81 – नागराज से सामना | Nagraj se Saamna | Tilismi Kahaniya | Moral Stories
नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा कि करण और उस के बाकी मित्र सितारा का श्राप तुड़वाने के लिए भविष्य में चले गए थे। बड़ी मुश्किल से उन सभी को बाबा मिल जाते हैं। जहां हमें यह भी पता चलता है कि टॉबी अपने पूर्वजन्म में तेजिंदर और सुनीता का पालतू पशु गुल्लू ही था।
नैरेटर:- अब बाबा सभी को यह बताते हैं कि सितारा का श्राप किस तरीके से टूट सकता है।
बाबा:- बच्चों, सितारा का श्राप तुडवाना कोई आसान कार्य नहीं है, उसके लिए आप सभी को चार अनोखी सामग्रियां लेकर आनी होगी। उसके बाद हम सभी को मिलकर हवन करना होगा और हवन भंग नहीं होना चाहिए। उसी के बाद सितारा अपने श्राप से मुक्त हो सकेगा फिर आप सभी अपने समय में वापस जा सकते हैं।
करण:- परंतु बाबा हमें वह चार सामग्रीयां कहां से प्राप्त होगी?
बाबा:- तुम्हें नीलगिरी पर्वत पर जाना होगा जहां पर तुम्हें वह चार सामग्रियां मिल जाएगी परंतु एक बात का ध्यान रहे. . वहां पर तुम्हें चार राक्षस मिलेंगे जिनकी सहमति के बाद ही तुम उन सामग्रियों को प्राप्त कर सकोगे।
बुलबुल:- क्या हमें फिर से राक्षसो का सामना करना पड़ेगा?
लव:- अरे भाई यह मुसीबत तो खत्म होने का नाम ही नहीं लेती है।
सुनीता:- ओहो पुत्तर तुम सभी को फिर से राक्षसों का मुकाबला करना पड़ेगा।
लव:- कोई बात नहीं आप सब हमारी चिंता मत कीजिए। हमने कितने राक्षसों का वध किया है, इन चार राक्षसों को भी हम आसानी से मार डालेंगे और हमारे साथ करण है हमें फिक्र करने की कोई जरूरत नहीं है।
बाबा:- परंतु तुम सभी ध्यान से उन राक्षसों का मुकाबला करना, क्योंकि उन राक्षसों को मारना इतना आसान नहीं होगा।
करण:- बाबा आप हमें सभी सामग्रियों के नाम बता दीजिए और हम उनकी पहचान कैसे कर पाएंगे?
बाबा:- बेटा वो चारों सामग्रियां एक चमकते हुए बक्से में होगी। उस बक्से की चाबी भी उन राक्षसों के पास ही होगी और तुम्हें उन राक्षसों से वह चाबी लेनी होगी, उसके बाद ही तुम उस बक्से को खोल पाओगे।
करमजीत:- परंतु बाबा हम उन राक्षसों का सामना कैसे करेंगे?
बाबा:- उन राक्षसों का सामना तो तुम्हें अपनी बुद्धि से ही करना होगा।
तेजिंदर सिंह:- अजी कोई गल नहीं, हम उन राक्षसा नू वी वेख लेंगे।
नैरेटर:- उसके बाद सभी नीलगिरी पर्वत पर जाने की योजना बनाने लगते हैं।
करण:- परंतु हम सभी वहां पर नहीं जा सकते हम में से किसी को यहां पर रहकर सितारा की भी देखभाल करनी होगी।
बुलबुल:- हां नहीं तो सितारा सभी को बहुत ज्यादा परेशान कर देगा।
सुनीता:- अजी पुत्तर मेरे रहेंदे तुसी क्यों फिक्र करदे हो। मैं इत्थे रह के सितारा दा अच्छे से ध्यान रखांगी, कद्दू काट के।
तेजिंदर सिंह:- हांजी पुत्तर तुसी फिकर ना करो, सुनीता जी सितारा का अच्छे से ध्यान रखेगी और मैं भी तुम सभी के साथ नीलगिरी पर्वत पर जाऊंगा । वहां उन राक्षसो का मुकाबला करने में तुम्हारी सहायता करूंगा।
करण:- नहीं तेजिंदर सिंह जी, आपको हमारी वजह से इतनी सारी मुसीबतों का सामना करना पड़ा और हमारी वजह से आप खुद को इस मुसीबत में मत डालिए।
तेजिंदर सिंह:- अजी कोई गल नी पुत्तर मेरे रहंदे तुसी फिक्र न करना करो। मैं भी तुम सबकी सहायता करूंगा।
करमजीत:- ठीक है तो फिर हम सब मिलकर कल ही नीलगिरी पर्वत की यात्रा आरंभ करेंगे।
नैरेटर:- उसके बाद सभी रात को खाना खाकर सो जाते हैं और अगले दिन सुबह जल्दी उठकर करण, उसके सभी दोस्त और तेजिंदर सिंह अपनी यात्रा पर निकल जाते हैं।
नैरेटर:- उसके अगली सुबह वह सभी अपनी यात्रा आरंभ कर देते हैं और कुछ दूर चलने के बाद वें सभी एक जंगल में पहुंच जाते हैं, जहां पर उन्हें बहुत सारे छोटे-छोटे रंग बिरंगे सांप दिखते हैं।
बुलबुल:- अरे बाप रे! यहां पर तो बहुत सारे सांप है अब हम इस रास्ते को कैसे पार करेंगे?
लव:- अरे यह सब सांप तो तेजी से हमारी ओर ही आ रहे है।
करण:- सभी अपना ध्यान रखना, कहीं ऐसा ना हो की यह हमें डस ले।
नैरेटर:- उसके बाद वह सभी सांप करण और उसके दोस्तों को चारों तरफ से घेर लेते हैं और तेजी से उनकी तरफ बढ़ने लगते हैं। फिर करण, करमजीत और बाकी सभी अपनी अपनी तलवारें निकाल लेते हैं।
तेजिंदर सिंह:- सुनो पुत्तर आप सब अपना ध्यान रखना यह सब तो बहुत सारे हैं इन्हें मैं अभी अच्छे से सबक सीखाता हूं। ओए शेर से पंगा और तेजिंदर सिंह से दंगा बहुत महंगा पड़ता है जी।
करमजीत:- पाजी आप अपना ध्यान रखना, यह सांप तो बहुत सारे हैं।
नैरेटर:- उसके बाद वे सभी अपनी तलवारों से उन सांपों पर हमला करने लगते हैं। परंतु वह सांप तो बढ़ते ही जा रहे थे और धीरे-धीरे सांप उन सभी के शरीर को जकड़ लेते हैं। तभी वहां पर नागों का राजा प्रकट हो जाता है।
नागों का राजा:- तुम सभी की इतनी हिम्मत कि तुमने हमारे जंगल में प्रवेश किया।
करमजीत:- हमें नीलगिरी पर्वत पर जाना है और वहां जाने के लिए सिर्फ यही रास्ता है, तो हमें तो जंगल में प्रवेश करना ही था।
करण:- महाराज, हमारा नीलगिरी पर्वत पर जाना बहुत जरूरी है, इसीलिए हम यहां पर आए हैं, हम किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते।
बुलबुल:- हां महाराज हमारा यकीन कीजिए हमें अपने मित्र की सहायता करनी है और उसका श्राप तोड़ने का केवल एक ही उपाय है, हमें नीलगिरी पर्वत से कुछ सामग्रियां लानी है इसीलिए हम यहां पर आए हैं।
नैरेटर:- तब सभी एक साथ नागराज से उन्हें छोड़ने के लिए प्रार्थना करते हैं। तब नागराज क्रोधित हो जाते हैं और कहते हैं. .
नागराज:- बस अब सभी शांत हो जाओ, परंतु हम कैसे यकीन करें कि तुम सब सत्य कह रहे हो?
तेजिंदर सिंह:- अजी हम सब बड़े अच्छे लोग हैं हम किसी का भी बुरा नहीं कर सकते।
कुश:- जी महाराज हम बिल्कुल सत्य कह रहे हैं हमारी बातों पर विश्वास कीजिए। हमारा एक मित्र है जिसका नाम सितारा है। उसे एक बाबा ने श्राप दे दिया था। जिससे वह अपनी याद्दाश भूल चुका है और हम यहां पर भविष्य में आए हैं उसको उस श्राप से मुक्त करवाने के लिए।
नागराज:- क्या कहा सितारा, सितारा तुम्हारा मित्र है?
करण:- जी महाराज सितारा हमारा मित्र है और हम उसी को श्राप से मुक्त करवाने के लिए यहां पर आए हैं। हमें नीलगिरी पर्वत पर जाना है, वहां से हमें कुछ सामग्रियां लेकर आनी है।
नैरेटर:- उसके बाद नागराज अपने सभी सांपों को आदेश देते हैं कि वह सभी उन्हें छोड़ दे। उसके बाद जितने भी सांपों ने उन्हें जकड रखा था। वह सभी पीछे हट जाते हैं।
नागराज:- ठीक है हमें आप सभी की बातों पर विश्वास है। हम चाहते हैं कि आपके मित्र का श्राप जल्दी ही टूट जाए। परंतु नीलगिरी पर्वत पर जाना इतना आसान कार्य नहीं है। आप सभी को बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना होगा। अगर आपको कभी भी हमारी सहायता की आवश्यकता हो तो आप हमें पुकार लेना, हम आपकी सहायता करने अवश्य आएंगे।
नैरेटर:- उसके बाद नागराज करण को एक नागमणि देता है, जो की बहुत ज्यादा चमक रही थी।
नागराज :- हम आपको यह मणी देते हैं, जो मुसीबत के समय आपकी सहायता करेगी।
करण:- जी महाराज आपका बहुत-बहुत शुक्रिया।
लव:- परंतु महाराज मुझे आपसे एक बात पूछनी थी की यह मणी हमारे लिए किस प्रकार उपयोगी है? हमें इसका प्रयोग किस तरह करना होगा?
नागराज:- जब सही समय आएगा, तब आपको खुद ही इस प्रश्न का उत्तर मिल जाएगा।
नैरेटर:- उसके बाद नागराज करण और उसके सभी मित्रों को वहां से जाने देता है और उन्हें नीलगिरी पर्वत तक जाने का आसान रास्ता भी बता देता हैं। नागराज के ऐसे बदलते व्यवहार को देखकर सभी सोचते हैं कि आखिर उन्होंने उन सबको इतनी आसानी से क्यों जाने दिया? फिर वह सभी अपनी आगे की यात्रा आरंभ कर देते हैं।
लव:- आखिर नागराज ने हमें इतनी आसानी से कैसे जाने दिया और उन्होंने हमारी नीलगीरी पर्वत तक पहुंचने के लिए सहायता भी की।
बुलबुल:- हां तुम बिल्कुल सही कहते हो पहले तो वह हम पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं कर रहे थे और जैसे ही उन्होंने सितारा का नाम सुना। उसके बाद उन्होंने हमें कितनी आसानी से जाने दिया। मुझे तो लगता है सितारा और नागराज का जरूर कुछ संबंध है।
टॉमी:- हां बुलबुल, तुम बिल्कुल सही कहती हो। जरूर कुछ तो गड़बड़ है।
नैरेटर:- उसके बाद रात हो जाती है। वें सभी पूरे दिन यात्रा कर के बहुत ज्यादा थक जाते हैं। फिर सभी वही उस जंगल में पेड़ से कुछ फल तोडकर खा लेते हैं और रात वहीं पर गुजारते हैं। वह सभी बहुत ही ज्यादा थक चुके थे, इसलिए वे वही एक बड़े से वृक्ष के नीचे सो जाते हैं।
अगली सुबह:-
नैरेटर:- वह सभी फिर से अपनी यात्रा आरंभ कर देते हैं और वह एक बड़े से पर्वत के पास पहुंच जाते हैं।
शुगर:– लगता है, हम नीलगिरी पर्वत के पास पहुंच गए हैं।
टॉबी:- हां शुगर तुम बिल्कुल सही कहती हो, मुझे भी ऐसा ही लगता है?
करण:- परंतु हम उन गुफाओं को कैसे ढूंढेंगे?
बुलबुल:- करण देखो वहां पर एक रास्ता है हमें लगता है कि वहीं से उन गुफाओं में जाने का रास्ता होगा।
करमजीत:- हां चलो वहां पर चलकर देखते हैं।
नैरेटर:- उसके बाद वह सभी उस रास्ते पर चलने लगते हैं। वहां पर बहुत ही ठंडी ठंडी हवाएं चल रही थी और बहुत ही सुंदर पेड़ पौधे थे। तभी थोड़ी दूर आगे चलने के बाद उन्हें एक बड़ी सी गुफा दिखती है।
लव:- वह देखो वहां पर एक बड़ी सी गुफा है, मुझे लगता है कि वहीं पर हमें वह सामग्री मिलेगी।
टॉबी:- हां लगता है कि हम अपनी मंजिल तक पहुंच गए हैं। इस बार हमें अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए ज्यादा मुसीबतों का सामना नहीं करना पड़ा, यह तो कितनी खुशी की बात है।
शुगर:- हॉ टाबी तुम बिल्कुल सही कह रहे हो, लगता है भगवान ने हमारी सून ली।
बुलबुल:- अरे शुगर और टॉबी अभी हमारा सफर पूरा नहीं हुआ है। अभी तो हम बस इस पर्वत तक ही पहुंचे हैं। अभी तो हमें सामग्री भी इकठ्ठी करनी है और उन राक्षसों का भी सामना करना है।
नैरेटर:- जब वह सभी बात कर रहे थे, तभी वहां पर एक बड़ा सा राक्षस आ जाता है।
राक्षस:- तुम सब मेरे इलाके में कैसे आए?
लव:- हमम….. हम सभी पैरों से चलकर आए हैं।
नैरेटर:- लव की यह बात सुनकर सभी हंसने लगते हैं। फिर राक्षस को गुस्सा आ जाता है।
राक्षस:- तुम्हारी इतनी हिम्मत, एक तो तुम मेरे इलाके में आए हो और ऊपर से मेरी बातों का मजाक बना रहे हो। मैं अभी तुम सभी को सबक सिखाता हूं। अब मैं तुम सबका गला काट दूंगा।
तेजिंदर सिंह:- अजी… ऐदे नाल तो असी मर जावांगे।
बुलबुल:- नहीं कृपया करके आप ऐसा मत कीजिए। हमें आगे जाने दीजिए हमें अपने मित्र का श्राप तुड़वाना है जिसके लिए हमें सामग्रीयां चाहिए इसीलिए हम यहां पर आए हैं।
राक्षस:- मैं तुम्हें इतनी आसानी से नहीं जाने दूंगा, तुम सभी को पहले मेरा मुकाबला करना होगा।
नैरेटर:- उसके बाद राक्षस उन पर हमला करता हैं और वहीं दूसरी तरफ करण और उसके सभी दोस्त मिलकर अपनी तलवार से राक्षस पर आक्रमण करते हैं, परंतु राक्षस को कुछ भी नहीं होता।
राक्षस:- तुम सभी बच्चे मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते, मैं अभी तुम सबको खा जाऊंगा।
नैरेटर:- उसके बाद राक्षस करमजीत और लव को अपने हाथ में उठा लेता है और उन्हें निघल जाता है। उसके बाद उनके सभी दोस्त घबरा जाते हैं।
तो क्या अब करण अपने दोस्तों को राक्षस के पेट से निकाल पाएगा या नहीं। साथ ही नागराज और सितारा का क्या संबंध है? यह सब जानने के लिए बने रहिएगा तिलिस्मी कहानी के अगले एपिसोड तक।