उपदेश की महिमा – कबीर दास जी के दोहे अर्थ सहित
उपदेश की महिमा: संत कबीर दास जी के दोहे व व्याख्या
बुरा न करिये कोय |
अन्बोवे लुनता नहीं,
बोवे तुनता होय ||
व्याख्या: काल का विकराल गाल तुमको तत्काल ही निगलना चाहता है, इसीलिए किसी प्रकार भी बुराई न करो | जो नहीं बोया गया है, वह काटने को नहीं मिलता, बोया ही कटा जाता है |
छाड़ि दे तू ऐंठ |
लेना होय सो लेइ ले,
उठी जात है पैंठ ||
व्याख्या: इस संसार में आकर तुम सब प्रकार के अभिमान को छोड़ दो, जो खरीदना हो खरीद लो, बाजार उठा जाता है |
करि ले अपना काम |
चलती बिरिया रे नरा,
संग न चले छदाम ||
व्याख्या: पका – खा और लुटाकर, अपना कल्याण कर ले | ऐ मनुष्य ! संसार से कूच करते समय, तेरे साथ एक छदाम भी नहीं जायेगा |
रोटी में ते टूक |
कहै कबीर ता दास को,
कबहुँ न आवै चूक ||
व्याख्या: जो सत्तू में से सत्तू और रोटी में से टुकड़ा बाँट देता है, वह भक्त अपने धर्म से कभी नहीं चूकता |
कौन कहेगा देह |
निश्चय कर उपकार ही,
जीवन का फन येह ||
व्याख्या: मरने के बाद तुमसे कौन देने को कहेगा ! अतः निश्चयपूर्वक परोपकार करो, येही जीवन का फल है |
नदी ना घट्टै नीर |
अपनी आँखों देखिले,
यों कथि कहहिं कबीर ||
व्याख्या: धर्म (परोपकार, दान, सेवा) करने से धन नहीं घटता, देखो नदी सदैव रहती है, परन्तु उसका जल घटता नहीं | धर्म करके स्वय देख लो |
मत कर यासो हेत |
गुरु चरनन चित लाइये,
जो पूरन सुख हेत ||
व्याख्या: इस संसार का झमेला दो दिन का है अतः इससे मोह – संबध न जोड़ो | सतगुरु के चरणों में मन लगाओ, जो पूर्ण सुख देने वाला है |
मन का आपा खोय |
औरन को शीतल करै,
आपौ शीतल होय ||
व्याख्या: मन के अहंकार को मिटाकर, ऐसे और नम्र वचन बोलो, जिससे दूसरे लोग सुखी हों और खुद को भी शान्ति मिले |
गुरु की सीख तू लेय |
साकट जन औ श्वान को,
फिरि जवाब न देय ||
व्याख्या: उल्टी – पुल्टी बात बोलने वाले लो बोलते जाने दो तू गुरु की ही शिक्षा धारण कर | साकट (दुष्टों) तथा कुत्तों को उलटकर उत्तर न दो |
मिले सकल रस रीति |
कहैं कबीर तहँ जाइये,
यह सन्तन की प्रीति ||
व्याख्या: उपस्य, उपासना – पद्धति, सम्पूर्ण रीति – रिवाज़ और मन जहाँ पर मिलें, वहीं पर जाना सन्तो को प्रियेकर होना चहिये |
कर गहि ऐचहु ठौर |
कहो सुन्यो मानौ नहीं,
शब्द कहो दुइ और ||
व्याख्या: बहते हुए को मत बहने दो, हाथ पकड़कर उसको मानवता की भूमिका पर निकाल लो | यदि वह कहा – सुना ना माने, तो भी निर्णय के दो वचन और सुना दो |