Homeआध्यात्मिक न्यूज़नाविक क्यों निराश होता है अरे क्षितिज के पार साहसी नवप्रभात होता है! – डा. जगदीश गांधी

नाविक क्यों निराश होता है अरे क्षितिज के पार साहसी नवप्रभात होता है! – डा. जगदीश गांधी

नाविक क्यों निराश होता है अरे क्षितिज के पार साहसी नवप्रभात होता है!

(1) कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

हमारे अंदर किसी भी बुरी से बुरी परिस्थितियों को बदलने की असीम शक्ति छिपी होती है। केवल जरूरत इस बात की है कि हम अपने अंदर छिपी उस असीम शक्ति को पहचानने तथा उसे महसूस करें। हमारे जीवन की कठिनाइयाँ हमें इस असीम शक्ति को पहचानने तथा विकसित करने में मदद करती है। विभिन्न युगों के अवतारों तथा महापुरूषों को अपने उद्देश्य तक पहुँचने के लिए काफी कष्टपूर्ण जीवन जीना पड़ा। कष्टपूर्ण जीवन को जीते हुए उन्हें जीवन की चुनौतियाँ क्या होती हैं, उससे उनका अच्छी तरह परिचय हो गया था। साथ ही उससे जुझना-उबरना भी वह साधारण व्यक्ति के अपेक्षा अच्छी तरह जानते थे। अपने अन्दर की शक्ति को पहचानने के लिए हमें अपने अन्दर की आवाज भी सुनना जरूरी है। किसी महापुरूष ने कहा है कि परिपक्वता तब से शुरू नहीं होती जब से हम बड़ी चीजें बोलने लगते हैं बल्कि यह तब से शुरू होती है जब हम छोटी-छोटी चीजें समझने लगते हैं।

(2) सर्वोच्च सफलता के लिए जुनून तथा जज्बा चाहिए

जीवन पुरूषार्थ का मैदान है जिसमें मनुष्य को एक कुशल खिलाड़ी की भांति खेलते हुए सर्वोच्च सफलता हासिल करनी चाहिए। किसी ने क्या खूब कहा है – कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता। अरे! एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो। दुनियाँ में कोई भी व्यक्ति हमारे भाग्य को बिगाड़ नहीं सकता। हर व्यक्ति अपनी किस्मत लेकर इस संसार में आया है। परिणाम इस बात पर निर्भर करता है कि हमने कितना पुरूषार्थ किया। हमारा अटूट विश्वास है कि अनवरत कर्म करते हुए कोई व्यक्ति हर तरह की बड़ी से बड़ी सफलता अर्जित कर सकता है। जीवन में सर्वोच्च सफलता अर्जित करने के लिए व्यक्ति में जुनून तथा जज्बा चाहिए। हमारे लिए जिन्दगी एक चुनौती की तरह है। हमारे लिए यह जीवन कर्मयोग तथा ज्ञानयोग का आह्वान है। जीवन में महान कार्य करने का एक ही मार्ग यह है कि जो कार्य आप कर रहे हैं उस कार्य से आपको प्यार है कि नहीं? किसी ने सही ही कहा है कि संघर्ष जितना बड़ा होगा, जीत भी उतनी ही शानदार होगी। संघर्ष में आदमी अकेला होता है, सफलता में दुनिया उसके साथ होती है, जब-जब जग उस पर हँसा है, तब-तब उसी ने इतिहास रचा है।

(3) खुद को हम जीवन में आगे बढ़ने से बहाने बनाकर न रोकें

जब कोई हमारी तुलना किसी और से करते हुए हमसे कहता है कि उसकी स्थिति भी तो तुम जैसी है। वह तो सब कर रहा है, तो तुम क्यों नहीं? वास्तव में यह जरूरी तो नहीं कि जो प्रतिभा उनमें है, वह हममें भी हो। पर यह भी कहां जरूरी है कि जो प्रतिभा हमारे अंदर है, वह उन लोगों में भी हो। इसलिए जरूरत इस बात की है कि हम अपनी क्षमताओं को पहचानें और अगली बार अपने अभावों को कोसते समय नीचे दिये बिन्दुओं से प्रेरणा लेना न भूलें :- (1) मेरे पास ढेरों आइडिया हैं, पर लोग मानते ही नहीं! जेरॉक्स फोटो कॉपी मशीन के आइडिया को भी ढेरों कंपनियों ने अस्वीकार कर दिया था, पर आज परिणाम सामने है। (2) मैं इतनी बार हार चुका हूं कि अब हिम्मत नहीं! अब्राहम लिंकन कई बार चुनाव हारने के बाद राष्ट्रपति बने। (3) मेरे पास धन नहीं है! इंफोसिस के पूर्व चेयरमैन नारायणमूर्ति के पास धन नहीं था, उन्होंने अपनी पत्नी से पैसा उधार लिया। (4) मैंने साइकिल पर घूमकर आधी जिंदगी गुजारी है! निरमा के करसन भाई पटेल ने भी साइकिल पर निरमा बेचकर आधी जिंदगी गुजारी। (5) एक दुर्घटना में अपाहिज होने के बाद मेरी हिम्मत चली गयी! प्रख्यात नृत्यांगना सुधा चंद्रन का एक पैर नकली है। महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंस आज भी अपनी बीमारी से जूझते हुए अंतरिक्ष के रहस्य खोज रहे हैं।

(4) हम अपनी विशिष्ट क्षमता को पहचाने

इसके साथ ही हम कुछ और महत्हवपूर्ण लोगों के संघर्ष और सफलता की तरफ ध्यान ले जाना चाहते हैं :- (1) मुझे बचपन से मंदबुद्धि कहा जाता है! थॉमस एल्वा एडीसन को भी बचपन से मंदबुद्धि कहा जाता था। (2) मुझे उचित शिक्षा लेने का अवसर नहीं मिला! उचित शिक्षा का अवसर फोर्ड मोटर्स के मालिक हेनरी फोर्ड को नहीं मिला। (3) मुझे बचपन से परिवार की जिम्मेदारी उठानी पड़ी! लता मंगेशकर को भी बचपन से परिवार की जिम्मेदारी उठानी पड़ी थी। (4) मेरी लम्बाई बहुत कम है! सचिन तेंदुलकर की लम्बाई भी कम है। (5) मैं एक छोटी सी नौकरी करता हूं, इससे क्या होगा? धीरू भाई अंबानी भी छोटी नौकरी ही करते थे। (6) मेरी कम्पनी एक बार दिवालिया हो चुकी है, अब मुझ पर कौन भरोसा करेगा! दुनिया की प्रसिद्ध शीतल पेय निर्माता कंपनी पेप्सी कोला भी दिवालिया हो चुकी है।

(5) शिक्षक विश्व के निर्माता और छात्र विश्व के भविष्य हैं

शिक्षक कभी साधारण नहीं होता। प्रलय और निर्माण उसकी गोद में पलते हैं। एक माँ शिक्षित या अशिक्षित हो सकती है, परन्तु वह एक ऐसी अच्छी शिक्षक है, जिससे बेहतर स्नेह और देखभाल करने का पाठ और किसी से नहीं सीखा जा सकता है। एक सफल व्यक्ति और सामान्य व्यक्ति के बीच जो फर्क है, वह शक्ति और ज्ञान का नहीं है, बल्कि इच्छा शक्ति का होता है। इतिहास इस बात का साक्षी है की जितना नुकसान हमें दुर्जनों की दुर्जनता से नहीं हुआ, उससे ज्यादा सज्जनों की निष्क्रियता से हुआ है। हमारा मानना है कि जिन्दगी जीने का मकसद विश्वव्यापी होना चाहिए और अपने आप पर विश्वास होना चाहिए। जीवन में खुशियों की कोई कमी नहीं होती, बस जीने का अंदाज होना चाहिए। किसी ने सही ही कहा है कि दीपक तो अँधेरे में जला करते हैं, फूल तो काँटों में भी खिला करते हैं, थक कर ना बैठ ए मंजिल के मुसाफिर, हीरे अक्सर कोयले में ही मिला करते हैं।

(6) लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती

कवि सोहनलाल द्विवेदी जी की यह रचना अत्यन्त प्रेरणादायी है – लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है, चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है। मन का विश्वास रगों में साहस भरता है, चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है। आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है, जा जाकर खाली हाथ लौटकर आता है। मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में, बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में। मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो, क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो। जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागों तुम, संघर्ष का मैदान छोड़कर मत भागों तुम। कुछ किये बिना ही जय जयकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

(7) विश्व को युवा पीढ़ी के जुनून की जरूरत है

जीवन में सीखने की कोई सीमा नहीं होती है तथा ज्ञान अर्जित करने का कभी अंत नहीं होता है। नई सीख तथा नया ज्ञान हमको मजबूत बनाता है। साथ ही हमको बेहतर नागरिक बनने में मदद करता है।युवा पीढ़ी से विश्व को ढेर सारी उम्मीदें हैं। विश्व को आज युवा पीढ़ी की ऊर्जा और उत्साह की बहुत जरूरत है। विश्व को युवा पीढ़ी के जुनून की जरूरत है। युवा पीढ़ी के उत्साह, उमंग और जुनून के बल पर हम सब मिलकर इस दुनियाँ की एक न्यायपूर्ण विश्व व्यवस्था बना सकते हैं। मेरा विश्वास है कि हम जितनी कठिन कोशिश करते हैं, उतने ही बेहतर तथा मजबूत इंसान बनते जाते हैं। कठिन प्रयास हमको महानता के करीब ले जाते हैं। मेरा विश्वास है कि हम सब में विश्व के लिए बहुत कुछ करने की असीम क्षमता है। हम रोज रोज अच्छे और अच्छे बनते चले तथा हम रोज रोज उस परम शक्ति परमात्मा की ओर बढ़ते चलें।

(8) असफलता वह कसौटी है जिस पर आपको परखा जाता है

जिस दिन आप तय करते हैं कि आपको सफलता पाना है, उसी दिन से अपने आपको असफलता का सामना करने के लिए भी तैयार हो जाना चाहिए, क्योंकि असफलता वह कसौटी है जिस पर आपको परखा जाता है कि आप सफलता के योग्य हैं या नहीं। यदि आप में दृढ़ इच्छाशक्ति है और आप हर असफलता की चुनौती का सामना कर आगे बढ़ने में सक्षम हैं तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। किसी ने सही ही कहा है कि ‘‘जो लोग असफलताएं के डर से भयभीत रहते हैं, वे सफलता की मिठास नहीं चख सकते। इसलिए हमें असफलता के डर से घबड़ाना नहीं चाहिए बल्कि कठोर परिश्रम के द्वारा अपने लक्ष्य को पाने का संकल्प लेना चाहिए। किसी ने सही ही कहा है कि नाविक क्यों निराश होता है। यदि तू हृदय उदास करेगा, तो जग तेरा उपहास करेगा, यदि तूने खोया साहस तो, यह जग और निराश करेगा, अरे क्षितिज के पार साहसी, नव प्रभात होता है, नाविक क्यों निराश होता है।

डा. जगदीश गांधी

डा. जगदीश गांधी

– डा. जगदीश गांधी, शिक्षाविद् एवं
संस्थापक-प्रबन्धक, सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ

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