सी.एम.एस. गोमती नगर आडिटोरियम में विश्व एकता सत्संग ईश्वर की उपस्थिति प्रकृति में नजर आती है – हरि ओम शर्मा
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– डा. (श्रीमती) भारती गाँधी, प्रख्यात शिक्षाविद् व संस्थापिका-निदेशिका, सी.एम.एस.
लखनऊ, 24 मार्च। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, गोमती नगर आडिटोरियम में आयोजित विश्व एकता सत्संग में बोलते हुए बहाई धर्मानुयायी, प्रख्यात शिक्षाविद् व सी.एम.एस. संस्थापिका-निदेशिका डा. (श्रीमती) भारती गाँधी ने कहा कि ईश्वर की उपस्थिति हमें प्रकृति में नजर आती है, प्रकृति के कण-कण में ईश्वर स्वयं विराजमान हैं। सूर्य की चमक, चांदनी की शीतलता, चिड़ियों की मधुर चहक, शीतल वायु का प्रवाह आदि ये सभी उस अदृश्य परमपिता परमेश्वर के अस्तित्व का अनुभव हमें कराते हैं। डा. गाँधी ने आगे कहा कि जैसे सभी नदियाँ महासागर में जाकर मिल जाती है, वैसे ही सभी धर्मों का मार्ग एक ही परमपिता परमेश्वर से जाकर मिल जाता है। सभी धर्म एकता व प्रेम का संदेश देते हैं। सभी अवतार राम, कृष्ण, ईसा, मोहम्मद, बहाउल्लाह आदि किसी धर्म के अवतार नहीं है, अपितु ये सभी अपने युग के अवतार हुए हैं और इन्होंने सभी धर्मों के लोगों को एक समझा। हमें अवतारों के निकट जाना चाहिए, क्योंकि वहीं हमें ईश्वर का सानिघ्य मिलेगा। डा. भारती गाँधी ने कहा कि विश्व में शान्ति व एकता की बहुत आवश्यकता है और यह विश्व की एक सरकार बनने पर ही संभव है। इससे पहले, सी.एम.एस. के संगीत शिक्षकों ने सुमधुर भजनों की श्रंृखला प्रस्तुत कर सम्पूर्ण आडिटोरियम को आध्यात्मिक आलोक से प्रकाशित कर दिया तथापि उपस्थित सत्संग प्रेमियों को सुखद अनुभूति करायी।
विश्व एकता सत्संग में आज कई विद्वजनों ने सारगर्भित विचार व्यक्त किये। बहाई धर्मानुयायी श्रीमती बी मोहाजिर ने कहा कि जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान का अवतार होता है। हमें ईश्वर की खोज करने तथा उनके बारे में जानने के लिए ही पृथ्वी पर भेजा गया है। श्री वीर विक्रम बहादुर ने कहा कि हम सब ईश्वर को अपने-अपने नजरिये से देखते हैं, परन्तु वह एक हैं ही – ‘एक ही ज्योति, सकल जग जगमग’। रामचरित मानस में कहा गया है कि जिनके हृदय में भक्ति नहीं है, वह मृतक के समान हैं। इसी प्रकार, कई अन्य विद्वजनों ने अपने सारगर्भित विचार रखे। सत्संग का समापन संयोजिका श्रीमती वंदना गौड़ द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।
(हरि ओम शर्मा)
मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी
सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ