Homeआध्यात्मिक न्यूज़आत्मा में परमात्मा की ज्योति हर पल जलनी चाहिए! – डा. जगदीश गांधी

आत्मा में परमात्मा की ज्योति हर पल जलनी चाहिए! – डा. जगदीश गांधी

आत्मा में परमात्मा की ज्योति हर पल जलनी चाहिए! - डा. जगदीश गांधी

(1) प्रेम करो परमात्मा से प्रेम ही सुख का सार है

भले ही परिस्थितियाँ कैसी भी दिखें, हमंे हमेशा परमात्मा पर पूरी श्रद्धा रखते हुए सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते रहना चाहिए। जीवन उत्साह और खुशी से भरपूर हैं, सिर्फ इस कारण क्योंकि हम मानसिक रूप से उस सुखद अवस्था को हासिल कर सकते हैं। हम जानते हंै कि रात्रि के बाद सुबह होती है और अन्धकार दूर हो जाता है। इसलिए हमें कठिन परिस्थतियों में भी घबड़ाना नहीं चाहिए। किसी ने सही ही कहा है कि खुशियाँ मिलती नहीं माँगने से, मंजिल मिलती नहीं राह पर रूक जाने से, भरोसा रखना खुद पर और उस रब पर, सब कुछ देता है वो सही वक्त आने पर।

(2) यदि आपको सफलता देर से मिले तो निराश नहीं होना चाहिये

जिन्दगी में कई मुश्किलें आती हैं और इंसान जरा सी बात में घबराता है न जाने कैसे, हजारों काँटों के बीच रह कर भी इक फूल, रोज मुस्कुराता है। इसलिए दूसरों की अपेक्षा यदि आपको सफलता देर से मिले तो निराश नहीं होना चाहिये। हमारा मानना है कि खुश, स्वस्थ, सफल, शांत और सशक्त व्यक्ति के रूप में अपने अस्तित्व को देखें। जब तक आपके सामने चुनौतियाँ हैं और आप शारीरिक तथा मानसिक रूप से सक्षम हैं, तब तक जीवन रोमांचक और स्फूर्तिवान है। भले अभी अँधियारा हो पर, उजियारे की आस न खोना। जैसे आया चला जायेगा, बस मन से विश्वास न खोना। मत रंज कर ए दिल, गर तुझ पर गम की रात है फिर वही दिन आयेंगे दो चार दिन की बात है।

(3) वर्तमान में जीना सीखे

आगे-आगे चलना है तो हिम्मत हारे मत बैठे। जीवन चलने का नाम है। धरती चलती है, तारे चलते हैं, किरणों की रोशनी बिखरने सूर्य रोेज निकलता है, सभी की सांस चलती रहे इसके लिए हवा बहती है। इंसान की सोच ही उसे सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी बनाती है। जीवन एक विचार से एक मिनट में बदला जा सकता है। इंसान का संकल्प सौ-सौ पहाड़ों को काट सकता है। जब जो कार्य करें उसे सर्वोंच्च प्राथमिकता दें। हम अपनी सहनशक्ति से परिस्थितियों को अनुकूल बना सकते हैं। वर्तमान जैसा भी है उसका सदुपयोग करना चाहिए। वर्तमान में जीना सीखे। पुराना तथा भविष्य का सोच-सोचकर बैठे रहने से कोई लाभ नहीं है। वर्तमान समय भगवान की अनमोल सौगात है। कर्म करने से हार या जीत कुछ भी मिल सकता है, लेकिन कर्म न करने से केवल हार ही मिलती है।

(4) आत्मा में परमात्मा की ज्योति हर पल जलनी चाहिए

जीवन को उत्साह से ओतप्रोत रखने के लिए सकारात्मक चीजों के प्रति हमारा झुकाव होना चाहिए। हम नये रचनात्मक तरीकों और विचारों के प्रति उत्साही बनें, आध्यात्मिक प्रगति करें और सीखते तथा विकास करते रहें। इसी तरह हम अपने जीवन में प्रगति कर सकते हैं। हमारा मानना है कि हमें सकारात्मक विचारों के प्रति खुला होना चाहिए तथा ग्रहणशील बनना चाहिए। वास्तव में हम जो विचार करते हैं, वे विचार हमारे संस्कार बन जाते हैं। इसलिए हम सभी को हमेशा अच्छे विचारों का चिन्तन तथा उसके अनुरूप कार्य करते रहना चाहिए। इस प्रयास का अभ्यास निरन्तर करके आत्मा में परमात्मा की ज्योति हर पल जलाये रखी जा सकती है।

 

डा. जगदीश गांधी

डा. जगदीश गांधी

– डा. जगदीश गांधी, शिक्षाविद् एवं
संस्थापक-प्रबन्धक, सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ

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