जानें, आखिर क्या है गौरी पूजन का महत्व
गौरी पूजन में महिलाएं माता पार्वती की आराधना करती हैं। यह त्योहार महाराष्ट्र में मनाया जाता है। गौरी पूजन हर साल गणेश चतुर्थी के चौथें वा पांचवें दिन पड़ती है। इस दिन देवी का आवाहन किया जाता है। उनकी प्रतिष्ठा की जाती है। दूसरे दिन मां की मुख्य पूजा होती है और तीसरे दिन देवी की विदाई होती है।
क्यों करते हैं गौरी पूजन –
गौरी पूजन आम तौर पर सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है। देवी को प्रसन्न करने से घर में खुशहाली आती है व धन-धान्य बढ़ाता है। ये पति-पत्नी के रिश्तों को बेहतर बनाता है।इसके अलावा इससे शादी में आने वाली बाधाएं दूर होती है, मनचाहा एवं योगय जीवनसाथी मिलता है।
ऐसे करें पूजा-
– देवों में सर्वोपरि श्री गणेश से पूजन से आरंभ करें
– गणपित को सबसे पहल गंगाजल से स्नान कराएं
– फिर पंचामृत से फिर दोबारा गंगाजल से स्नान कराकर साफ कपड़े से पोछकर उन्हें आसन पर रखें
– इसके बाद मां गौरी को आपके घर आने और आसन पर विराजमान होने के लिए उनका आवाहन करें
– अब वस्त्र अर्पण कर उन्हें धूप-दीप दिखाएं और फूल-माल, प्रशाद व दक्षिणा चढ़ाएं
– पूजन के समय ऊं गौर्ये नम: व ऊं पार्वत्यै नम: मंत्र का जाप करें
– तेजस्वनी पटेल, पत्रकार
(+91 9340619119)