85 – जादुई महल | Jadui Mehal | Tilismi Kahaniya | Moral Stories
नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा कि नागराज की सहायता से करण ने उस राक्षस को खत्म कर दिया था। उसके बाद वे सभी जंगल में चले गए थे, जहां पर उन्हें एक कुटिया में रहने का स्थान मिला था। वे रात को उस कुटिया में सोए थे, परंतु जब वे सभी सुबह सोकर उठे तो उन्होंने खुद को एक अजीब से महल में पाया।
नैरेटर:- करण और उसके सभी मित्र जब सो कर उठते हैं तो वें खुद को उस अजीब से महल में पाते हैं। वह महल काफी अजीब और डरावना था। उसके बाद वहां पर एक बूढ़ा व्यक्ति और एक बूढी औरत आ जाते हैं।
बुढ़ा व्यक्ति:- करण तुम और तुम्हारे मित्र यहां पर आराम से रह सकते हैं, यहां पर कोई भी तुम्हें नुकसान नहीं पहुंचाएगा।
करण:- परंतु आप हमें कैसे जानते हैं?
बुढ़ा व्यक्ति:- हमारे पास कुछ जादुई शक्तियां है, जिसकी सहायता से हमें यह पता चला है कि तुम सभी यहां पर क्या करने आए हो और हम इस काम में तुम्हारी सहायता भी कर सकते हैं। जिसकी सहायता से तुम अपने लक्ष्य तक आसानी से पहुंच पाओगे।
करण:- परंतु हम कल रात को एक छोटी सी कुटिया में सोए थे और जब हम सुबह उठे तो हम इस महल में थे। यह कैसे संभव हुआ?
बुढ़ा व्यक्ति:- करण यह कोई आम महल नहीं है, यह एक मायावी महल है। इस महल में हर कोई प्रवेश नहीं कर सकता। हम जिसे चाहते हैं केवल वही इस महल में प्रवेश कर सकता है और ना ही कोई भी इस महल को आसानी से देख सकता है। हमने देखा कि तुम सभी बहुत ज्यादा थके हुए थे, इसीलिए हमने उस कुटिया के जरिए तुम्हें इस महल में प्रवेश करने दिया।
टॉबी:- आप दोनों हमारी सहायता क्यों कर रहे हैं?
बुढ़ा व्यक्ति:- क्योंकि तुम सभी बहुत ही अच्छे और ईमानदार बच्चे हो, इसीलिए हम तुम्हारी सहायता करना चाहते हैं। हम जानते हैं कि आगे का सफर तुम्हारे लिए बहुत ज्यादा कठिन होने वाला है और उस सफर के लिए तुम्हें हमारी सहायता की आवश्यकता होगी।
बुढ़ी औरत:- चलो बच्चों यह सब छोड़ो। तुम सभी को बहुत जोरो से भूख लगी होगी। मैं अभी तुम सभी के लिए स्वादिष्ट खाना बनाकर लाती हूं।
टॉबी:- हां जी माताजी मुझे भूख तो बहुत जोरों से लगी है।
लव:- तुम सही कहते हो टॉबी। मुझे भी बहुत जोरों से भूख लगी है।
बुढ़ी औरत:- (हंसते हुए) ठीक है बच्चों तुम सभी थोड़ी देर अपने कमरे में विश्राम करो, मैं अभी तुम सभी के लिए भोजन पकाती हूं।
बुलबुल:- मां जी क्या मैं भी आपकी भोजन बनाने में सहायता कर सकती हूं?
बुढ़ी औरत:- अरे नहीं नहीं बेटा तुम चिंता मत करो। मैं अकेले ही भोजन की व्यवस्था कर लूंगी। तुम सभी अपने कमरे में विश्राम करो।
बुढ़ा व्यक्ति:- हां बच्चों यह महल मायावी है। इसीलिए तुम सभी अपने कमरे में ही रहना। तुम किसी दूसरे कमरे में प्रवेश मत करना और ना ही किसी चीज को हाथ लगाना, नहीं तो यह तुम्हारे लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है।
टॉबी:- ठीक है दादाजी हम इस बात का ध्यान रखेंगे।
बुढ़ा व्यक्ति:- ठीक है, (नाराज होते हुए कहता हैं) रुको तुमने अभी मेरी पत्नी को मां जी कहा और तुम मुझे दादाजी कह रहे हो। मैं इतना बूढ़ा भी नहीं हूं।…ठीक है मैं अभी चलता हूं। जब खाना तैयार हो जाएगा, तब मैं तुम्हें बुलाने आ जाऊंगा।
नैरेटर:- उसके बाद वह बुढ़ी औरत सभी के लिए खाना बनाने रसोई घर में चली जाती है और वह बुढ़ा व्यक्ति भी वहां से चला जाता है। उसके बाद करण और बाकी सभी मित्र अपने कमरे की तरफ जाने लगते हैं।
करमजीत:- दोस्तों हम सभी को थोड़ा ध्यान रखने की जरूरत है। पता नहीं क्यों, परंतु मुझे ऐसा लगता है कि यहां पर कुछ गड़बड़ है।
करण:- हां करमजीत तुम बिल्कुल सही कहते हो, हम सभी को सावधान रहना होगा। मुझे भी यहां पर कुछ गड़बड़ लग रही है।
नैरेटर:- महल काफी बड़ा होता है, उसमें बहुत सारे कमरे होते हैं। सभी कमरे दिखने में काफी अलग लग रहे थे, इसलिए सभी की उन कमरों को देखने की उत्सुकता बहुत ज्यादा बढ़ जाती है।
टॉबी:- करण क्या हम इन कमरों के अंदर जाकर देख सकते हैं कि उनके अंदर क्या है?
तेजिंद्र सिंह:- ओए पुत्तर मैं वी देखना चाहंदा हूं कि इन सभी कमरों के अंदर क्या है?
करण:- परंतु उन्होंने हमें किसी भी कमरे के अंदर जाने से या किसी भी चीज को छूने से मना किया है, हमें ऐसा नहीं करना चाहिए।
बुलबुल:- करण मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा है, मुझे तो यहां पर कुछ गड़बड़ लग रही है। हमें इस महल की छान बीन करनी चाहिए, ताकि हमें कुछ पता चल सके।
लव:- हां करण बुलबुल बिल्कुल सही कहती है, हमें एक बार चलकर अवश्य देखना चाहिए।
नैरेटर:- उसके बाद करण अपने सभी दोस्तों की बात से सहमत हो जाता है। फिर वे सभी एक कमरे के अंदर जाते हैं और देखते हैं कि वह कमरा पूरी तरीके से खाली था और उसमें बहुत ही ज्यादा अंधेरा था, जिसकी वजह से वे सभी डरकर उस कमरे से वापस बाहर आ जाते हैं।
लव:- इस कमरे में तो बहुत ज्यादा अंधेरा था। अब तो मुझे बहुत डर लग रहा है।
बुलबुल:- हा लव तुम बिल्कुल सही कहते हो। यह कितना अजीब महल है, यहां पर सब कुछ कितना डरावना है।
करण:- तुम दोनों ने ही कहा था कि हमें देखना चाहिए, अब क्या हुआ? अब तुम लोग इतनी आसानी से डर गए।
लव:- किसने कहा करण कि हम डर गए। हम तो बस यह कह रहे थे कि यह महल बहुत ही ज्यादा अजीब है।
तेजिंद्र सिंह:- कोई गल नी जी फेर हम दूसरे कमरे में चलकर देख लेते हैं।
नैरेटर:- उसके बाद वे इस तरह बाकी कमरों में जाकर देखते हैं। परंतु उन्हें वहां पर भी कुछ नहीं नजर आता। फिर उनकी नजर एक अजीब से कमरे पर जाती है। जिसका दरवाजा बहुत ही बड़ा था और उस दरवाजे पर एक भयानक से राक्षस का चित्र बना हुआ था।
तेजिंद्र सिंह:- अजी पुत्तर मैनु लगदा सी के इस कमरे में हमें कोई वहोत वड्डे राज का पता चल सकदा ऐ(है)।
लव:- परंतु यह दरवाजा तो बहुत ज्यादा डरावना लग रहा है।
करण:- शायद किसी को डर लग रहा है।
(करण लव की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहता है।)
लव:- नहीं करण मुझे डर नहीं लगता। वह तो मुझे लगा कि इस दरवाजे को देखकर शायद तुम में से कोई डर जाए। मैंने तो बस इसीलिए कहा था।
नैरेटर:- उसके बाद करमजीत उस कमरे का दरवाजा खोल देता है। फिर वे सभी उस कमरे के अंदर जाकर देखते हैं। तब वे सभी उस नजारे को देखकर अचंभित हो जाते हैं। वहां पर बहुत सारी मॉम (मोमबत्ती वाला मॉम) की गुड़िया बनी हुई थी। पूरा कमरा उन्हीं से भरा हुआ था। साथ ही वहीं उस कमरें में दाएं ओर कुछ मॉम की गुड़िया जल रही थी। (गुड़िया धीरे-धीरे पिघल रही थी और उनकी आंखों से पानी भी बह रहा था।)
बुलबुल:- आखिर इतनी सारी गुड़िया यहां पर क्या कर रही है? यह सभी मॉम की बनी हुई है। साथ ही यह जितनी भी गुड़िया जल रही है, ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मानो यह रो रही हो और अपना दर्द प्रकट कर रही है। ऐसा लगता है कि जलते हुए इन्हें कितनी ज्यादा पीड़ा हो रही है।
लव:- हां बुलबुल तुम बिल्कुल सच कहती हो। अब तो मुझे सच में यहां पर बहुत ज्यादा डर लग रहा है। चलो अब हम यहां से बाहर चलते हैं।
शुगर:- मुझे भी अब यहां पर बहुत डर लग रहा है।
टॉबी:- अरे शुगर तुम मत डरो, कुछ नहीं होगा। हम सब है ना तुम्हारे साथ।
करण :- ठीक है दोस्तों हम सभी यहां से चलते हैं परंतु कोई भी किसी भी चीज को हाथ मत लगाना।
नैरेटर:- उसके बाद करण और उसके सभी दोस्त उसके कमरे से बाहर आ जाते हैं। फिर वे सभी वापस अपने कमरे में चले जाते हैं।
करण:- हमें यहां का रहस्य जल्दी ही पता लगाना होगा। कहीं ऐसा ना हो कि उससे पहले हम किसी बड़ी मुसीबत में फस जाएं।
तेजिंद्र सिंह:- पुत्तर तुम बिल्कुल सही कहते हो। मैन्नु वी यहां कुछ गड़बड़ लगदी ऐ।
करमजीत:- हमें जल्दी ही इस महल से निकल जाना चाहिए।
नैरेटर:- जब करण अपने सभी दोस्तों से बात कर रहा होता है, तभी वहां पर वह बुढ़ा व्यक्ति आ जाता है। वह उन सभी को घूर कर देख रहा था। तभी टॉबी की नजर उस पर चली जाती है।
टॉबी:- अरे दादा जी आप यहां पर कब आए?
बुढ़ा व्यक्ति:- (हंसते हुए) अरे बस मैं तो अभी ही आया हूं। मैं तुम सबको खाने के लिए बुलाने आया था। चलो खाना तैयार हो चुका है, तुम सभी आकर खाना खा सकते हो।
करण:- ठीक है, चलिए हम सब भी चलते हैं।
शुगर:- हां सब जल्दी चलो, मुझे भी बहुत जोर से भूख लगी है।
नैरेटर:- उसके बाद वे सभी वहां से खाना खाने के लिए चले जाते हैं। वह बूढी औरत सभी को खाना परोस देती है। करण और उसके सभी दोस्त बड़े मजे से सारा खाना खत्म कर देते हैं।
कुश:- यह खाना तो बहुत ही स्वादिष्ट था। मैंने आज तक इसे स्वादिष्ट खाना कभी नहीं खाया।
लव:- हां कुश तुम बिल्कुल सही कहते हो। यह खाना तो सच में बहुत ही लाजवाब था।
बुलबुल:- सच में मुझे भी यह खाना बहुत स्वादिष्ट लगा।
नैरेटर:- सभी को खाना बहुत ही ज्यादा स्वादिष्ट लगता है और वे सभी खानें की बहुत ज्यादा तारीफ करने लगते हैं।
बुढ़ी औरत:- शुक्रिया बच्चों मुझे खुशी है कि आप सभी को मेरे हाथ का बना खाना पसंद आया।
बुलबुल:- जी मां जी आपने सच में बहुत स्वादिष्ट खाना बनाया था। आपका बहुत-बहुत शुक्रिया हमें इतना स्वादिष्ट खाना खिलाने के लिए।
करण:- ठीक है अब आप हमें यहां से जाने की आज्ञा दीजिए। हमें अपनी आगे की यात्रा आरंभ करनी है।
नैरेटर:- जब वह बूढी औरत करण की यह बात सुनती है, तो वह उसे गुस्से से देखने लगती है।
बुढ़ी औरत:- तुम अभी यहां से कहीं भी नहीं जा सकते हो।
करण:- परंतु हम यहां से क्यों नहीं जा सकते?
बुढ़ी औरत:- क्योंकि यहां पर जो भी व्यक्ति आता है वह हमारी मर्जी से ही आता है और वापस भी केवल हमारी ही मर्जी से जा सकता है।
करण:- आप हमें यहां पर क्यों रोकना चाहती हैं? आखिर इसके पीछे आपका क्या उद्देश्य है, हमें बताइए?
बुढ़ा व्यक्ति:- अरे कुछ नहीं बच्चों हमारा कोई उद्देश्य नहीं है। हम तो केवल आप लोगों की सहायता करना चाहते हैं। हम जानते हैं कि आप सभी ने नीलगिरी पर्वत की यात्रा आरंभ की थी ताकि आप अपने मित्र का श्राप तुडवा सके। अभी आप सभी को बाकी दो राक्षसों का सामना करना है, उसमें हम आपकी सहायता कर सकते हैं। आज रात आप सभी यही रूक जाइए, फिर हम कल आगे की यात्रा आरंभ कर देंगे।
नैरेटर:- पहले तो करण उसकी यह बात नहीं मानता, परंतु बाद में वे सभी वहां रुकने के लिए मान जाते हैं। उसके थोड़ी देर बाद रात हो जाती है और वें सभी बहुत गहरी नींद में सो जाते हैं।
फिर उसके थोड़ी देर बाद उन सभी की आंखें खुल जाती हैं। जब वे उठते हैं तो वह देखते हैं कि उनका शरीर पिघल रहा था। यह देखकर सभी बहुत ज्यादा घबरा जाते हैं
करमजीत:- करण यह हमारे साथ क्या हो रहा है हमारा शरीर इस तरीके से क्यो पिघल रहा है?
करण:- जरूर यह सब उन्हीं की चाल होगी।
बुलबुल:- करण कुछ तो करो, यह क्या हो रहा है मुझे तो बहुत ज्यादा डर लग रहा है।
लव:- मुझे नहीं लगता कि अब हम बच पाएंगे।
करण:- दोस्तों तुम सभी चिंता मत करो अभी हमारा शरीर पिघलना शुरू ही हुआ है। हमारे पास अभी वक्त है, तुम सभी हिम्मत से काम लो।
नैरेटर:- आखिर यह सब करण और उसके दोस्तों के साथ क्या हो रहा था? उनका शरीर इस तरीके से क्यों पिघल रहा था और उनके साथ यह सब कौन कर रहा था? वह बूढ़ा व्यक्ति और बुढ़ी औरत आखिर कौन थे? यह सब जानने के लिए बने रहिएगा तिलिस्मी कहानी के अगले एपिसोड तक।