Homeतिलिस्मी कहानियाँ82 – लाल राक्षस | Laal Rakshas | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

82 – लाल राक्षस | Laal Rakshas | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा कि करण और उस के बाकी मित्र सितारा का श्राप तुड़वाने के लिए नीलगिरी पर्वत पर सामग्रियां लेने जाते हैं। तब वहां पर उन्हें एक राक्षस मिलता है और वह राक्षस करमजीत और लव को निघल जाता है।

कुश :- नहीं….. लव, करमजीत यह क्या हो गया यह राक्षस तो दोनों को ही निघल गया। अब क्या होगा करण क्या हम करमजीत और लव को वापस कभी नहीं देख सकेंगे?

करण :- कुश तुम अपने आप को संभालो इस वक्त हमें हिम्मत से काम लेना होगा। हमें इस राक्षस का डटकर मुकाबला करना होगा।

बुलबुल:- हां कुश करण बिल्कुल सही कह रहा है। हम करमजीत और लव को कुछ भी नहीं होने देंगे।

नैरेटर:- राक्षस के करमजीत और लव को निघलने के बाद बाकी सभी लोग उस राक्षस का मुकाबला करते हैं। सभी अपनी तलवारों से उस राक्षस पर प्रहार करते हैं, परंतु उस राक्षस को कोई भी असर नहीं हो रहा था।

टॉबी:- इस राक्षस को तो किसी चीज का भी असर नहीं हो रहा है आखिर हम इसे कैसे हरा पाएंगे और करमजीत और लव को कैसे बचाएंगे?

राक्षस :- हा हा हा.. मैंने कहा था ना तुम सब मेरा मुकाबला नहीं कर पाओगे। मुझे हराना तुम जैसे बच्चों के बस की बात नहीं है।

तेजिंद्र सिंह:- अजी तुसी हमें बच्चा समझने की भूल न करना। हम सब बहुत ही बहादुर है जी, हम तुम्हारा डटकर सामना करेंगे। ओए शेर से पंगा और तेजिंदर सिंह से दंगा बहुत महंगा पड़ता है जी।

राक्षस:- (पंजाबी में) ओजी फिलहाल तोआड्डा इक राक्षस नाल पंगा लेना वहोत ही महंगा पड़ गया जी।

तेजिंद्र सिंह:- (अचंभित होते हुए) अजी तुसी तो मेरे तो वी वदिया पंजाबी बोलते हो जी।

राक्षस:- अब तुम सब अपनी बकवास बंद करो, मैं तुम में से किसी को भी नहीं छोडूंगा।

नैरेटर:- उसके बाद राक्षस उन सभी को अपने हाथों में उठा लेता है और उसके बाद उन्हें एक गुफा के अंदर ले जाता है। फिर वह राक्षस उन सभी को एक पिंजरे में बंद कर देता है। उसके बाद वह राक्षस वहां से चला जाता है।

टॉबी:- अब हम सब क्या करेंगे? इस राक्षस ने तो हमें इस पिंजरे में बंद कर दिया, मुझे तो बहुत डर लग रहा है कि कही यह राक्षस हमें भी ना खा जाए।

शुगर:- तुम बिल्कुल सही कहते हो टॉबी, मुझे भी यही लगता है की यह राक्षस हम सभी को खा जाएगा।

बुलबुल:- शुगर टॉबी तुम दोनों यह सब कैसी बातें कर रहे हो, इतना मत डरो हमें कुछ नहीं होगा। करण अब तुम ही कुछ बताओ कि अब हमें क्या करना चाहिए? हमें तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा है कि इस राक्षस को हम कैसे हराए?

करण:- बुलबुल फिलहाल तो मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा है। परंतु तुम सब चिंता मत करो भगवान का आशीर्वाद हमारे साथ है वह हमें इस मुसीबत से भी निकलने का रास्ता अवश्य दिखाएंगे।

बुलबुल:- हां करण तुम बिल्कुल सही कहते हो भगवान हमारी सहायता अवश्य करेंगे।

तेजिंद्र सिंह:- अजी मैं जानता हूं कि इस राक्षस का सामना कैसे करना है?

कुश:- सही में पाजी क्या आपको पता है कि हम इस राक्षस को कैसे हरा सकते हैं? परंतु हम मेरे भाई लव और करमजीत को इस राक्षस के पेट से कैसे निकाल पाएंगे, क्या वह अभी जिंदा होंगे भी या नहीं?

तेजिंद्र सिंह:- कुश तुम चिंता मत करो करमजीत और लव को कुछ नहीं हुआ है। बस जब वह राक्षस यहां पर वापस आएगा तब तुम सब उस राक्षस को ललकारना और उसे क्रोध दिलाना।

करण:- पाजी राक्षस को क्रोध दिलाने से क्या होगा? आखिर आप ऐसी कौन सी योजना बना रहे हैं, जिसके द्वारा आप उस राक्षस का सामना कर पाएंगे हमें भी बताइए?

तेजिंद्र सिंह:- अजी तुसी चिंता ना करो, बस मैंने जैसा कहा है वैसा ही करो।

टॉबी:- मुझे उस राक्षस के कदमों की आहट सुन रही है। लगता है वह यहां पर वापस आ रहा है, मुझे तो बहुत ज्यादा डर लग रहा है।

शुगर:- तुम सही कहते हो देखो वह राक्षस वापस आ गया है।

नैरेटर:- उसके बाद राक्षस वहां पर वापस आ जाता है।

राक्षस:- हा हा हा हा हा… क्या हुआ बच्चों क्या तुम सभी मिलकर भी मेरा मुकाबला नहीं कर सके इसी वजह से तुम इतने उदास हो।‌ तुम सब तो मेरे समक्ष एक चींटी की भांति हो।

तेजिंद्र सिंह:- ओए राक्षस तुझे अपनी ताकत पर कुछ ज्यादा ही घमंड है ना, अगर ऐसा ही है तो अब मेरा मुकाबला कर, मैं अकेला ही तेरे लिए काफी हूं।

राक्षस:- (हंसते हुए) तुम सब मिलकर तो मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाए, तो अब तु अकेला मेरा क्या बिगाड़ेगा?

तेजिंद्र सिंह:- क्यों राक्षस अब तु मुझसे डर गया क्या?

कुश:- आप बिल्कुल सही कहते हो पाजी यह राक्षस डर गया है इसीलिए इसने हमें यहां पर पिंजरे में बंद कर दिया है।

राक्षस:- ए मुर्ख मुझे लगता है कि तुझे अभी मेरी ताकत का अंदाजा नहीं हुआ है। अगर तू सच में मुझसे मुकाबला करना चाहता है तो मैं अभी तेरी यह आखरी इच्छा भी पूरी कर देता हूं क्योंकि मेरे सामने तु ज्यादा देर टिक ही नहीं पाएगा।

नैरेटर:- उसके बाद राक्षस तेजिंद्र सिंह को उस पिंजरे से बाहर निकाल देता है।

राक्षस :- हां अब तो तुम पिंजरे से भी बाहर आ गए हो अब तुम मुझे अपनी ताकत दिखा सकते हो अब करो मेरा मुकाबला।

तेजिंदर सिंह:- मैं दिखाता हूं तुझे कि मैं क्या कर सकता हूं‌। ओए शेर से पंगा और तेजिंदर सिंह से दंगा बहुत महंगा पड़ता है जी।

नैरेटर:- उसके बाद तेजिंद्र सिंह उस राक्षस के ऊपर अपनी तलवार से हमला करता है। परंतु राक्षस को कुछ भी नहीं होता।

राक्षस:- लगता है अभी भी तुम्हें समझ नहीं आया है। कोई बात नहीं मैं तुम्हारी सारी समस्या एक ही पल में हल कर देता हूं।

नैरेटर :- उसके बाद राक्षस क्रोधित हो जाता है। फिर वह तेजिंद्र सिंह को अपने हाथों में उठाता है और उसे भी निघल जाता है। यह सब देखकर बाकी सभी डर जाते हैं।

टॉबी:- अब यह राक्षस बहुत ज्यादा क्रोधित हो गया है, मुझे लगता है अब यह हमें भी खा जाएगा।

कुश:- तुम बिल्कुल सही कहते हो टॉबी। यह राक्षस तो तेजिंद्र सिंह जी को भी खा गया है। उन्होंने तो कहा था कि उनके पास एक बहुत अच्छी योजना है, जिसकी सहायता से वह करमजीत और लव को बचा सकेंगे। परंतु वह खुद ही इस राक्षस का खाना बन गए। अब लगता है कि हम भी जल्दी ही इस राक्षस के पेट में पहुंच जाएंगे।

नैरेटर:- जब राक्षस तेजिंद्र सिंह को खा जाता है। तब उसके पेट में जाने के बाद वह एक अंधेरी सी जगह में पहुंच जाता है। वहीं पर उसे करमजीत और लव भी नजर आते हैं।

करमजीत:- पाजी आप यहां पर, क्या उस राक्षस ने आपको भी खा लिया।

तेजिंद्र सिंह:- नहीं नहीं पुत्तर जी राक्षस ने मुझे नहीं बल्कि मैंने उस राक्षस को खा लिया है।

लव:- क्या सच में पाजी परंतु अगर ऐसा है तो हमें भी आपके पेट में होना चाहिए था, क्योंकि हम तो राक्षस के पेट में है और राक्षस आपके पेट में है।
फिर हम आपसे बात कैसे कर पा रहे हैं?

तेजिंद्र सिंह:- अजी पुत्तर तुसी ए की गल कर रहे हो। राक्षस ने ही मुझे निघला है और मैं तुम दोनों नू इहां बचान वास्तें ही आया हूं।

करमजीत:- परंतु पाजी हम अब इस राक्षस के पेट से वापस बाहर कैसे निकल सकते हैं?

तेजिंद्र सिंह:- तुसी फिकर ना करो। मेरे पास यह छोटा सा खंजर है, इसकी सहायता से मैं इस राक्षस के पेट को काट दूंगा, उसके बाद हम यहां से बाहर निकल जाएंगे।

नैरेटर:- उसके बाद तेजिंद्र सिंह उस खंजर की सहायता से उस राक्षस के पेट में बहुत जोर से वार करने लगता है, जिसकी वजह से उसके पेट में बहुत ज्यादा दर्द होने लगता है। ज्यादा दर्द होने के कारण वह राक्षस बहुत ज्यादा तड़पने लगता है। राक्षस समझ जाता है कि कोई उसके पेट में चाकू से वार कर रहा है। राक्षस को ऐसे दर्द में करहाते हुए देखकर करण और उसके बाकी मित्र असमंजस में पड़ जाते हैं कि अचानक से राक्षस को क्या हो गया है?

बुलबुल:- आखिर इस राक्षस को क्या हो गया है वह दर्द से इतना तडप क्यों रहा है?

कुश :- लगता है इस राक्षस ने कुछ गलत खा लिया होगा।

शुगर:- क्या तुमने देखा नहीं कुश की अभी इस राक्षस ने तुम्हारे सामने ही तेजिंद्र सिंह जी को खाया है।

कुश :- तुम सही कहती हो शुगर लगता है कि तेजिंद्र सिंह से पंगा लेना इस राक्षस को सच में महंगा पड़ गया है।

नैरेटर:- तेजिंद्र सिंह के काफी प्रहारों के बाद वह सफल हो जाता है और उसके बाद वहां पर एक बहुत ही चमकदार रोशनी प्रकट हो जाती है। उस रोशनी के प्रकट होने के बाद तेजिंद्र सिंह, करमजीत और लव वापस उस राक्षस के पेट से बाहर आ जाते हैं। उन्हें वापस अपने सामने सही सलामत देखकर बाकी सभी बहुत ज्यादा खुश हो जाते हैं। उसके बाद करमजीत बाकी सभी को भी पिंजरे से बाहर निकाल देता है।

बुलबुल:- पाजी आपने तो बिल्कुल कमाल ही कर दिया। आखिर आपने ऐसा क्या किया जिसकी वजह से वह राक्षस गायब हो गया और आप सभी वापस बाहर आ गए।

करमजीत:- पाजी ने एक खंजर की सहायता से उस राक्षस के पेट में आक्रमण किया, जिसके कारण हम उस राक्षस के पेट से बाहर निकलने में कामयाब हो सके।

शुगर:- चलो अच्छा है कि तेजिंद्र सिंह जी ने इस राक्षस का भी वध कर दिया।

बुलबुल:- परंतु अभी तो हमें बाकी तीन राक्षसों का भी सामना करना होगा।

करण:- हां अभी तो हमें बहुत कुछ करना है‌। चलो हम अब अपना आगे का सफर शुरू करते हैं।

नैरेटर:- उसके बाद करण और उसके सभी मित्र मिलकर अपना आगे का सफर शुरू कर देते है। वह उस रास्ते पर आगे जाते हैं। उन्हें वहां पर बहुत सारे सुंदर वृक्ष दिखाई देते हैं, जिस पर बहुत ही स्वादिष्ट फल लगे होते हैं।

टॉबी:- देखो यहां पर कितनी सारी स्वादिष्ट सेब है। मुझे तो बहुत जोरो से भूख लगी है, चलो कुछ फल तोड़कर खाते हैं।

लव:- तुमने सही कहा मुझे भी बहुत जोरो से भूख लगी है।

नैरेटर:- उसके बाद सभी वृक्ष से फल तोड़कर खाने लगते हैं कि तभी वहां पर बहुत सारे सैनिक तलवार लेकर आ जाते हैं और उन सभी को घेर लेते हैं।

बुलबुल:- अभी फिर से नई मुसीबत। अभी ही हमने कुछ देर पहले एक राक्षस का मुकाबला किया। अब फिर से यह लोग आ गए। हे भगवान हमारी रक्षा करना।

कुश:- हमें इतनी ज्यादा भूख लगी थी कम से कम हमें पहले शांति से फल तो खाना देते।

नैरेटर:- उसके बाद वे सैनिक उन सभी पर आक्रमण कर देते हैं और सभी अपनी तलवार निकाल कर उन सैनिकों का मुकाबला करते हैं। वे सैनिक बहुत ज्यादा ताकतवर थे, उनका मुकाबला करना बहुत ही मुश्किल हो रहा था। उसके बाद करमजीत देखता है कि करण तो वहां पर कहीं भी नहीं है।

करमजीत:- आखिर यह करण कहां पर चला गया।

लव:- पता नहीं करमजीत करण अभी तो यहीं पर था।

नैरेटर:- उसके बाद करण उन सैनिकों के बीच में से आता है। उसकी आंखें बहुत ज्यादा लाल हो रखी थी।

करण:- सैनिकों इन सभी को बंदी बना लो।

नैरेटर:- उसके बाद सैनिक उन सभी को बंदी बना लेते हैं। किसी को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिरकार करण ने ऐसा क्यों किया और यह सभी सैनिक करण की बातें क्यों मान रहे हैं?

तो आखिर यह सब सैनिक कौन थे जो कि करण की बातें मान रहे थे और करण ने अपने ही दोस्तों को इन सैनिकों से कहकर बंदी क्यों बनवाया? यह सब जानने के लिए बने रहिएगा तिलिस्मी कहानी के अगले एपिसोड तक।

 

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