जाने, कौन है बृहस्पति और क्या है उनका महत्व
नवग्रहों में बृहस्पति को गुरु है, पीला रंग, स्वर्ण, वित्त और कोष, कानून, धर्म, ज्ञान, मंत्र और संस्कारों को नियंत्रित करता है। शरीर में पाचन तंत्र, मेदा और आयु की अवधि को निर्धारित करता है। पांच तत्वों में आकाश तत्व का अधिपति होने के कारण इसका प्ररभाव बहुत ही व्यापक और विराट होता है। महिलाओं के जीवन में विवाह की सम्पूर्ण जिम्मेदारी बृहस्पति से ही तय होती है। अगर कुंडली में बृहस्पति का राज योग हों तो व्यक्ति जीवन में राजा के सामान वैभव पाता है।
पहला राजयोग- केंद्र स्थान में बृहस्पति-
– बृहस्पति केंद्र में काफी मजबूत माना जाता है
– अगर लग्न में हो तो अत्यधिक शक्तिशाली हो जाता है
– यह अकेला कुंडली के तमाम दोषों को नष्ट कर देता है
– व्यक्ति की आयु लम्बी करता है और ज्ञानी बना देता है
– लेकिन मकर राशि में बैठा बृहस्पति शुभ प्रभाव नहीं देता है
– ऐसा बृहस्पति होने पर धर्मस्थानों पर जरूर जाएं
– साथ ही अगर नियमित रूप से तिलक लगा सकें तो और भी उत्तम होगा
दूसरा राजयोग- गजकेसरी योग
– अगर बृहस्पति और चन्द्रमा एक दूसरे से केंद्र में हों तो गजकेसरी योग बनता है
– यह योग कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न में विशेष प्रभावशाली होता है
– इस योग वाला व्यक्ति शासन और राजनीति में विशेष सफल होता है
– ऐसे लोग जीवन में जिस भी क्षेत्र में जाते हैं, खूब सफल होते हैं
– इस योग के होने पर व्यक्ति को शिव जी की उपासना करनी चाहिए
– साथ ही अगर संभव हो पीला पुखराज धारण करना चाहिए
तीसरा राजयोग- हंस योग
– बृहस्पति से बनने वाला पञ्च महापुरुष योग है
– बृहस्पति अगर कर्क, धनु या मीन राशि में हो तो यह योग बन जाता है
– परन्तु यह योग तभी काम करता है जब केंद्र या त्रिकोण में हो
– यह योग व्यक्ति को महान बना देता है
– इस योग के होने पर व्यक्ति सम्मान पाता ही है
– अगर यह योग है तो जीवन में सात्विक रहना चाहिए
– जहां तक हो सके व्यक्ति को शुभ और धर्म कार्य करते रहना चाहिए
– तेजस्वनी पटेल, पत्रकार
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