संगति की महिमा – कबीर दास जी के दोहे अर्थ सहित
संगति की महिमा: संत कबीर दास जी के दोहे व व्याख्या
नित प्रति कीजै जाय |
दुरमति दूर बहावासी,
देशी सुमति बताय ||
व्याख्या: गुरु कबीर जी कहते हैं कि प्रतिदिन जाकर संतों की संगत करो | इससे तुम्हारी दुबुद्धि दूर हो जायेगी और सन्त सुबुद्धि बतला देंगे |
जौ की भूसी खाय |
खीर खांड़ भोजन मिलै,
साकत संग न जाय ||
व्याख्या: सन्त कबीर जी कहते हैं, सतों की संगत मैं, जौं की भूसी खाना अच्छा है | खीर और मिष्ठान आदि का भोजन मिले, तो भी साकत के संग मैं नहीं जाना चहिये |
निष्फल कभी न होय |
ऐसी चंदन वासना,
नीम न कहसी कोय ||
व्याख्या: संतों की संगत कभी निष्फल नहीं होती | मलयगिर की सुगंधी उड़कर लगने से नीम भी चन्दन हो जाता है, फिर उसे कभी कोई नीम नहीं कहता |
आधी में पुनि आध |
कबीर संगत साधु की,
कटै कोटि अपराध ||
व्याख्या: एक पल आधा पल या आधे का भी आधा पल ही संतों की संगत करने से मन के करोडों दोष मिट जाते हैं |
जरि बरि हो जो सेत |
मूरख होय न अजला,
ज्यों कालम का खेत ||
व्याख्या: कोयला भी उजला हो जाता है जब अच्छी तरह से जलकर उसमे सफेदी आ जाती है | लकिन मुर्ख का सुधरना उसी प्रकार नहीं होता जैसे ऊसर खेत में बीज नहीं उगते |
करनी ऊँच न होय |
कनक कलश मद सों भरा,
साधु निन्दा कोय ||
व्याख्या: जैसे किसी का आचरण ऊँचे कुल में जन्म लेने से,ऊँचा नहीं हो जाता | इसी तरह सोने का घड़ा यदि मदिरा से भरा है, तो वह महापुरषों द्वारा निन्दित ही है |
अविचल रहै न कोय |
जु दिन जाय सत्संग में,
जीवन का फल सोय ||
व्याख्या: जीवन, जवानी तथा राज्य का भेद से कोई भी स्थिर नहीं रहते | जिस दिन सत्संग में जाइये, उसी दिन जीवन का फल मिलता है |
मिटा न मन का मोह |
पारस तक पहुँचा नहीं,
रहा लोह का लोह ||
व्याख्या: ज्ञान से पूर्ण बहुतक साखी शब्द सुनकर भी यदि मन का अज्ञान नहीं मिटा, तो समझ लो पारस – पत्थर तक न पहुँचने से, लोहे का लोहा ही रह गया |
होवे दो दो बात |
गदहा सो गदहा मिले,
खावे दो दो लात ||
व्याख्या: सज्जन व्यक्ति किसी सज्जन व्यक्ति से मिलता है तो दो दो अच्छी बातें होती हैं | लकिन गधा गधा जो मिलते हैं, परस्पर दो दो लात खाते हैं |
मणिधर मिला न कोय |
विषधर को मणिधर मिले,
विष तजि अमृत होय ||
व्याख्या: सन्त कबीर जी कहते हैं कि विषधर सर्प बहुत मिलते है, मणिधर सर्प नहीं मिलता | यदि विषधर को मणिधर मिल जाये, तो विष मिटकर अमृत हो जाता है |