Homeआध्यात्मिक न्यूज़शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है जिसका इस्तेमाल दुनिया को बदलने के लिए किया जा सकता है – नेल्सन मंडेला – प्रदीप कुमार सिंह

शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है जिसका इस्तेमाल दुनिया को बदलने के लिए किया जा सकता है – नेल्सन मंडेला – प्रदीप कुमार सिंह

शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है जिसका इस्तेमाल दुनिया को बदलने के लिए किया जा सकता है

नेल्सन मंडेला का संघर्ष रंगभेद के प्रति कितना महत्वपूर्ण था, यह इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनके जीवित रहते संयुक्त राष्ट्र ने सम्मान में उनके जन्मदिन 18 जुलाई को ‘मंडेला अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ के रूप में घोषित कर दिया। पहला नेल्सन मंडेला अंतर्राष्ट्रीय दिवस उनके 92वें जन्मदिन के मौके पर यानी कि 18 जुलाई, 2010 को मनाया गया था। संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन महासचिव श्री बान की मून ने कहा था – मंडेला संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों में उच्च आदर्शों के प्रतीक हैं। मंडेला को यह सम्मान शान्ति स्थापना, रंगभेद उन्मूलन, मानवाधिकारों की रक्षा और लैंगिक समानता की स्थापना के लिये किये गये उनके सतत प्रयासों के लिये दिया जा रहा है।

नेल्सन मंडेला अपने देश तथा विश्व के लोगों को शिक्षित, खुशहाल तथा समृद्ध देखना चाहते थे। वह शिक्षा को दुनिया को बदलने का सबसे बड़ा हथियार मानते थे। वह अपने परिवार के एकमात्र सदस्य थे जिन्होंने मानव जाति की सेवा करने के लिए शिक्षा को सबसे बड़े हथियार के रूप में चुना। स्कूली तथा कालेज की शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्होंने कानून की उच्च शिक्षा ग्रहण की। कानून की गहरी समझ ने उन्हें न्याय के पूरी शक्ति से लड़ने की शक्ति प्रदान की।

नेल्सन मंडेला का जन्म दक्षिण अफ्रीका में ट्रांसकी के मर्वेजो गांव में 18 जुलाई, 1918 को हुआ था। उन्हें लोग प्यार से मदीबा बुलाते थे। मंडेला गांधी जी के विचारों से काफी प्रभावित भी थे। उनके ही विचारों से ही प्रभावित होकर मंडेला ने रंगभेद के खिलाफ अभियान शुरू किया था। अहिंसा तथा असहयोग के बलबुते उनके अभियान को ऐसी सफलता मिली कि उन्हें ही अफ्रीका का गांधी पुकारा जाने लगा। अफ्रीका के गांधी, जिन्होंने खाली हाथ नस्लभेद का किला ढहा करके एक नया इतिहास रच दिया। व्यक्ति का अपने प्रत्येक कार्य से कर्ताभाव विलीन होने से उसके प्रत्येक कार्य ही ईश्वर की सुन्दर प्रार्थना बन जाती है।

मंडेला ने अपने जीवन की सबसे ज्यादा उम्र 27 साल कैद में बितायी। कैद के दौरान वे अधिकांश समय केप टाउन के किनारे बसे कुख्यात राबेन द्वीप बन्दीगृह में रहे। जेल में उन्हंे कोयला खनिक का काम करना पड़ता था। आज वो स्थल रंगभेद की लड़ाई का धार्मिक स्थल बन चुका है। अन्ततः 11 फरवरी 1990 को उनकी रिहाई हुई। रिहाई के बाद श्वेत सरकार के साथ समझौते और शान्ति की नीति द्वारा उन्होंने एक लोकतान्त्रिक एवं बहुजातीय नये दक्षिण अफ्रीका की नींव रखी। मंडेला दक्षिण अफ्रीका के पहले काले राष्ट्रपति बने।

नेल्सन मंडेला के आदर्श महात्मा गांधी थे। उन्होंने गाँधी जी के सिद्धान्तों का जीवन भर पालन किया। वकालत के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका पहुंचे वकील मोहनदास करमचंद गांधी के महात्मा गांधी बनने का सफर दक्षिण अफ्रीका से ही शुरू होता है। वहां उनको पहली बार रंगभेद का दंश तब सहना पड़ा, जब उनको ट्रेन में सफर के दौरान फस्र्ट क्लास का टिकट होने के बावजूद फस्र्ट क्लास के डिब्बे से एक स्टेशन पर उतार दिया गया। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अंग्रेजों की रंगभेदी नीति का विरोध करने का निर्णय किया। इसी कड़ी में उन्होंने सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आंदोलन वहां शुरू किए। दक्षिण अफ्रीका में 21 वर्षों के अपने प्रवास के दौरान गांधी जी के संघर्षों का ही नतीजा था कि अंग्रेजों को अश्वेतों के लिए कई रियायतें देनी पड़ीं। संयुक्त राष्ट्र की घोषणा के बाद सारा विश्व गांधीजी के जन्म दिन 2 अक्टूबर को अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाता है।

नेल्सन मंडेला श्री अब्राहम लिंकन के विचारों तथा कार्य शैली से काफी प्रभावित थे। अब्राहम लिंकन अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति थे। इन्होंने अमेरिका में हो रही गुलामी की प्रथा से वहां के लोगों को मुक्त कराया। उनका मानना था कि जात-पात, गोरे-काले, सब एक समान हंै इनमें कोई भेद नहीं है। अब्राहम लिंकन का जन्म एक गरीब अश्वेत परिवार में हुआ। अब्राहम लिंकन ने अमेरिका की गृह युद्ध की सबसे बड़ी लड़ाई में अपने साहस और हिम्मत से सफलता हासिल की। श्री लिंकन की लोकतंत्र की परिभाषा सबसे प्रामाणिक मानी जाती है जो इस प्रकार है – जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन।

नेल्सन मंडेला ने गांधीवादी डा. मार्टिन लूथर किंग, जूनियर के अभियान की भी सराहना की थी। डा. मार्टिन लूथर किंग अमेरिका के एक पादरी, आन्दोलनकारी एवं अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिक अधिकारों के संघर्ष के प्रमुख नेता थे। मार्टिन लूथर को अमेरिका का गांधी भी कहा जाता है। मार्टिन लूथर के प्रयत्नों से अमेरिका में नागरिक अधिकारों के क्षेत्र में प्रगति हुई इसलिये उन्हें आज विश्व भर में मानव अधिकारों के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है।

लोकतंत्र को मजबूत करने के प्रयासों के लिए नोबेल शान्ति पुरस्कार विजेता अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा नेल्सन मंडेला को अपना राजनीतिक आदर्श मानते हैं। उन्होंने नेल्सन मंडेला की 100वीं जयंती के मौके पर रंगभेद के खिलाफ उनकी लड़ाई को याद किया। उन्होंने कहा कि इस वक्त पूरी दुनिया एक अनिश्चित और अस्थिर समय में जी रही है। उन्होंने रंगभेद के खिलाफ पूरी दुनिया में अपनी मुहिम के लिए सराहे जाने वाले नेल्सन मंडेला को नमन किया। ओबामा ने कहा कि मंडेला ने लोकतंत्र, विविधता और सहिष्णुता को बचाए रखने के लिए आजीवन संघर्ष किया। आज के इस दौर में उनके विचारों की प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है। उन्होंने यह भी कहा कि विश्व के सभी लोगों को एकजुट होकर मंडेला के विचारों और आदर्शों को जीवित रखने के लिए काम करना होगा।

भारतीय गणतंत्र दिवस परेड 2019 में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेने पधारे दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति श्री सिरिल रामाफोसा ने कहा कि महात्मा गांधी और रंगभेद विरोधी क्रांतिकारी नेल्सन मंडेला एक ऐसी दुनिया देखना चाहते थे जहां लोगों में एक-दूसरे के धर्म, नस्ल, जाति और क्षेत्रीय संबद्धता के प्रति सहिष्णुता हों।

दक्षिण अफ्रीका की यात्रा के दौरान जोहानसबर्ग में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने यहां अनिवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा कि यहां आना उनके लिए गौरव की बात है। मंडेला शर्ट पहने हुए मोदी ने कहा कि यह नेल्सन मंडेला की जन्मभूमि और महात्मा गांधी की कर्मभूमि है। उनके नैतिक मूल्य हमारी पीढ़ी के लिए आदर्श हैं। इन दोनों महान नेताओं ने पूरी मानव जाति को प्रभावित किया।

विगत वर्ष 24 सितम्बर 2018 में संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्यालय में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के सम्मान में एक शांति सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस मौके पर भारत की विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज ने मंडेला के सम्मान में कहा कि नेल्सन मंडेला का जीवन एक प्रेरणा है। हमारे करीबी बंधन मंडेला और महात्मा गांधी के दर्शन में परिलक्षित होते हैं। सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक न्यायपूर्ण, शांतिपूर्ण एवं समृद्ध संसार बनाने की प्रतिज्ञा लेकर मंडेला के प्रति सम्मान प्रकट किया।

दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में 2 दिसंबर 2018 को ग्लोबल सिटीजन फेस्टिवल नेल्सन मंडेला के सौवें जन्मदिन के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था। फेस्टिवल में पधारी ओपरा विन्फ्रे ने नेल्सन मंडेला के साथ 10 दिन बिताये अपने प्रेरणादायी अनुभव के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मैंने मदीबा के साथ रहकर विनम्रता, बड़प्पन, कोमलता और साहस का पाठ सीखा।

गिनीज बुक आॅफ वल्र्ड रिकार्ड में दर्ज विश्व के सबसे बड़े सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ के संस्थापक-प्रबन्धक एवं् विश्वविख्यात शिक्षाविद डा. जगदीश गांधी नेल्सन मंडेला को अपना आदर्श मानते हैं। वह नेल्सन मंडेला के इस प्रेरणादायी विचार – ‘‘शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है जिसका इस्तेमाल दुनिया को बदलने के लिए किया जा सकता है’’ पर प्रबल विश्वास रखते है। विगत 60 वर्षों के शिक्षा क्षेत्र के अनुभव के आधार पर आपका कहना है कि विश्व के प्रत्येक बालक को अपने सभी विषयों का संसार का उत्कृष्ट भौतिक ज्ञान मिलना चाहिए। किन्तु इसके साथ ही साथ उसके चरित्र का निर्माण तथा उसके हृदय में परमात्मा के प्रति प्रेम भी उत्पन्न करना होगा। बालक को बाल्यावस्था से ही कानून का सम्मान करने वाला बनाना चाहिए। बालक की विश्वव्यापी समझ तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए। तभी हम विश्व के प्रत्येक बालक को एक अच्छे विश्व नागरिक के रूप में विकसित कर पायेंगे।
डा. जगदीश गांधी का प्रबल विश्वास है कि विश्व के सबसे बड़े तथा युवा लोकतांत्रिक देश भारत ही निकट भविष्य में सारे विश्व की न्यायपूर्ण विश्व व्यवस्था के अन्तर्गत संयुक्त राष्ट्र संघ को शक्ति प्रदान कर वैश्विक लोकतांत्रिक व्यवस्था (विश्व संसद) का स्वरूप प्रदान करने की पहल करेगा। इस प्रकार भारतीय संस्कृति के आदर्श वसुधैव कुटुम्बकम् की सारी वसुधा की एक कुटुम्ब बनाने की परिकल्पना साकार होगी।

नेल्सन मंडेला ने जिस तरह से देश में रंगभेद के खिलाफ अपना अभियान चलाया उसने दुनिया भर को अपनी ओर आकर्षित किया। यही कारण रहा कि भारत सरकार ने 1990 में उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया। नेल्सन मंडेला को 8 दिसम्बर 1993 को दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति फ्रेडरिक विलेम डी. क्लार्क के साथ संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया।

नेल्सन मंडेला का 5 दिसम्बर 2013 को बीमारी के कारण जोहान्सबर्ग स्थित अपने घर में देहान्त हो गया। देहान्त के समय ये 95 वर्ष के थे। दक्षिण अफ्रीका के विदेश मंत्रालय के अनुसार 91 देशों के राष्ट्र प्रमुख नेल्सन मंडेला को श्रद्धांजलि देने के लिए दक्षिण अफ्रीका आए थे। वह देह रूप में हमारे बीच नहीं है लेकिन उनके अहिंसा, सहनशीलता, शिक्षा, रंगभेद तथा मानव सेवा के लिए निरन्तर किये गये कार्य मानव जाति का मार्गदर्शन करते रहेंगे। नेल्सन मंडेला को सच्ची श्रद्धांजलि यहीं होगी कि विश्व के सभी देशों को मिलकर वीटो पाॅवररहित वैश्विक लोकतांत्रिक व्यवस्था (विश्व संसद) का गठन करना चाहिए। ताकि 21वीं सदी में जी रही मानव जाति के कल्याण के लिए सर्वमान्य निर्णय लिये जा सके।

 

-प्रदीप कुमार सिंह, लेखक

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