जाने, क्या है शमी वृक्ष का धार्मिक महत्व
माना जाता है कि श्रीराम ने लंका पर आक्रमण के पूर्व इस पौधे की पूजा की थी।
– पांडवों ने अज्ञातवास में अपने सारे अस्त्र-शस्त्र इसी वृक्ष में छुपाए थे। इसलिए इस पौधे को अद्भुत शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है।
– शमी का पौधा किसी भी स्थिति में जीवित रह सकता है।
– अत्यंत शुष्क स्थितियां भी इसको नुकसान नहीं पहुंचा सकती है।
– इसके अंदर छोटे-छोटे कांटे भी पाए जाते हैं, ताकि यह सुरक्षित रहे।
– इसके कठोर गुणों और शांत स्वभाव के कारण इसका संबंध शनि देव से जोड़ा जाता है।
शमी की स्थापना कैसे करें-
– शमी का पौधा विजयादशमी को लगाना सबसे उत्तम होता है।
– शमी को शनिवार के दिन लगा सकते हैं इसे गमले में या भूमि पर घर के मुख्य द्वार के निकट लगाएं, लेकिन इसे घर के अंदर नहीं लगाना चाहिए।
– प्रातःकाल इसमें जल डालें और प्रयास करें कि यह पौधा सूखने न पाएं।
किस प्रकार शमी के पौधे की उपासना करें कि शनि की पीड़ा से मुक्ति मिले-
– घर में लगाएं हुए शमी के पौधे के नीचे हर शनिवार को दीपक जलाएं।
– यह दीपक सरसों के तेल का होना चाहिए।
– नियमित रूप से इसकी उपासना से शनि की हर प्रकार की पीड़ा का नाश होता है।
– शमी के पत्ते जितना ज्यादा घने होते हैं, उतनी ही घर में धन-संपत्ति और समृद्धि आएगी।
– अगर शनि के कारण स्वास्थ्य या दुर्घटना की समस्या है, तो शमी की लकड़ी को काले धागे में लपेट कर धारण करें।
– शनि की शान्ति के लिए शमी की लकड़ी पर काले तिल से हवन करें।
– तेजस्वनी पटेल, पत्रकार
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