92 – समुद्री राक्षस | Samadri Rakshas | Tilismi Kahaniya | Moral Stories
नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि करण और उसके दोस्तों ने नागराज की सहायता से उस राक्षस को श्राप मुक्त किया। उसके बाद कमल अपने श्राप से मुक्त होने के बाद करण और उसके दोस्तों के साथ महर्षि वशिष्ठ को ढूंढने के लिए उनके साथ यात्रा आरंभ कर देता है। उसके बाद वे सभी एक बड़े से नदी के पास पहुंच जाते हैं जिसे वे एक नाव के द्वारा पार करने का प्रयास करते हैं परंतु उस नदी में बहुत ज्यादा हलचल होने लगती है जिसके कारण वे सभी एक-एक करके उस नदी में गिर जाते हैं।
(नदी में गिरने के बाद)
करण:- आखिर हम सब पानी में इतनी आसानी से सांस कैसे ले पा रहे हैं?
बुलबुल:- तुमने सही कहा करण हमें तो कोई भी परेशानी नहीं हो रही है, जबकि हमें तो पानी में तैरना भी नहीं आता फिर भी हम इतनी आसानी से आगे बढ़ पा रहे हैं।
टॉबी:- ऐसा लग रहा है कि मैं कहीं उड़ रहा हूं। मुझे तो बहुत मजा आ रहा है।
नैरेटर:- टॉबी को इतना खुश होता देखकर सभी हंसने लगते हैं।
शुगर:- टॉबी अब बस भी करो।
बुलबुल:- लगता है टॉबी को कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा है।
नैरेटर:– जब सभी पानी में हंसी खुशी खेल रहे थे। तभी वहां पर कुछ पानी के राक्षस आ जाते है।
कुश:- तुम सब कौन हो?
राक्षस 1:- यह सवाल तो हमें तुमसे पूछना चाहिए और तुम हमसे पूछ रहे हो।
राक्षस 2:- यह हमारा साम्राज्य है तुम्हारी यहां पर आने की हिम्मत कैसे हुई?
करण:- आप सभी घबराइए मत हम यहां पर जानबूझकर नहीं आए हैं। हम तो नदी पार कर रहे थे उसके बाद पानी में हलचल होने के कारण हम सभी इस नदी में गिर गए।
राक्षस 1:- घबराने की जरूरत हमें नहीं बल्कि तुम्हें होनी चाहिए। हम सब कैसे विश्वास करें कि तुम यहां पर गलती से आए हो। सैनिको बंदी बना लो इन्हें।
बुलबुल:- नहीं नहीं कृपया करके ऐसा मत कीजिए।
टॉबी:- हां हम सब यहां पर आपको नुकसान पहुंचाने नहीं आए हैं कृपया करके हमें जाने दीजिए।
नैरेटर:- उसके बाद करण और उसके सभी दोस्त उन राक्षसों का सामना करने के लिए अपनी-अपनी तलवारें निकाल लेते हैं। उसके बाद वे सभी आपस में लड़ने लगते हैं।
शुगर:- सितारा तुम अपने जादू की सहायता से कुछ करो।
सितारा:- (चुटकी बजाते हुए) हां… “सितारा है मेरा नाम जादू करना है मेरा काम।”
नैरेटर:- उसके बाद सितारा के हाथों में बहुत सारे फल आ जाते हैं।
टॉबी:- अरे सितारा यह तुमने क्या किया, यह भी भला कोई खाने का समय है?
सितारा:- अरे नहीं मैं तो अपनी जादुई तलवार लाना चाहता था परंतु यह क्या हो गया।
करण:- कोई बात नहीं सितारा दोबारा कोशिश करो।
सितारा:-(चुटकी बजाते हुए) हां करण… “सितारा है मेरा नाम जादू करना है मेरा काम।”
(अब सितारा के पास तलवार आ गई)
राक्षस 1:- तुम लोगों को यह सब मजाक लग रहा है, रुको मैं अभी तुम्हें बताता हूं।
नैरेटर:- उसके बाद वह राक्षस अपनी तलवार से हमला कर देता है और उन सभी के बीच युद्ध होने लगता है।
टॉबी:- ये सब तो बहुत ही शक्तिशाली है।
नैरेटर:- तभी एक रक्षस कारण के पीछे से हमला करता है।
शुगर:- करण संभाल कर तुम्हारे पीछे।
करण:- शुक्रिया शुगर।
शुगर:- कोई बात नहीं।
राक्षस 2:- तुम सब कितना ही प्रयास कर लो परंतु हमसे नहीं बचने वाले।
राक्षस 1:– सब ध्यान से सुनो हमें इन्हें सबक सिखाना ही होगा।
राक्षस 3:- मैं तुम सब को छोडूंगा नहीं।
राक्षस 1:- शाबाश तुमने बहुत अच्छा किया अब इन सबको हम अपने महल में लेकर चलते हैं।
टॉबी:- सितारा कुछ करो, तुम अपने जादू की मदद से इन्हें सबक सिखाओ।
सितारा:- अरे टॉबी हम सब इस राक्षस की मुट्ठी में कैद है मैं इसी वजह से चुटकी नहीं बजा पा रहा और बिना चुटकी बजाए मैं अपना जादू नहीं कर सकता।
करण:- कोई बात नहीं सितारा अब हमें थोड़ी देर इंतजार करना होगा कि यह हमें कहां लेकर जा रहा है।
करमजीत:- तुमने सही कहा।
नैरेटर:- उसके बाद वह सभी राक्षस करण और उसके सभी दोस्तों को एक बड़े से महल में ले आते हैं और वहां पर एक कैदखाने में कैद कर देते हैं।
राक्षस 1:- हा हा… अब तुम सब हमसे बचकर कहीं नहीं जा सकते।
टॉबी:- सितारा क्या तुम हमें अपने जादू की सहायता से इस कैदखाने और नदी से बाहर निकाल कर सीधा हमारी नाव में ले जा सकते हो।
सितारा:- नहीं टॉबी अभी मैं ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि मैंने अभी इतना जादू नहीं सीखा है।
टॉबी:- फिर तुम्हारा जादू सिखने का क्या फायदा सितारा।
सितारा:- क्या कहा तुमने?
बुलबुल:- अब तुम दोनों फिर से लड़ना शुरू मत कर देना।
सितारा:- पर बुलबुल…….
करण:- हां अभी हमें यहां से बाहर निकलने के बारे में सोचना चाहिए।
बुलबुल:- हां सही कहा तुमने करण वरना पता नहीं यह लोग हमारे साथ क्या करेंगे।
शुगर:- हां मुझे तो यह लोग बहुत शक्तिशाली लगते हैं देखो तो हम पानी के अंदर कितनी आसानी से सांस ले पा रहे थे और इस नदी के अंदर कितना बड़ा और सुंदर महल है।
टॉबी:- कोई बात नहीं शुगर तुम चिंता मत करो मैं हूं ना।
सितारा:- पहले खुद का तो ध्यान रख लो।
टॉबी:- क्या कहा तुमने?
सितारा:- वही जो तुमने सुना।
टॉबी:- तुम्हें तो…
बुलबुल और शुगर:- (साथ में) बस भी करो।
करण:- सितारा क्या तुम अपने जादू की सहायता से इस कैदखाने का दरवाजा खोल सकते हो।
सितारा:- हां करण मैं ऐसा कर सकता हूं।
करण:- ठीक है सितारा तो तुम इस कैद खाने का दरवाजा खोलो ताकि हम यहां से बाहर निकल सकें।
सितारा:- (चुटकी बजाते हुए) “सितारा है मेरा नाम जादू करना है मेरा काम।”
कुश:- अरे वाह सितारा तुमने तो कर दिखाया।
बुलबुल:- हां सच में तुमने तो कमाल कर दिया।
सितारा:- (टॉबी की तरफ तिरछी नजरों से देखते हुए) देखा मैं तो हूं ही काम का किसी और की तरह नहीं।
टॉबी:- क्या कहना चाहते हो तुम?
शुगर:- बस टॉबी।
कमल:- हा हा हा… लगता है इन दोनों की आपस में बनती नहीं है।
बुलबुल:- नहीं कमल जी ऐसा नहीं है आज पता नहीं इन दोनों को क्या हो गया है।
करण:- अच्छा यह सब छोड़ो हमें यहां से जल्दी ही निकलना होगा इससे पहले की कोई यहां पर आ जाए।
नैरेटर:- उसके बाद वे सभी चुपके से वहां से जाने लगते हैं। तभी उन्हें एक कमरे से अजीब सी आवाज सुनाई देती है।
करमजीत:- यह कैसी आवाज आ रही है?
करण:- पता नहीं करमजीत…
बुलबुल:- क्या हमें चलकर देखना चाहिए?
कुश:- हां एक बार देख ही लेते हैं।
टॉबी:- नहीं हमें वापस चलना चाहिए इससे पहले की कोई यहां पर आकर हमें दोबारा पकड़ ले।
सितारा:- लगता है किसी को कुछ ज्यादा ही डर लग रहा है पर दोस्तों आप सभी घबराओ मत मैं हूं ना आपके साथ, मैं आप सब की सुरक्षा करूंगा।
टॉबी:- यहां पर किसी को डर नहीं लग रहा है।
नैरेटर:- उसके बाद वे सभी उस कमरे में देखने का प्रयास करते हैं।
शुगर:- यह दोनों तो वही राक्षस है जो हमें यहां पर पकड़ कर लाए थे।
टॉबी:- हां शुगर तुमने बिलकुल ठीक कहा।
कुश:- पर यह दोनों यहां पर क्या कर रहे हैं?
करमजीत:- लगता है यह किसी किस्म का यज्ञ कर रहे हैं।
सितारा:- परंतु उसके लिए अग्निकुंड भी तो होना चाहिए।
टॉबी:- शायद हम समुद्र में है और यहां पर आग नहीं जल सकती इसीलिए इन्होंने अग्नि कुंड नहीं बनाया होगा।
कमल:- नहीं यह दोनों काला जादू कर रहे हैं।
बुलबुल:- परंतु इन्हें किसी पर काला जादू करने की क्या आवश्यकता भला?
करण:- हमम… कुछ तो गड़बड़ जरूर है।
कमल:- तुमने सही कहा करण मुझे भी यहां पर कुछ ठीक नहीं लग रहा।
करण:- हमें थोड़ी देर यहां पर रहकर इंतजार करना चाहिए क्या पता हमें कुछ पता चल जाए।
करमजीत:- हां करण हम थोड़ी देर यहीं पर छुप जाते हैं।
नैरेटर :- इस तरह करण और उसके सभी दोस्त वहीं पर छिपकर खड़े रहते हैं और राक्षस की गतिविधियों पर नजर रखते हैं।
राक्षस 1:- हमारा आज का कार्य समाप्त हुआ।
राक्षस 3:- मुझसे तो अब और इंतजार नहीं होता क्यों ना हम राजा का धोखे से कत्ल कर दें अब तो वह पहले से भी ज्यादा कमजोर हो गए हैं।
राक्षस 1:- नहीं हमें थोड़ा समय और इंतजार करना चाहिए क्योंकि अब हम अपनी मंजिल के बहुत ही करीब हैं। अगर हम इस तरह राजा का कत्ल कर के सिंहासन पर बैठेंगे तो सबको हम पर शक हो जाएगा। इसीलिए हमें शांति से काम लेना चाहिए।
राक्षस 3:- हां तुमने सही कहा हमारे जादू के कारण राजा दिन-ब-दिन कमजोर होते जा रहे हैं और इसी तरह वह एक दिन मर जाएंगे और किसी को हम पर शक भी नहीं होगा। हा हा हा..
बुलबुल:- क्या कहा यह अपने ही राजा को मारना चाहते हैं। हमें कुछ तो करना होगा।
करण:- हां हमें महाराज को सब सच बताना होगा।
कमल:- परंतु क्या महाराज हमारी बातों पर विश्वास करेंगे।
करण:- हमें कुछ तो अवश्य करना ही होगा क्योंकि उनकी जान खतरे में है।
सितारा:- हां हमें चलकर महाराज को ढूंढना चाहिए।
नैरेटर:- उसके बाद करण और उसके सभी दोस्त महाराज को महल में ढूंढने लगते हैं। तब उन्हें उनका कक्ष मिल ही जाता है। परंतु उनके कक्ष के बाहर दो राक्षस सिपाही थे।
करण:- हमें इनका ध्यान भटकाना होगा।
सितारा:- यह कार्य मैं कर सकता हूं।
करमजीत:- कैसे सितारा?
सितारा:- बस अभी देखते जाओ।…
(चुटकी बजाते हुए) “सितारा है मेरा नाम जादू करना है मेरा काम।”
(इतना कहते ही वहां पर एक बिल्ली आ जाती है)
शुगर:- तुम इस बिल्ली का क्या करोगे सितारा?
सितारा:- बस अब तुम देखते जाओ।
नैरेटर:- उसके बाद सितारा उस बिल्ली को जमीन पर छोड़ देता है और वह बिल्ली उन्ही पहरेदार राक्षसों के सामने चली जाती है।
पहरेदार राक्षस(क) :- अरे यह अजीब सा प्राणी कहां से आ गया।
पहरेदार राक्षस(ख):- यह अजीब प्राणी जमीन पर रहता है इसे शायद बिल्ली कहते हैं। परंतु यह सब छोड़ो हमें इसे पकड़ना होगा पता नहीं यह यहां पर कैसे आ गई।
कमल:- बहुत अच्छा।
बुलबुल:- तुमने तो सच में कमाल कर दिया सितारा।
सितारा:- (शरमाते हुए) हह.. शुक्रिया बुलबुल। दरअसल यह एक जादुई बिल्ली है जो थोड़ी देर बाद अपने आप गायब हो जाएगी। जब तक यह बिल्ली उन राक्षसों का ध्यान भटका रही है तब तक हम अंदर कक्ष में जाकर महाराज से बात कर लेते हैं।
करण:- हां तुमने सही कहा सितारा चलो चलते हैं।
नैरेटर:- उसके बाद करण और उसके सभी दोस्त उन राक्षसों के महाराज के कक्ष में चले जाते हैं।
राक्षस महाराज:- (गंभीर बीमारी की हालत में बोलते हैं) तुम.. सब कौन.. हो और यहां.. पर कैसे आए?
सितारा:- महाराज आपकी हालत तो बहुत ही गंभीर है।
राक्षस महाराज:- कौन हो तुम?
करण:- महाराज हम यहां पर आपको एक बहुत ही जरूरी सूचना देने आए हैं।
नैरेटर:- उसके बाद वह राक्षस महाराज अपनी जादुई छड़ी से सभी को रस्सी से बांध देता है।
राक्षस महाराज:- मुझे कमजोर.. समझने का प्रयास.. मत करना,.. अभी भी.. मेरा कोई कुछ.. नहीं बिगाड़ सकता।
बुलबुल:- परंतु महाराज आप हमें गलत समझ रहे हैं हम यहां पर किसी को कोई नुकसान पहचाने नहीं आए हैं हम तो यहां पर आपकी सहायता करना चाहते हैं।
करण:- हां महाराज दरअसल आपके ही कुछ सैनिक आपकी जान के दुश्मन बने हैं। आपकी इस बीमारी के पीछे उन्हीं का हाथ है।
राक्षस महाराज:- बस.. करो।
नैरेटर:- तभी वहां पर वो राक्षस पहरेदार आ जाते हैं।
पहरेदार राक्षस:- महाराज हमें क्षमा कर दीजिए। हम एक अजीब से प्राणी को पकड़ने चले गए थे।
महाराज राक्षस:- इन सब.. को कैदखाने.. में डाल दो।
करण:- महाराज कृपया करके हमारी बातों पर विश्वास कीजिए।
नैरेटर:- उसके बाद वह राक्षस महाराज वहीं पर बेहोश हो जाते हैं।
नैरेटर:- क्या करण और उसके सभी दोस्त मिलकर महाराज की जान बचा पाएंगे और उन दोनों राक्षसों का साथ सामने ला पाएंगे यह सब जानने के लिए बने रहिएगा तिलीस्मी कहानी के अगले एपिसोड तक।