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67 – जादुई मुक़ाबला | Jadui Muqabla | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि कर्ण और उस के सभी मित्र मिल कर करमजीत की चोटी ठीक करने के लिए एक व्यक्ति के पास गए हुए हैं लेकिन वहां पर चोटी ठीक होने के बजाय सब उल्टा ही हो जाता है। इस के साथ कहानी के अंत में आप ने देखा था कि तेज हवाएं चलने लगती है जिस के कारण एक जादुई टोपी उड़ कर उन के पास आती है।

उस जादुई टोपी को टॉबी उठा लेता है और अब तेज हवायें भी रुक जाती है।

बुलबुल- “करण! देखो तो यह टोपी कितनी चमक रही है!”

सितारा- “लगता है यह टोपी कोई साधारण टोपी नहीं है बल्कि एक जादुई टोपी है!”

कुश- “भला..ये टोपी जादुई टोपी है, तुम्हें कैसे पता सितारा? “

सितारा- “मैंने ऐसी ही किसी टोपी के बारे में सुन रखा है..मैंने सुना है कि ये टोपी दूर दूर की चीजे देख सकती है.. ये तुम्हे कुछ बता भी सकती है!.. !!”

टॉबी- “उहहहह…बहुत बढ़िया!!”

सितारा- “अच्छा, टॉबी ये टोपी अब मुझे दे दो..”

टॉबी (चिढ़ कर)- “नही मै नही दूंगा.. इसे पहले मैंने देखा था, यह टोपी अब मेरी हो चुकी है! समझे”

सितारा- “नही टॉबी,, तुम समझ नहीं रहे हो, अगर तुम इसे अपने पास रखोगे तो तुम पर कोई मुसीबत भी आ सकती है!”

टॉबी (चिढ़ कर)- “नही… ऐसा कुछ भी नहीं होगा और मैं इतना कमजोर भी नहीं कि अपनी रक्षा न कर पाऊं.. सिर्फ तुम अकेले ही यहां शक्तिशाली नहीं हो!”

करण- “टॉबी, यह तुम्हें क्या हो गया है? तुम सितारा से क्यों गुस्सा होते हो”

टॉबी- “कुछ नही.. करण…मैंने कुछ गलत नहीं कहा!”

सितारा- “देखो टॉबी,, तुम बात को समझो,, ऐसी ज़िद करना सही नही है..!”

बुलबुल- “हाँ टॉबी,, ज़िद करना अच्छी बात नही है…!”

सितारा- “इस का कोई ना कोई मालिक भी तो होगा,,, हो सकता है कि वह इस जादुई टोपी की तलाश में हो!”

और तभी वहाँ कालीन पर नारु नाम का आदमी पहुँचता है।

नारु टॉबी को देख कर बहुत गुस्सा करता है।

नारू- “कल रात से टोपी गायब है और मैं इस टोपी को ढूंढने के लिए यहां वहां भटक रहा हूँ, तो तूने मेरी जादुई टोपी चुराई है, अभी तुझे सबक सिखाता हूं , रुक!”

कर्ण- “नही नही, रुकिए! ये हम ने नही चुराई ये टोपी!”

बुलबुल- “हॉं ये तो हमें जंगल मे मिली थी..

नारू (गुस्से से)- “चुप्प.. चोर कहीं के!!”

करमजीत- “ये अब ज्यादा ही बोल रहा है!”

दरअसल जिस आदमी ने उस की यह जादुई टोपी चुराई थी वह इन मित्रों के आसपास ही था।

टॉबी- “यह टोपी तुम्हारी है? “

नारु- “हाँ.. मुर्ख मेरी ही है…एक तो चोरी करता है और ऊपर से सवाल जवाब करता है!”

तभी वो आदमी कालीन से नीचे उतरता है और टॉबी पर अपनी तलवार से हमला करने वाला होता है कि तभी सामने करमजीत आ जाता है।

टॉबी- “अह्ह्ह्ह… करमजीत!”

कर्मजीत- “तुम चिंता मत करो, मै हुँ ना..!”

करण- “देखा टॉबी,, सितारा कह रहा था कि यह टोपी तुम मत लो लेकिन तब भी तुम समझ नहीं रहे थे उस की बात!”

सितारा- “हाँ.. करण.. मैं बस इसीलिए ही टॉबी को मना कर रहा था!”

वहीं करमजीत भी नारु से लड़ रहा है।

सितारा (नारु से)- “देखो.. इस में इस की कोई गलती नहीं है..ये तुम्हारी टोपी तो उड़ कर हमारे पास आई थी!”

नारु- “अच्छा.. मैं तुम्हें पागल लगता हूं क्या? मुझ से झूठ बोलते हो”

और फिर से नारू गुस्से में सभी पर हमला करने लगता है।

वहीं सितारा जादू करने का सोचता है।

सितारा (खुद से)- “ओह!! करण और बाकी लोग मुसीबत में है, अब जादू करने के अलावा मेरे पास कोई भी चारा नहीं है!!”

लव- “ये तो सब पर हमला कर रहा है!”

कुश- “हाँ बहुत गुस्से में है ये!!”

सितारा (चुटकी बजा के)- “सितारा है मेरा नाम, जादू करना है मेरा काम!”

और चुटकी बजाते ही हवा में चार तलवारें आ जाती हैं।

सितारा- “वाह!!.. इस बार मैंने जो सोचा.. वही चीज उतपन्न हुई है…!”

शुगर- “हॉं ,सितारा जल्दी करो, बचाओ उन्हें ..!”

करमजीत- “अरे हवा में इन तलवारों का क्या काम सितारा, आगे भेजो इन को!!”

तब सितारा नारु की तरफ इशारा करता है और उन जादुई तलवारों को हमला करने का आदेश देता है।

सितारा- “जाओ.. और उस व्यक्ति पर हमला करो.. .!”

बुलबुल- “ध्यान से, सब, कहीं ये तलवारें हमें ही ना लग जाएं!!”

अब क्यूंकि नारु, करमजीत, करण, कुश और लव सभी लड़ने मे लगे हुए थे, इसलिए इशारा करते समय नारु उस स्थान से हट जाता है और इशारा गलत इंसान पर हो जाता है।

और वो हवाई तलवार जा कर उल्टा करण, कुश और लव पर हमला करने लगती हैं।

करन- “अरे…!!! ये क्या???”

कुश- “नही, सितारा ये क्या किया…!!”

टॉबी- “सितारा तुम ने यह क्या किया.. उल्टा मेरे ही दोस्तों पर हमला करवा रहे हो!”

नारु- “हा हा हा.. तुम्हारा ये मित्र तो काफी मूर्ख है, बिल्कुल तुम सब की तरह!”

कर्मजीत- ”करण…कुछ करो..!”

सितारा (घबरा कर)- “ये क्या हो गया, नही…रुको…!” (चुटकी बजा कर) सितारा है मेरा नाम जादू करना है मेरा काम!
(नारु की तरफ इशारा कर के)- जाओ.. जादुई तलवार और जा कर उस व्यक्ति पर हमला करो.. वो है तुम्हारा दुश्मन!”

लेकिन उस का जादू अब काम नही कर रहा था और माहौल घातक हो जाता है। यह सब देख कर सभी मित्र परेशान हो जाते हैं।

और तभी नारु करण पर एक जोर का वार करता है।

कर्ण (दर्द से)- “आहह ह!!!”

टॉबी- “नही…..!!”

बुलबुल- “नही .. करण… हे भगवान ! हमारी रक्षा करो..!!”

लव- “करण तुम हौसला रखो.. तुम ठीक हो जाओगे!”

टॉबी- “हाँ करण..!”

शुगर- “ये सब क्या हो रहा है…!”

सितारा- “फिक्र मत करो.. मैं सब ठीक कर दूंगा, मुझ पर विश्वास रखो,,!”

नारू- “हा हा हा, बेवकूफ!!”

सितारा- “सितारा है मेरा नाम, जादू करना है मेरा काम!”

लेकिन इस बार सितारा एक बार चुटकी बजाने के बजाय 4 बार चुटकी बजाता है।

और इस बार जादू बिल्कुल सही होता है तो वे जादुई तलवारें जा कर नारु पर हमला करने लगती हैं।

कुश- “सितारा…. बहुत-बहुत शुक्रिया!”

लव- “हाँ.. अच्छा हुआ, तुम ने सही वक्त पर सही जादू कर दिया.. वरना अभी हम सब मर ही जाते!”

कर्मजीत- “हाँ सितारा,, हमें तुम पर गर्व है!”

शुगर- “हाँ..देखो तो वो इतनी तलवारों से कैसे लड़ रहा है!”

नारु (उन जादुई तलवारों से लड़ रहा है)- “तुम सब बच कर नहीं जा सकते..!”

सितारा- “मैं अभी आता हूँ…कर्ण के लिए कोई जड़ी बूटी लाता हूँ!!”

करमजीत- “मै भी चलता हूँ साथ!!”

तो सितारा और करमजीत आस-पास कोई जड़ी बूटी ढूंढने के लिए चले जाते हैं ।

सितारा- “मुझे जल्दी जड़ी बूटी को ढूंढना होगा… बेचारा करण दर्द में होगा!”

करमजीत- “हॉं सितारा, जल्दी करो!!”

और थोड़ी देर बाद सितारा को जड़ी बूटी मिल जाती है..जिसे ला कर वह करण के घावों पर मसल देता है।

करन- “अब दर्द कम हो रहा है सितारा!”

बुलबुल (खुश हो कर)- “अच्छा…वाह!”

सितारा- “हाँ.. तुम कुछ घंटे में ही बिल्कुल ठीक हो जाओगे!”

वहीं सितारा की तलवार नारु का सिर धड से अलग करने ही वाली होती है , तभी सितारा चिल्लाता है।

सितारा- “रुको…. इसे जाने दो…!”

नारु- “तुम ने मुझ पर यह मेहरबानी क्यों की?”

सितारा- “क्योंकि हम प्राणियों की जान लेना गर्व की बात नहीं समझते हैं,,,, वह तलवारें तुम्हारे प्राण ले लेती, इसीलिए मैंने उन्हें रोक दिया!”

नारु- “हम्म.. लेकिन मैं तो तुम्हारा प्राण ही लेना चाहता था!”

सितारा- “हाँ.. आप समझ जाओ कि हम में और आप में क्या फर्क है!”

नारु- “हम्म.. तुम सब बच्चे हो लेकिन अत्यंत समझदार हो..मैं तुम सब की बहादुरी और अच्छाई से अत्यंत प्रसन्न हुआ हुँ!”

सितारा- “अच्छा… तो अब आप समझ गए होंगे कि आप की जादुई टोपी हम ने नहीं चुराई!”

नारु- “हाँ…समझ गया, वह भी बहुत अच्छे से.. तुम सब जैसे बहादुर और ईमानदार बच्चे कभी ऐसा काम नहीं कर सकते!”

लव- “हाँ… बिल्कुल सही समझे!”

टॉबी- “यह लीजिए आप की टोपी.. यह आप की टोपी है..इस पर हमारा कोई भी हक नहीं है.. हमें माफ कर दीजिए!”

नारु- “नहीं नहीं , माफी तो मुझे मांगनी चाहिए जो मैंने ऐसी गुस्ताखी की!”

करण- “नही.. पहले आप सच्चाई से वाकिफ नहीं थे लेकिन अब सच्चाई जान गए हैं तो इस में कोई गलत बात नहीं है..!”

नारु- “हम्म..ठीक है.. तो अब मैं यहां से चलता हूं लेकिन जाने से पहले मैं यह टोपी आप सभी को सौंपना चाहता हूं!”

कुश- “लेकिन क्यों?.. क्या आप इस टोपी के बिना रह सकते हैं? “

नारु- “हम्म.. ये टोपी मुझे बहुत प्यारी है लेकिन कोई बात नहीं.. दरअसल तुम लोगों ने मेरी जान बख्श दी है.. और मुझे काफी प्रभावित भी किया है..बस इसी का तुम सभी को ये तोहफा देना चाहता हूं!”

कर्मजीत- “नही नही…ये आप की अमानत है और सदा आप के साथ ही रहनी चाहिए!”

लव- “हाँ.. इस जादुई टोपी के लिए ही तो आप ने इतना कष्ट उठाया है और आप अब इसे अपने साथ ले नहीं जा रहे..ये सही नहीं..!”

नारु- “हाँ.. ठीक है.. अब तुम सब इतनी जिद कर ही रहे हो तो मैं ले जाता हूं… वैसे तुम सब मे कोई लालच नही है.. यह देख कर तो मैं अत्यंत प्रसन्न हो गया!”

और थोड़ी देर बाद वहां से जाने लगता है लेकिन जाने से पहले एक बांसुरी कर्मजीत को दे देता है।

नारू- “ये लो…ये बांसुरी रख लो.. ये बांसुरी भी इस जादुई टोपी से कम नहीं है… इसे बजाते ही एक सुगंधित खुशबू निकलेगी. जिसे सूंघते ही कोई भी व्यक्ति मदहोश हो जाता है!”

कुश- “अच्छा???… सच मे , आप के पास तो बहुत ही अच्छी-अच्छी जादुई वस्तुएं हैं!”

कर्मजीत- “हाँ.. सच मे.. इस के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया !”

नारू- “हाँ.. अब मुझे देरी हो रही है, अब मैं चलता हूँ…अलविदा..!”

और इतना कह कर वह वहां से अपने जादुई कालीन से उड़ कर वापस अपनी जगह चला जाता है।

बुलबुल- “वाह.. यह बांसुरी तो काफी सुंदर है!”

टॉबी- “हाँ.. जरा बजा कर तो दिखाओ करमजीत!”

शुगर- “अरे नहीं नहीं.. सुना नहीं तुम ने.. इस में से एक खुशबू निकलती है.. जिसे सुनने के बाद सब मदहोश हो जाते हैं…!!”

बुलबुल- “हाँ ,तो तुम क्या चाहते हो कि हम सब यहां पर मदहोश हो जाएं?”

टॉबी- “लेकिन शुगर मदहोश तो मैं तुम्हारे प्यार में हूं शुगर हा हा हा!”

कुश- “वाह वाह.. क्या शायरी की है टॉबी ने!”

कर्ण- “तो चलो अब हम पत्तियां ले लेते हैं!!”

सभी साथी पत्तियां लेने के लिए चले जाते हैं। खैर अब तो सब ठीक हो गया था, लेकिन कब तक ठीक रहेगा, देखते हैं अगले एपिसोड में….

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