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जानें, क्या है आदित्य हृदय स्तोत्र

जानें, क्या है आदित्य हृदय स्तोत्र

किनको इसका पाठ करना करना चाहिए-

मुख्य रूप से श्री वाल्मीकि रामायण के युद्धकाण्ड का एक सौ पांचवां सर्ग है। भगवान राम को युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए अगस्त्य ऋषि द्वारा इस स्तोत्र का वर्णन किया गया था। सूर्य के समान तेज प्राप्त करने और युद्ध तथा मुकदमों में विजय प्राप्त करने के लिए इसका पाठ अमोघ है। इसके पाठ के कुछ विशेष नियम हैं, जिनका पालन न करने से इसका फल नहीं मिलता है।

 

किनको इसका पाठ करना करना चाहिए-

अगर राज्य पक्ष से पीड़ा हो, कोई सरकारी मुकदमा चल रहा हो

– लगातार रोग परेशान कर रहें हों, ख़ासतौर से हड्डियों या आंखों के रोग

– अगर पिता के साथ संबंध अच्छे न हों

– अगर आंखों की समस्या गंभीर रूप से परेशान कर रही हों

– जीवन के किसी भी बड़े कार्य में सफलता के लिए भी इसका पाठ उत्तम होगा

– जो लोग प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी कर रहे हों, ऐसे लोगों को शीघ्र सफलता के लिए इसका पाठ करना चाहिए

 

किन राशि वालों के लिए इसका पाठ करना उत्तम होगा?

– मेष राशि वालों को शिक्षा के लिए, सिंह राशि वालों को स्वास्थ्य के लिए और धनु राशि वालों को भाग्य के लिए इसका पाठ जरूर करना चाहिए

– वृषभ राशि वालों को संपत्ति के लिए, कन्या राशि के लोगों को नौकरी के लिए और मकर राशि वालों को आयु के लिए इसका पाठ करना चाहिए

– मिथुन, तुला और कुंभ राशि वालों को वैवाहिक जीवन और स्वास्थ्य के लिए इसका पाठ करना चाहिए

– कर्क, वृश्चिक और मीन राशि वालों को उच्च पद प्राप्ति के लिए इसका पाठ करना चाहिए

– जिनकी कुंडली में सूर्य दूसरे, तीसरे, चौथे, छठे, सातवें, आठवें या बारहवें हो उनको भी इसका पाठ शुभ फल देता है

 

इसके पाठ के नियम-

– रविवार को उषाकाल में इसका पाठ करें

– नित्य सूर्योदय के समय भी इसका पाठ कर सकते हैं

– पहले स्नान करें और सूर्य को अर्घ्य दें

– तत्पश्चात सूर्य के समक्ष ही इस स्तोत्र का पाठ करें

– पाठ के पश्चात सूर्य देव का ध्यान करें

– जो लोग आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें वो लोग रविवार को मांसाहार, मदिरा तथा तेल का प्रयोग न करें

– संभव हो तो सूर्यास्त के बाद नमक का सेवन भी न करें

 

तेजस्वनी पटेल, पत्रकार (+91 9340619119)

– तेजस्वनी पटेल, पत्रकार
(+91 9340619119)

 

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