगों को सच्चाई बताई जाती है जिसे
पिछले एपिसोड मे आप ने देखा कि कैसे करण और उस के मित्रों ने उस इंसान को हरा दिया था और आखिर में उन्हें विजय भी मिल गई थी। वहीं दूसरी और करण की मां बहुत चिंतित हो रही थी क्योंकि उन्होंने कभी ऐसा कुछ नहीं देखा था. लेकिन सब के समझाने पर वो समझ जाती है। चिड़िया- "माता जी, आप बिल्कुल चिंता ना करें,सब ठीक हो गया है, चलिए अब यहां से चलते हैं!" लव- "ओह
पिछले एपिसोड मे आप ने देखा कि चमगादड़ राजा बहुत शातिर था, और उस ने अपना वादा तोड़ दिया था और करन की सहायता करने के बाद भी उस ने उस की मां को नहीं जाने दिया था। इस के साथ ही आप ने यह भी देखा कि मगरराज की राजकुमारी भानुकला भी करण की सहायता करने के लिए तैयार हो जाती हैं और अंत में सब कुछ ठीक हो जाता है। करन- "मंत्री,,, अब जल्दी
तो पिछले एपिसोड मे आप ने देखा कि चमगादड़ राजा को एक श्राप मिला था और वह उस श्राप को तोड़ने के लिए करन और उस के मित्रों की सहायता लेता है. वहीं दूसरी ओर आप ने यह भी देखा था कि उस का श्राप टूट जाता है लेकिन अंत में वह करन की माता को मुक्त नहीं करता है. तो अब देखना यह है कि आखिर ऐसा क्यों था? वधिराज- "लगता है यह राजा इस
तो पिछले एपिसोड मे आप ने देखा कि करण एक बुरा सपना देखता है, इसलिए वह अपनी माँ से मिलने चला आता है। चमगादड़ जैसा दिखने वाला एक भयानक प्राणी करण की मां का रूप ले कर आया है। लेकिन करण ने उसे पहचान लिया था और अंत में उसे मार गिराया था। तो अब देखना यह है कि आखिर यह प्राणी वहां पर क्या कर रहा था और करण की मां का पता लग पायेगा
तो पिछले एपिसोड मे आप ने देखा कि करण और उस के सभी मित्र आगे का रास्ता पूछने के लिए ठाकुर साहब के घर गए हुए हैं और वहां रुक कर उन्हें पता चलता है कि ठाकुर की पुत्री बहुत ही परेशानी मे है और किसी श्राप से घिरी हुई है। इस के बाद आप ने यह भी देखा कि करण नें कितनी बुद्धिमानी से उस का श्राप तोड़ दिया था। तो सब कुछ अब ठीक
तो पिछले एपिसोड मे आप ने देखा कि वह चुड़ैल किस तरीके से गांव वालों को मार रही थी। लेकिन चिड़िया और बाकी लोगों की समझदारी से उस चुड़ैल को पकड़ लिया जाता है। और इस तरह चिड़िया रामू की जान भी बचा लेती है। गांव वाले करण और उस के सभी मित्रों का शुक्रिया अदा करते हैं। एक औरत- "धन्यवाद बच्चों , हमारी इतनी सहायता करने के लिए!" बूढ़ा आदमी- "हां बच्चों तुम सब ने बहुत बड़ा
तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा कि चिंटू और पिंटू की परेशानी खत्म हो गई है। बाद में यह भी पता चला था कि उन के पिता ने कुछ गुनाह किए थे, जिस की सजा उन को मिल रही थी। वहीं करण के समझाने पर गांव वाले चिंटू के पिता को नहीं मारते हैं और उन्हें सजा का पालन करने को कहते हैं। चिंटू के पिता- "ठीक है मुझे थोड़ा वक्त दीजिये, मैं आज ही
तो पिछले एपिसोड मे आप ने देखा कि करण और उस के मित्रों ने उन जादूगरों का पर्दाफाश कर दिया है और राजा को उन के चंगुल से मुक्ति भी मिल गयी है। वहीं सारे सैनिकों को पता चल चुका था कि वो जादूगर उन्हें भड़का रहे थे। और बुलबुल को कहानी के अंत में एक स्त्री भी दिखाई देती है। उन तीनों जादूगरों को बंदी बना लिया गया है और अब सभी राहत की सांस
तो पिछले एपिसोड मे आप ने देखा कि उन 3 जादूगरों का जादू करण और उस के बाकी मित्रों की सूझ-बूझ और बुद्धिमत्ता से टूट गया था। करण और उस के साथी पूछते पूछते उस पेड़ के पास पहुंच चुके थे, जहां पर उन 3 जादूगरों ने अपनी मूर्तियाँ रखी हुई थी, जिस मे उन की जादुई ताकत बसी थी। वहीं करण और सभी को परेशानियों का सामना तो करना पड़ा परंतु आखिर में जीत
तो पिछले एपिसोड मे आप ने देखा कि चारों राजकुमारों ने करण और उस के बाकी मित्रों को बंधक बना लिया था परंतु करण और उस के बाकी दोस्तों की चतुराई और बहादुरी के कारण उन चारों राजकुमारों से उन्हें मुक्ति मिल गई थी। वहीं राजा को पता चल चुका था कि उन के बेटे उन के राज्य के लायक नहीं थे। राजा- "चलो बच्चों, अब तुम सभी विश्राम कर लो और शाम को भोजन के
तो पिछले एपिसोड मे आप ने देखा कि किस तरीके से सभी मित्रों ने उस राक्षस की जान बचा ली थी। लेकिन तभी उस के मित्र रकतम ने गांव में तबाही मचाना शुरू कर दिया था ताकि वह करण और उस के दोस्तों से बदला ले सके परंतु राक्षस ने वहाँ आ कर उन की सहायता करी थी और रक्तम को मार दिया था। राक्षस अपने मित्र को मार कर बहुत दुखी था। टॉबी- "मित्र, दुखी मत
तो पिछले एपिसोड मे आप ने देखा कि किस तरीके से सभी मित्रों ने बड़ी चतुराई से एक अच्छा उपाय बना कर उस राक्षस का सामना किया और उसे हराने में कामयाब भी हो गए। वहीं बाद मे वह राक्षस सभी मित्रों के सामने अपने किए के लिए पछतावा करता है , अब देखते हैं कि क्या उसे माफी मिलेगी! गांव का आदमी 1- "करण, इसे बचाने की मत सोचो। ये राक्षस है, इस पर भरोसा
तो पिछले एपिसोड मे आप ने देखा कि किस तरीके से करण और उस के बाकी मित्रों ने पूरे गांव वालों को बचाया था। वहीं सारे गांव वालों को पता चल चुका था कि करण और उस के मित्र अच्छे इंसान हैं। साथ ही सब कुछ ठीक हो जाने के बाद गांव वाले करण और बाकी लोगों का शुक्रिया अदा करते हैं। आदमी1- "बच्चों आप सभी ने हमारी सहायता कर के हम पर बहुत बड़ी कृपा
तभी नील उन सब के पास जाता है और एक एक को सूँघता है। और तुरंत ही करण के सारे मित्रों को वापस होश में ले आता है। करण- "वाह! ये सभा तो वापस होश में आ गए।आपका बहुत बहुत धन्यवाद!" नील- " मुझे अपने किये पर बहुत शर्मिंदगी हो रही है! शुक्र है ये सब होश में आ गए!" बुलबुल- " कोई बात नहीं मित्र हमें पता है कि यह सब आप ने जानबूझ कर नहीं किया,।!" नील- "हां
चिड़िया- " कविता तुम ने हमारी जितनी सहायता की है , हम उस के लिए शुक्रिया अदा भी नहीं कर पा रहे हैं!" कविता- " अरे राजकुमारी जी,आप मेरी सखी हैं जिस तरह से आप ने हमारी सहायता की थी उसी प्रकार हम ने भी आप की सहायता की है इस में शुक्रिया अदा करने की क्या आवश्यकता है? " चिड़िया कविता को गले लगा लेती है।,,, और रोने भी लगती है। कविता- "मैं जानती हूं तुम क्यों
उत्तम सिंह- "मधु! कोई लाभ नहीं हुआ इतना कुछ करने का!" हेमलता (उत्तम सिंह से)- " मुझे माफ कर देना उत्तम,,, मैंने तुम्हारे साथ बहुत गलत किया,,,, मैंने अपने जादू से ही तुम्हारे महल के कुछ लोगों को अपने जाल में फंसाया और उन से यह काम करवाया था…. इस में भानु की कोई गलती नहीं है…" उत्तम- " कोई बात नहीं हेमलता,,, मैंने तुम्हें माफ किया!" और तभी हेमलता अपने प्राण त्याग देती है और देखते ही देखते उस
बुलबुल- " करण! कर्मजीत! तुम ने मेरी जान बचाई है। बहुत-बहुत शुक्रिया!" करण- " अरे इस में शुक्रिया अदा करने की क्या आवश्यकता है। कर्मजीत- "बिल्कुल! तुम तो हमारी मित्र हो,,,, और हर एक मित्र का फर्ज होता है कि वह अपने दूसरे मित्र की हमेशा सहायता करें!" वधिराज- " वाह करण! कर्मजीत! आप दोनों के विचार आप के चरित्र की तरह ही उत्तम है!" बालक- " आप लोगों को खुश होता हुआ देख कर हमें काफी प्रसन्नता हो रही है!" बालक
बालक- "मित्रों आप सभी परेशान ना होना,,, बुलबुल जल्द ही ठीक हो जाएंगी,,,, क्यूंकि मेरे एक खास बाबा है जो इस में हमारी सहायता कर पाएंगे!" चिड़िया- " अच्छा तो फिर ठीक है। चलो उन के पास!" बालक (अपने माता-पिता से)- " पिता जी,, आप बुलबुल का ध्यान रखना,,,,, हम सब तब तक श्राप की मुक्ति का जवाब ढूंढ कर आते हैं!" माता पिता- " ठीक है पुत्र!" वधिराज- " चलो मित्रों फिर चलते हैं!" कुश- " हां चलो बुलबुल तुम
सुनहरी चिड़िया- " कविता तुम ने तो बिल्कुल कमाल ही कर दिया, तुम ने कितनी आसानी से उस खतरनाक आदमी से हम लोगों को छुटकारा दिलवा दिया!" शुगर- " बिल्कुल सही कह रही हैं आप राजकुमारी जी, रानी कविता जी ने तो आज एकदम कमाल ही कर दिया!" करण और करमजीत- " रानी कविता आप का बहुत-बहुत धन्यवाद!" लव- " जी आप का बहुत धन्यवाद रानी कविता!" कविता- " मेरे प्यारे मित्रों इस में धन्यवाद कैसा??
सभी लोगों ने काफी देर तक खुशी मनाई और थोड़ी देर बाद सब थक गए थे। करण- " तो रानी कविता अब हमें यहां से जाना होगा क्योंकि हमें एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य को पूरा करना है!" सुनहरी चिड़िया- " हां कविता, अब हम सब को यहां से जाने की इजाजत दो!" कविता- "तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया मेरी प्यारी बहन,, लेकिन हां जब भी तुम्हें मेरी जरूरत हो तो मुझे याद करना मैं तुरंत वहां पर चली
घाव ठीक होने से राजा काफी खुश हो जाता है। राजा (मुस्कुरा कर)- "आरा ओरु जोरों रो आरा आ आ!" करण- " राजा कह रहे हैं कि उन के पैर की चोट काफी पुरानी थी जिस पर कोई भी दवा असर नहीं कर रही थी लेकिन हम लोगों ने चमत्कार कर दिया!" सुनहरी चिड़िया- " हमें खुशी हुई कि आप ठीक हो गए!" और करण अनुवाद कर के राजा को बताता है और उन लोगों में कुछ देरी तक
सब लोग टॉबी की आवाज आने से खुश थर। टॉबी (घूमते हुए)- "वाह ! मैं तो बहुत खुश हूं, मै ठीक हो गया!" शुगर- "हाँ टॉबी,! मैं भी बहुत खुश हूं " करमजीत- " दादी मां अब हम चलते हैं. हमें एक महत्वपूर्ण कार्य को पूर्ण करने के लिए अपने मार्ग पर आगे बढ़ना होना होगा!" तभी सब दादी मां के पैर छूते हैं और वह सभी को आशीर्वाद देती है। दादी माँ- " ठीक है मेरे प्यारे बच्चों!! तुम सभी
तो अब मगन सुधर चुका है और उसे अपनी गलती का एहसास हो चुका है. वह अप्सरा और उस के माता-पिता से माफी मांगता है । अप्सरा के पिता- "मगन,,,,बेटा तू हमारे बेटे जैसा ही है,, इसलिए हम ने तुझे माफ किया!" अप्सरा- "हाँ,,,, मगन,,,, तुम चिंता मत करो,,सब ठीक है,,!" करण- "अब हम भी यहां से जाना चाहते हैं अप्सरा जी।" परी (करण से)- " ठीक है! करण,,,,अब तुम लोग यहां से प्रस्थान करो। क्योंकि तुम्हारे कार्य के लिए
तो सभी मित्र वहां से उस पुरुष को छोड़ कर जाने लगते हैं। वधिराज- " करण अब हमें और भी संभल कर चलना होगा नहीं तो इस से भी बुरा हो सकता है हमारे साथ!" कर्मजीत- " हां करण,,वधिराज बिल्कुल सही कह रहे हैं,,तुम्हें किसी भी अजनबी मनुष्य पर विश्वास नहीं करना चाहिए,,!" करण- " नहीं करमजीत बात विश्वास की नहीं है बात है माया की,,, हम जिस सफर पर निकल पड़े हैं उस सफर में माया ही
तो सभी लोग दरी पर बैठ कर वहां से निकल पड़ते हैं. करण– "ये तो बस शुरुआत है। यही कहा था ना उस ने।" कर्मजीत- "हाँ करण। ये किसी बड़ी मुसीबत का संकेत है।" करण- "हमें जल्द से जल्द यह स्थान छोड़ना होगा।" वधिराज- " मुझे पता है कि जरूर वो स्त्री कोई ना कोई चाल चलेगी!" सुनहरी चिड़िया- " मुझे भी ऐसा ही लग रहा है!" करण- " लेकिन चिंता मत करो,, कोई ना कोई रास्ता तो निकाल ही जाएगा!" कर्मजीत- "
कला- " ठीक है तो अब आप लोग प्रस्थान कीजिए!" करण- "जी देवी!" और सभी लोग वहां से राजकुमारी अप्सरा की दरी पर बैठ कर उड़ कर चले जाते हैं। टॉबी- " मुझे तो उड़ने में बहुत मजा आ रहा है,,, देखिए ना राजकुमारी चंदा,,, ऊपर से नीचे का दृश्य कितना खूबसूरत लगता है!" सुनहरी चिड़िया- " हां आप ने बिल्कुल सही कहा!" करमजीत- " वास्तव में यह दुनिया बड़ी खूबसूरत है,,,,!" बुलबुल- "हाँ, करमजीत!" और इसी तरह सभी लोग वार्तालाप करते-करते अपनी
रानू- " जल जगन नाम की एक जगह है,,, जहां पर कला नाम की राक्षसी रहती है,,,, पहले कला एक बहुत सुंदर स्त्री थी लेकिन उसे किसी ने श्राप दे दिया था,,,,जिस के कारण उस का ऐसा हाल हो गया है,, तो अगर तुम उस का श्राप तोड़ दोगे तो वो अप्सरा के पंख वापस दिला देगी। सुनहरी चिड़िया- " लेकिन उस का श्राप कैसे टूटेगा? " रानू- "ये तो हमें खुद ही वहां जा कर के
सुनहरी नीली चिड़िया- "ठहरो वधीराज,,,,,उसे जाने दो,,,, मैं राजकुमारी चंदा हूं।" वधिराज- "क्या!!" नीली चिड़िया- " हां वधिराज!! तुम तो मुझे जानते ही होगे?" वधिराज (सहम कर)- " राजकुमारी जी आप?,,,, आप अभी तक भी इसी रूप में है? " सुनहरी चिड़िया- "हां वधिराज,, अब समय आ चुका है मुझे मेरे श्राप से मुक्ति मिलने का!" करण (उठ कर)- "हां वधिराज,,, मै यहां राजकुमारी चंदा की सहायता करने के लिए आया हूं!" वधिराज (अपने हाथ जोड़ कर)- "मुझे माफ करना राजकुमारी जी,,
वह क्रूद्ध आदमी सोचता है कि करण और उसके दोस्त कोई आक्रमणकारी है और वह तुरंत अपने सैनिकों को बुला लेते हैं। क्रोधित आदमी: “सैनिकों!” अप्सरा: “पिताजी, आपको इन लोगों से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। ये सब मेरे मित्र हैं!” सुनहरी चिड़िया: “ये आप के पिता जी हैं?” अप्सरा: “हाँ।” अप्सरा के पिता: “मित्र???? तुम इनसे कौन से स्थान पर मिली थी पुत्री?” अप्सरा (मुस्कुराते हुए करण की ओर इशारा करते हुए): “ये करण है पिता जी ! आपको
दानव: “सुनाओ आगे! चुप क्यों हो गए। मुझे आगे बताओ कि हरिया का क्या हुआ?” जयदेव: “फिर क्या! बेचारा हरिया तो फूट-फूट कर रोता है और उसकी याद में खुद को कोसने लगता है!” राक्षस: “पर वो हरिया क्यों रोया?” करण: “क्योंकि हरिया तो उस बकरी को खाना चाहता था, उसे तो एक ना एक दिन मरना ही था! पर बकरी की वजह से ही हरिया की जान बची थी।” जयदेव: “लेकिन! करण तुम ही सोचो उस हरिया की
करण: “अरे नहीं ये तो एक दानव है!” टॉबी (चिलाते हुए): “करण! देखो इतने सारे चमगादड,,, ना जाने कहां से आ रहे हैं!!” जयदेव (चिल्लाकर): “उस दानव के हाथ को देखो, देखो यह उसी के हाथों से निकल रहे हैं!” करण: “जो भी वस्तु हाथ मे आये, उठा लो दोस्तों! अपना बचाव करो इन से।” लव: “दोस्तों! यहां से कहीं और चलते हैं,, इन को संभालना काफी जटिल हो रहा है!” कुश: “हाँ भाई! चलो” विदुषी: “ये कैसे अजीब चमगादड़ हैं,
करण: “अरे आगे का रास्ता तो बंद है! अब हम आगे कैसे बढ़ेंगे?” विदुषी: “हाँ करण! अब क्या होगा?” सुनहरी चिड़िया: “ये रास्ता तो पूरा पत्थरों से बंद है और देखो बीच में इतना विशाल गड्ढा भी है!” टॉबी: “अब हम उस पार कैसे जाएंगे।” तभी अचानक से उन पत्थरों पर अपने आप ही किसी गुप्त भाषा में कुछ अपने आप लिख जाता है जिसमे से एक विशिष्ट चमक बाहर आ रही है। लव: “अरे ! अरे! फिर से कोई
डाकू 1 ( गुस्सा मे करण को आंख दिखाकर): “भाई जान! कहीं ऐसा तो नहीं कि इन सब मे इन्हीं सब का हाथ हो? इसने हमे फसाने के लिए चाल चली हो” डाकू का सरदार: “नहीं नहीं! ऐसा नहीं हो सकता ! तुमने देखा नहीं उसकी भी जान खतरे में थी!” डाकू का सरदार अत्यंत प्रसन्न होता है क्योंकि करण की वजह से सब की जान बच गई थी विदुषी: “हम लोग आपको जाल में क्यों फंसायेंगे। आपको
तो सभी मित्र थोड़ी देर वही पर रुककर उस बूढ़ी औरत के होश में आने का इंतजार करते हैं। थोड़ी देर बाद उस को होश भी आ जाता है और करण उन्हें सारी बात बता देता हैं कि उनके साथ क्या हुआ था। करण: “तो चलिए। अब हम आपको तांगे तक ले चलते हैं।” बूढ़ी औरत: “हाँ बेटा चलो! मुझे माफ़ कर देना बेटा। मैंने ये सब कर दिया तुम्हारे साथ।” जयदेव: “नही नही! दादी माँ! इस में
जयदेव ( खुश होते हुए): “हमने कर दिखाया करण, हमने कर दिखाया, अब जल्दी से बाबा के पास चलते हैं और अपने मित्रों को बचाते हैं।” करण: “हां जयदेव, तुम सही कहते हो चलो चलते हैं, अब यहां से।” तो दोनों मित्र बाबा के पास पहुंचते है, बाबा उन दोनों को देखकर काफी हैरान हो जाते हैं और उन्हें यकीन ही नहीं होता कि इन दो जवान युवकों ने उस खतरनाक जादू घड़ियाल को मार गिराया है।
दरअसल वो व्यक्ति जिसने बलराम को यह सारी बातें बतायी थीं वो तों उस जादूगर का ही एक विशेष राक्षस सुमेरु है। सुमेरू दिखने में अत्यंत भयानक, विशाल और मोटा प्राणी है जो इंसानी भेष भी ले सकता है और उसने यह काम उस जादूगर के कहने पर ही किया था। दरअसल वह जादूगर इन सभी पर काफी लंबे समय से नजर रखे हुए था इसीलिए उसे पता था कि करण और उसके सारे मित्र उस सुनहरी
वही जब सभी लोग घर पहुंचते हैं तो देखते हैं कि करण की मां घर में पहुंच चुकी है और वह उस कमरे का दरवाजा खोलने ही वाली है जिस कमरे में लव कैद है। करण (चिल्लाते हुए): "माँ, रुकिए! दरवाजा मत खोलना!" करण की मां (मुड़ कर पीछे देखती है और कहती है): “आखिर क्या बात है? मैं दरवाजा क्यों नहीं बोल सकती करण?” तभी लव दरवाजा तोड़कर बाहर आ जाता है और वो करण के ऊपर
उस समय लव के नेत्रों का रंग बिल्कुल परिवर्तित हो चुका था, उसके नेत्र देखने में बिल्कुल नीले रंग के दिखाई दे रहे थे। उसे देखकर साफ जान पड़ रहा था कि किसी ने उसे वश में किया है। लव (चिल्लाकर): “छोडूंगा नहीं तुझे!” करण (गुस्से में उसे रोकते हुए): “होश में आओ लव! तुम्हें दिखाई नहीं देता हम सब तुम्हारे मित्र हैं, तुम यह क्या कर रहे हो?” सभी लोग लव का सामना करने लगते हैं और
बाबा रानी पदमा को बोलते हैं कि उनकी बेटी को बचाना अब बिल्कुल नामुमकिन ही है और बाबा के मुंह से यह बात सुनकर रानी पदमा को बेहोशी सी छाने लगती है तभी महाराजा रंजीत बोल उठते हैं- महाराजा रंजीत: “बाबा जी ऐसा मत बोलिए, कोई ना कोई तो उपाय होगा? बाबा अगर क्या हो मैं उस जादूगर को ढूंढ कर मार दूं तो?” बाबा जी (उदास होते हुए): “बेटा ऐसा करने से कुछ भी प्राप्त नहीं
घर वापस आते समय बहुत तेज तूफान आ जाता है और सभी लोग घबरा जाते हैं। जयदेव: “अरे दोस्तों जल्दी चलो हमें इस चिड़िया को बचाना होगा और इससे पूछना होगा कि यह यहां पर क्या करने आई है!” विदुषी: “बड़ी मुश्किल हो रही है तूफान मे। हमें कैसे भी कर के उस नीली चिड़िया को बचाकर करण के घर ले जाना होगा और मुझे तो डर है कि कहीं इस चिड़िया को कुछ हो तो नहीं
वह आदमी सभी का पीछा करने लगता है और सभी अपनी भागने की गति को और तेज कर देते हैं। सभी दोस्तों की आंखों में खौफ था और मन में बस यही सवाल था कि क्या यह सब सच है या फिर एक माया जाल? करण: “तुम सभी लोग पेड़ के ऊपर चढ़ जाओ, मैं देखता हूं इसे। ये लो जयदेव तुम इस चिड़िया को पकड़ो, मुझे इस आदमी का सामना करना होगा नहीं तो यह