75 – जादुई लड़ाई | Tilismi Kahaniya | Moral Stories
तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि सितारा के गांव में मेला लगा है और सभी मित्र उस मेले में जाते है जहां वे खूब मौज मस्ती करते हैं। इस के बाद सभी लोग बन्नू चाचा की दुकान पर भी गए थे जहां पर सितारा चाचा की मुर्गी को पकड़ने का प्रयास करता है। पहले तो वह इस कार्य में बार बार असफल हो रहा था लेकिन बाद में वह चतुराई से वह सफल हो गया था।
खैर सितारा ने बन्नू चाचा की मुर्गी को पकड़ लिया था। सभी सितारा के लिए तालियां बजा रहे थे।
बुलबुल- “बधाई हो सितारा , बधाई हो…. चलो अब अपना पुरस्कार ले लो!”
चाचा- “हां हां , बेटा यह लो. यह जादुई कड़ा!”
सितारा- “बहुत-बहुत शुक्रिया बन्नू चाचा!”
चाचा- “हा हा हा. इस में शुक्रिया कैसा सितारा?. तुम ने तो यह खुद ही जीता है!”
कुश- “हां सितारा !! चाचा जी बिल्कुल सही कह रहे हैं!”
सितारा- “हम्म… तो मित्रों चलो, अब हम यहां से चलते हैं , नहीं तो शाम हो जाएगी!”
वहां पर कुछ चीटियों का नृत्य शुरू हुआ था।. सभी चीटियां गोलाई में खड़ी थी और कतार में चल रही थी. चलते-चलते वह नृत्य भी कर रही थी.
शुगर- “वाह!! सब लोग अपनी बाई तरफ तो देखो तो, वहां पर चीटियां नाच रही है ….!”
टॉबी- “हाँ~~~~ वाह… देखो तो उन्होंने तो इंसानों की तरह कपड़े भी पहन रखे हैं… देखने में कितना अच्छा लग रहा है ना!”
बुलबुल- “जरा सुनो तो, वो गाना भी गा रही है!”
सितारा- “हां इन का समारोह शुरू हो गया है, ये हर साल ऐसा करती हैं!”
कर्ण- “लगता है काफी प्रसिद्ध है ये, देखो कितने दर्शक आ रहें हैं इन को देखने…!!
सितारा- “हां कर्ण!!”
उस वक्त मेले के सभी लोगों का ध्यान उन्ही पर था। और उन्हें देखने के लिए दर्शक आ रहे थे।
कर्मजीत- “वाह!! यह दृश्य तो अत्यंत मनमोहक लग रहा है!”
करन- “हां…मैं अपने जीवन में पहली बार कुछ ऐसा देख रहा हूं.!”
बुलबुल- “हां करण !!! हम सब ने भी ये पहली बार देखा है…!”
टॉबी- “हाँ. करण !!! मैं भी जा कर उन के साथ नाच लूँ क्या?”
शुगर- “हाँ… मैं भी नाचना चाहती हूं. चलते हैं ना टॉबी.!”
बुलबुल- “हां हां!! इस में पूछने वाली कौन सी बात है , जाओ तुम सब भी मस्ती करो.!”
तो टॉबी और शुगर दोनों जा कर उन चीटियों के साथ नाचने के लिए चले जाते हैं।
चींटी- “अरे आओ आओ…तुम भी हमारे साथ नृत्य करो.!”
टॉबी- “हां…अभी आ रहे हैं हम!”
तब टॉबी और शुगर दोनों हाथ पकड़ कर उन के साथ गोलाई में नाचने लग जाते हैं।
सितारा- “हा हा हा, देख कर मजा आ रहा है, मै भी आता हुँ टॉबी!”
टॉबी- “आओ आओ…!!”
फिर सितारा भी उन सभी के साथ हाथ पकड़ कर नाचने लगता है।
थोड़ी देर में शाम हो जाती है और सभी लोग मेले से घर जाने लगते हैं।
तभी एक सियारिन वहाँ आती है।
सियारिन- “चोर चोर … देखो. चोर…!”
कुश- “यह किस को चोर कह रही है? “
बुलबुल- “कौन चोर!!”
सियारिन करण की तरफ इशारा करती है ।
सियारिन- “तुम्हारे साथी को ही कह रही हूं , वही है चोर!!”
कर्मजीत- “क्या???. ये तुम क्या कह रही हो?”
सियारिन- “मेरी माला की दुकान पीछे ही है….अभी मैंने देखा था कि वहां से आते हुए इस ने मेरी दुकान से एक माला चुरा ली है…!”
करण- “नही…आप को कोई गलतफहमी हुई होगी… मैं ऐसा बिल्कुल नहीं कर सकता!”
कर्मजीत- “हाँ … ये कैसी नीची बात बोली है! कर्ण मेरा मित्र हैं”
सियारिन- “अरे नहीं नहीं, मैंने अपनी आंखों से देखा था ,इसी नें हीं किया है… पूरे मेले में तुम लोग बिल्कुल अलग दिखते हो…क्या मुझे नहीं पता लगेगा कि चोरी किस ने की !”
कर्मजीत- “बस भी कीजिए. हम ने कहा ना कि हम चोर नहीं है!”
सियारिन- “तुम लोग को मैं ऐसे नहीं जाने दूंगी. पहले मेरी माला वापस करो!”
करन- “जब हमारे पास आप की माला है ही नहीं तो हम आप को वापस कैसे करेंगे?”
बुलबुल- “वही तो. लेकिन कोई बात नहीं , आप चाहें तो हम से पैसे ले लीजिए!”
करण- “नही बुलबुल…यहां पर बात पैसों की नहीं है , यहां पर बात है ईमानदारी की… हम ने जो गलती नहीं की. उस का इल्जाम अपने सिर पर क्यों लें भला?”
सियारिन- “तुम अपनी बकवास बंद करो.!”
करण- “हम कोई बकवास नहीं कर रहे हैं. हम आप को सच्चाई से रूबरू करवाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन आप मान ही नहीं रही!”
और तभी उस सियारिन का पति मणि सियार अपने दो साथियों के साथ वहां पर आ जाता है।
मणि सियार- “तुम चिंता मत करो रूपमती… मैं आ गया हूं, इन लोगों से तो मैं निपटता हूं…!”
सियारिन- “हम्म्म, अच्छा हुआ जो आप आ गए…!”
करण- “लेकिन हम लोगों ने कुछ भी नहीं किया!”
सियार- “बस कर!!.मैं दूर से सारी बातें सुन रहा था.तू अपनी चोरी का इल्जाम अपने सिर पर नहीं ले रहा है ना. रुक जा…तुझे तो मैं बताता हूं. साथियों इस पर हमला करो!”
और बिना सोचे समझे वो सब करण पर हमला कर देते हैं लेकिन करण काफी होशियार था, वह उन के वार से बड़ी आसानी से उछल कर बच जाता है।
दोस्त सियार 1- “रुक मणि…इसे तो मै अभी सबक सिखाता हूं!”
मणि- “हां छोड़ेंगे नहीं.!”
करण- “मैं बार बार कह रहा हूं कि मैं चोर नहीं हूं!”
करमजीत (अपनी तलवार निकाल कर)- “ये ऐसे नही मानने वाले कर्ण.!”
कर्ण- “नहीं करमजीत, हम इन पर हमला नहीं कर सकते…!”
तभी एक सियार (1)करण को मारने के लिए उस पर कूदता है लेकिन करण वहां से हट जाता है और सियार (1) करण के पीछे रखे हुए ढेर सारे मटको के ढेर में गिर जाता है।
सियार 2- “दोस्त…तुम ठीक तो हो!!!”
सियारिन- “उठाओ उसे.!”
मणि- “यह तूने अच्छा नहीं किया! शैतान”
करण- “मैंने कुछ भी नहीं किया.!”
और मणि गुस्से में करण पर वार करने लगता है लेकिन करण आसानी से उस से बच जाता है।
मणि जमीन पर गिर चुका था लेकिन तभी अचानक से उसे कोई शक्ति मिल जाती है. वह बड़े जोश के साथ खड़ा होता है और करण की तरफ गुस्से से देखता है।
सियारिन- “मारो इसे.!”
करमजीत- “करण मैं आता हूं!”
करण- “अरे नहीं करमजीत, तुम चिंता मत करो. इन लोगों के लिए मैं अकेला ही काफी हूं!”
टॉबी- “हाँ करण… इन सब को धूल चटा दो!”
लव- “हां ऐसे लोगों के साथ ऐसा ही होना चाहिए!”
कुश- “करण… बचो…!!!. वो तुम्हारे पीछे आ रहा है”
तो पहले करण मणि के वार को रोकता है और फिर उस पर हमला करता है।
कर्मजीत- “हाँ… छोड़ना नहीं इसे!”
कुश- “शाबाश कर्ण…!”
लेकिन इस बार करण को मणि का वार काफी तेज और जोश से भरा हुआ लग रहा था।
सियार मित्र 1- “बहुत अच्छे मेरे दोस्त. इस लड़के को अच्छा सबक सिखाओ.!”
सियार मित्र 2- “हां इस के बाद इसे बंदी बना लेते हैं और फिर मुखिया के पास ले चलते हैं!”
वहीं दूसरी ओर भीड़ इकट्ठा हो चुकी थी…गांव की एक बूढी कंगारू उन को ऐसा ना करने के लिए भी कहती है लेकिन वे लोग उन की बात नहीं सुन रहे थे।
करन- “करमजीत मेरी सहायता करो. मुझे लगता है कि उन के पास कोई अदृश्य शक्ति है!”
लव- “ओह नही, करमजीत जल्दी.!”
करमजीत- “आ रहा हूँ कर्ण!!”
कुश- “चलो कुश, हम भी चलते हैं!”
और करण की यह बात सुन कर टॉबी यहां वहां घूमने लगता है, क्योंकि उसे कुछ अदृश्य शक्ति का आभास होता है।
वहीं करमजीत, कुश और लव भी करण की सहायता कर रहे थे। जहां पहले मेले में खुशी का माहौल था वहीं अब दुख का माहौल हो गया था।
बुलबुल- “करण…करमजीत…ध्यान से, लव कुश संभाल कर…!”
शुगर- “ये लड़ाई तो बढ़ती ही जा रही है…!”
सितारा- “सितारा है मेरा नाम, जादू करना है मेरा काम!” (चुटकी बजाता है)
सितारा उन सियारों को रस्सीयों से बाधने के लिए जादू करता है लेकिन जादू उल्टा हो जाता है.। सितारा के जादू के कारण उन सियार की नाक लंबी हो जाती है… तो गांव के सभी लोग हंसने लगते हैं।
सियारिन- “नहीं! ये क्या हो गया…!”
मणि- “तूने यह क्या किया, जल्दी से मेरी नाक सही कर!”
लव- “हा हा हा हा….!”
कुश- “हा हा हा. वाह सितारा.!”
सितारा- “फिर से…. सितारा है मेरा नाम, जादू करना है मेरा काम.!!”(चुटकी बजा कर)
वहीं सितारा फिर से अपने मित्रों की सहायता करने के लिए दोबारा जादू करता है लेकिन इस बार रस्सी उल्टा करण, करमजीत, लव और कुश को बांध देती है।
करमजीत- “बेवकूफ सितारा, ये क्या किया…!”
कर्ण- “सितारा खोलो हमें.!”
तभी बुलबुल चाकू से उन सब की रस्सियां काट देती है
सितारा- “हे भगवान! मेरा जादू सही करवा दो!”
कुश- “सितारा जल्दी सही जादू करो!”
सियारिन- “हाहा हा हाहा… तुम सब का तो मित्र ही बेवकूफ है हा हा…!”
कर्मजीत- “वो तो आप को जल्द ही पता चल जाएगा कि कौन समझदार है और कौन बेवकूफ!”
और सितारा फिर से जादू करता है तो इस बार रस्सी सिर्फ मणि के दोनों मित्रों को बांधती है.
करन- “चलो सितारा कम से कम कुछ तो अच्छा हुआ… !”
लव- “हाँ…जल्दी!”
मणि- “अभी बताता हूँ…!!”
वहीं मणि अब एक बड़ा सा पत्थर उठा कर करण पर फेंकने ही वाला होता है कि तभी पीछे से बुलबुल अपने हाथ में लाल रंग ले कर आती है. और मणि के ऊपर लाल रंग डाल देती है। और वहां एक परछाई निकल आती है।
बुलबुल- “ये क्या है?????
शुगर- “ये किस की परछाई है!!
लव- “देखो मणि भी अब हमला नहीं कर रहा, वह शांत हो गया है
तभी अचानक मणि बेहोश हो जाता है और सब उसे हैरानी से देख रहे थे।
दूसरी ओर बुलबुल उस लाल रंग की परछाई के पीछे जाती है और देखते ही देखते थोड़े ही समय में वह परछाई कहीं गायब सी हो गयी!!
बुलबुल- “वह परछाई तो भीड़1 में गायब हो गयी दोस्तों! अब क्या करें!”
लव- “हम उसे ऐसे नही जाने दे सकते…!”
टॉबी- “हां बुलबुल चलो… उस परछाई को ढूंढते हैं.!!…”
शुगर- “हाँ. तुम लोग चलो… हम पीछे पीछे आते हैं.!”
और बुलबुल के साथ बाकी मित्र भी उस परछाई को ढूंढने के लिए निकल जाते हैं।
वहीं मणि को भी होश आ जाता है
मणि- “आखिर यहां पर क्या हुआ था?”
सियारिन पत्नी- “क्या तुम्हें कुछ भी याद नहीं है?”
मणि- “नहीं मुझे कुछ भी याद नही है!!”
तो आखिर वह लाल परछाई किस की थी? और मणि को आखिर कुछ भी याद क्यों नहीं आ रहा था?. क्या थी इस की वजह?
जानेंगे हम तिलिस्मी कहानी के अगली एपिसोड में