Homeतिलिस्मी कहानियाँ65 – नागराज का हमला | Nagraj ka Hamla | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

65 – नागराज का हमला | Nagraj ka Hamla | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि सब कुछ ठीक हो चुका है। सुनहरी चिड़िया अब राजकुमारी चंदा बन गयी है। राजकुमारी चंदा अपने माता-पिता के साथ अपनी दुनिया में वापस चली गई है और वधिराज भी अपनी दुनिया में वापस चला गया है। वहीं उन सभी को एक प्यारा सा जादुई प्राणी मिला है, जिस का नाम सितारा है जो उन्हें अपनी दुनिया में ले गया है।

सितारा सभी दोस्तों को ना हंसने के लिए कह रहा है लेकिन उस के सारे दोस्त बार-बार हंस रहे हैं।

दोस्त 1- “अरे इन को देखो…ये लोग कितनें अलग है हम से.. है ना..!”

दोस्त 2- “हाँ वही तो..”

दरअसल वे सभी पहली बार इंसानों को देख रहे थे इसलिए उन सब के लिए यह सब बिल्कुल नया था।

दोस्त 3- “हाँ अरे इन की नाक देखो हा हा हा..!”

सितारा- “चुप हो जाओ… वरना तुम सब को एक तितली बना दूंगा…!”

दोस्त 2- “अरे नहीं नहीं सितारा.. ऐसा मत करो, हम सब तो मजाक कर रहे थे! हा हा हा”

दोस्त 3- “हाँ और क्या.. तुम इतनी जल्दी बुरा क्यों मान जाते हो!”

सितारा- “हम्म, ऐसा ही हूँ मैं तो, अब समझ आया ना!”

बुलबुल- “अरे कोई बात नहीं सितारा, दोस्त तो मजाक करते ही हैं।!”

दरअसल सितारा के मित्रों के पास भी शक्ति थी लेकिन सितारा उन सब मे सब से ज्यादा जादुई शक्ति वाला था।

दोस्त 1- “अच्छा ठीक है.. अब चलो यहां से…!”

सितारा- “हाँ , चलो सभी मेरे घर चलो…!”

दोस्त 2- “हम्म..चलो~~…!”

और सभी दोस्त सितारा के घर जाते हैं.. वही रास्ते मे उन्हें अजीब अजीब छोटे और बड़े प्राणी दिखते हैं जिन्होंने उन्हें कभी नहीं देखा था।

साथ ही वहां रंग बिरंगी चींटियां, मक्खियां, झल्ली (कैटरपिलर) भी थे जो हवा में उड़ रहे थे और आपस में बातचीत भी कर रहे थे , यहां तक कि उन के छोटे-छोटे घर भी थे।

बुलबुल- “अरे उन के घर तो देखो , कितने अच्छे लग रहे हैं छोटे-छोटे!”

शुगर- “हां काश मेरा भी ऐसा ही एक घर होता!”

टॉबी- “तुम चिंता मत करो शुगर , हम लोग भी ऐसा ही एक घर बनवाएंगे अपने दोनों के लिए!”

करण- “हा हा क्यों नहीं क्यों नहीं!”

कर्मजीत- “हाँ.. घर बनवाने में मैं भी तुम्हारी सहायता करूंगा टॉबी!”

टॉबी- “बहुत-बहुत शुक्रिया!”

लव- “अरे लेकिन ये घर तो बहुत छोटे हैं!!”

कुश- “वही तो, इतने छोटे घर मे कैसे रह पाओगे टॉबी!!”

बुलबुल- “तुम दोनों बिल्कुल पागल हो, बड़े घर बनाएंगे, लेकिन होंगे ऐसे ही!!”

कुछ ही देर में, सभी सितारा के घर पहुंच जाते हैं, घर मे सितारा के माता-पिता भी है।

कर्मजीत- “यहां सब कुछ कितना अलग है ना करण!”

करन- “हाँ.. वाकई मे… बहुत ही अद्भुत दुनिया है यह!”

बुलबुल- “हाँ.. लेकिन यहां के लोग बहुत दिलवाले हैं!!”

शुगर- “हाँ बुलबुल दीदी… और यहां के सब लोग देखने में कितने प्यारे लग रहे हैं!”

सितारा की मां- “हाँ.. तुम भी तो कितनी प्यारी हो.. आओ… आओ.. अंदर आओ.. तब आराम से बैठ कर बातें करना !”

करण- “जी..शुक्रिया…!”

सभी अंदर जाते हैं तो देखते हैं कि वहां पर उन्हीं के साइज का छोटा-छोटा सामान रखा हुआ है।

और तभी सितारा चुटकी बजाता है तो सामने बहुत सारा भोजन प्रकट हो जाता है

सितारा- “ये लो मित्रों… भोजन करो..!”

बुलबुल- “वाह… सितारा… बहुत-बहुत शुक्रिया!!”

लव कुश टॉबी शुगर-“वाह..!!!”

कर्मजीत- “हाँ चलो…लार मत टपकाओ, अब भोजन कर लो!”

सितारा का दोस्त 1- “स्वादिष्ट है ना भोजन!!

दोस्त 2- “ऐसे ही है हमारा सितारा!!”

और सभी लोग आराम से भोजन करने लगते हैं।

(कुछ देर बाद)

सितारा के सारे मित्र अपने घर वापस चले जाते हैं।
वही तभी चमन दौड़ कर वहाँ आता है।

चमन- “सितारा…सितारा…!”

सितारा की माँ- “क्या हुआ चमन? तुम घबराए हुए क्यों हो?”

चमन- “वो…बच्ची तृषा कहीं भी नही मिल रही है…!”

कर्ण- “तृषा कौन है सितारा!”

सितारा- “तृषा एक तितली है, वो दिन भर अपने दोस्तों के साथ खेलती रहती है!”

चमन- “हाँ.. वो 2 दिन से घर नहीं लौटी…वो बगीचे मे अपने पालतू पशु शेरू (कैटरपिलर) के साथ खेल रही थी लेकिन अचानक से वहां से गायब हो गई..!”

यह सुन कर सितारा के माता-पिता काफी चौंक जाते हैं।

दरअसल सितारा के माता पिता हमेशा दूसरो की सहायता करने के लिए तैयार रहते थे.. इसलिए चमन गाँव के मुखिया के पास जाने के साथ सितारा के माता-पिता के पास भी गया था।

सितारा के पिता- “तो जल्दी चलो वहाँ..ना जाने तृषा कैसी होगी!”

करन- “हाँ… हम सब भी चलेंगे आप के साथ..!”

और सभी लोग दौड़ कर वहां पर पहुंच जाते हैं।

और बच्ची तृषा को फिर से यहां वहां ढूंढते हैं, परंतु वह कहीं पर नहीं मिलती है।

तो सभी परेशान हो जाते हैं।

सितारा- “वो तो कहीं भी नही मिली, अब!!”

सितारा की माता- “चिंता मत करो, अब रात हो गयी है, कल फिर से कोशिश करेंगे!!”

सितारा के पिता- “हां अब सभी सो जाओ!!!”

खैर उस रात सभी सो जाते हैं।
अगली सुबह वहां एक दूसरे गांव से वीरू नाम का एक सांप आता है..
इसे देख कर सभी लोग डर जाते हैं।

वही सितारा और गांव के मुखिया घर से बाहर आ जाते हैं।

सांप (वीरू)- “मै यहां तुम सब को चेतावनी देने आया हूं कि यह जगह खाली कर दो , वरना तृषा को मार डालूंगा!”

सितारा की मां- “तुम कब तक यही सब करते रहोगे , हम सब को चैन से जीने क्यों नहीं देते!”

सितारा जे पिता- “हाँ.. यह इलाका कई वर्षों से हमारा ही रहा है ,तुम आखिर यहां पर कब्जा क्यों करना चाहते हो? “

वीरू- “क्योंकि इस इलाके में वो बात है जो किसी और में नहीं…कल तक का समय देता हूं ,यदि इस जगह को खाली नहीं किया गया तो उसे मार दिया जाएगा!”

करमजीत- “मासूम लोगों को मारता है, शर्म नहीं आती तुझे!”

वीरू- “अब तू कौन है?”

और करण अपनी तलवार निकाल कर वीरू को मारने जाता है लेकिन वीरु को कुछ नहीं होता , तलवार उस के आरपार हो जाती है, क्यूंकि वो सिर्फ उस की परछाई थी ।

वीरू- “हा हा हा… लगता है गांव वाले कोई नमूना उठा कर लाये है कहीं से!”

कर्मजित- “तुझे छोड़ेगे नहीं हम… तेरा घमंड जल्द ही चूर चूर कर देंगे! देख लेना”

कर्ण- “कोशिश कर के देख लेना!!”

और सांप वहां से गायब हो जाता है।

सितारा की मां- “बेटा.. तुम सब उन से बच कर रहो, वह काफी ताकतवर है…!”

सितारा- “हाँ.. करण…!”

करण- “हम्म्म्म…ठीक है!”

टॉबी- “तो करण अब क्या करें?.. और हम लोग अपने घर कब तक पहुंचेंगे? “

करण- “जल्द ही पहुंचेंगे…टॉबी… तुम फिक्र मत करो..!”

बुलबुल- “हाँ टॉबी…!”

कर्मजीत- “हाँ.. टॉबी.. देखो.. यह लोग कितनी परेशानी में है…हमें उन की भी तो सहायता करनी होगी , है ना..?“

टॉबी- “हाँ कर्मजीत…ये तो है ही!”

लव- “तो किसी के दिमाग में कुछ उपाय आया क्या?”

कुश- हाँ.. मैं सोच कर बताता हूँ!!”

बुलबुल- “बुद्धू!!”

सभी सोचने लगते हैं, तभी कर्ण को एक उपाय सूझता है।

करण- “मुझे एक अच्छा उपाय सुझा है!”

करमजीत- “तो बताओ फिर!!”

और करन सभी को योजना बताता है… वह सभी को बता रहा है कि किस को क्या, कैसे और कब करना है।

तो इसी तरह सुबह हो जाती है।

सितारा मिठाई ले कर आता है।

सितारा- “मित्रों…लो, मिठाई खा लो…!”

कर्मजीत- “वाह.. यह तो मेरी मनपसंद मिठाई है सितारा!”

सितारा- “अच्छा.. तो खाओ न फिर..!”

कर्मजीत (मिठाई खाने के बाद)- “सितारा.. मिठाई तो बहुत अच्छी है लेकिन शक्कर थोड़ी कम है इस मे”

सितारा- “अच्छा…तो यह बात है , लो अभी शक्कर ज्यादा कर देता हूं!”

कर्मजीत- “हां हां कर दो, कर दो!”

तो सितारा मन में कुछ बोलता है और उस के बाद चुटकी बजाता है लेकिन इसी बीच करमजीत को छींक आ जाती है।

करमजीत- “आहहहहह छीईई….!”

तो वह छीकने के लिए अपना सिर नीचे कर लेता है…जिस से जादू करमजीत के ऊपर ही हो जाता है और उस की छोटी चोटी लम्बी हो कर खड़ी हो जाती है।

सितारा- “अरे, नही..!!!”

कर्मजीत- “यययय ये क्या हो गया??”

करमजीत की चोटी देख के सभी जोर जोर से हंसने लग जाते है।

करण- “हा हा हा, तुम तो काफी अच्छे लग रहे हो करमजीत ऐसे!”

बुलबुल- “हा हा हा, सच में, सितारा ने कमाल कर दिया!!”

लव कुश- “हा हा हा!!

कर्मजीत- “अरे यह क्या कर दिया सितारा…तुम ने?”

सितारा- “अरे माफ करना करमजीत…तुम झुक गए थे ना, तो जादू तुम पर हो गया!”

कर्मजीत- “सितारा जल्दी से मेरी चोटी ठीक कर दो!”

सितारा- “हाँ, हाँ…करता हूँ..!”

और वह फिर से जादू करता है लेकिन चोटी छोटी होने के बजाय और भी लंबी हो जाती है।

सितारा- “अरे…! ये क्या!”

और सभी लोग फिर से हंसने लगते हैं।

सितारा- “तुम चिंता मत करो करमजीत… मैं जल्द ही ठीक कर दूंगा इसे…!”

खैर चोटी तो सही होती नहीं, और तभी सितारा के माता-पिता वहां आते हैं तो करण उन्हें अपने उपाय के बारे में बता देता है।

सितारा की माँ- “हम्म्म…सितारा ये क्या किया है तुम ने अपने मित्र के साथ!”

सितारा- “मां गलती से हो गया!! अभी सही करता हूँ!!”

करमजीत- “नही नही, रहने दो अब, यूं ही ठीक है!!”

तो वीरू अपनी सांपों की सेना ले कर वहां पर आ जाता है.. वो अपने साथ बच्ची तृषा को भी ले कर आया था।

वीरू- “तुम लोग बड़े ढीट हो…आखिर मेरी बात नही माने???? “

तृषा की माँ (रोते हुए)- “बेटी!!”

तृषा- ”माँ आआआ…! बचाओ”

बुलबुल- “पापी…बच्ची को जाने दे…उस ने तेरा क्या बिगाड़ा है..?”

वीरू- “बिगड़ा कुछ नहीं है लेकिन बनाएगी यही बच्ची!”

सितारा की मां- “वीरू… कुछ भी गलत करने से पहले जान ले कि तुझे मारने के लिए कोई आया है..!”

वीरू- “अच्छा????? हा हा हा कौन है वो??? ”

कर्मजीत- “वो एक बाज है..!”

ये सुन कर वीरू थोड़ा सा घबरा जाता है।

वीरू- “तुझे क्या लगता है कि मैं अभी भी बाज से डरता हूं? “

सितारा की माँ- “हाँ…बिल्कुल, सांप तो बाज से डरते ही हैं!”

वीरू- “चुप कर…जा.. बुढ़िया.. तुझे आज ही खत्म कर दूंगा!”

और तभी पीछे से एक बाज की परछाई वीरू को दिखने लगती है जो कि धीरे-धीरे बड़ी हो रही थी।

वीरू का खास सेनापति- “ययय ये???… यह परछाई तो किसी बाज की है.. मालिक अब क्या करें?”

वीरू- “चुप कर…कायर!”

और देखते ही देखते वह परछाई और भी बड़ी हो जाती है।

सैनिक- “मलिक… यहां से चलते हैं, वरना सभी मारे जाएंगे..!”

करण- “हाँ.. जल्दी यहां से चले जाओ, वरना हम इस को आदेश दे देंगे कि यह तुम सब को मार डाले और खा जाएं!!”

कुश- “करण… लगता है इन सब को मरने का शौक है!”

लव- “हां भाई, तुम सही कहते हो..!”

वहीं इन सब की बातें सुन कर सेना के लोग बहुत डर जाते हैं।

सितारा- “करण… ऐसा करो.. इस बाज को आदेश दे दो कि यह इन की सेना और इन के मालिक को मार के खा जाए!”

और तभी वीरू बहुत ही डर जाता है और बच्ची तृषा को उन के पास छोड़ कर अपनी सेना के साथ वहां से निकल जाता है।

टॉबी- “वाह!!

करण- “हा हा हा…देखा मित्रों, मेरी योजना कितनी अच्छी थी…??”

कर्मजीत- “हाँ…ये तो है… लेकिन करण मेरी चोटी का क्या?”

बुलबुल- “हा हा हा हा हा…बेचारा कर्मजीत तब से परेशान है.. लेकिन तुम चिंता मत करो कर्मजीत , सब ठीक हो जाएगा..!”

वहीं तृषा अपने माता-पिता की गोदी में है और बहुत खुश है।

बुलबुल- “तृषा और उस का परिवार सब कितने खुश हैं, कितने प्यारे लग रहे हैं!”

टॉबी- “हाँ बुलबुल… एकदम अद्भुत दृश्य है!”

और तभी वहाँ सितारा के मित्र आ जाते हैं।

सितारा- “चलो तुम सभी किसी काम तो आए… हमारा साथ देने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया!”

मित्र 1- “हाँ.. लेकिन ये चोटी वाले भैया कौन है??? हा हा हा हा… इंसानों की चोटी भी होती है क्या?”

मित्र 2- “हाँ.. अगर होती है तो सब की क्यों नहीं है?”

सितारा- “सब की नही होती…!”

मित्र 3- “मुझे तो भैया की चोटी बहुत अच्छी लग रही है.. इन के बाकी मित्रों की भी चोटी बना दो.. तो और अच्छा लगेगा!”

कुश- “अरे भाई… यह क्या बोल रहे हो… माफ करो!”

और सभी लोग हंसनें लगते हैं।

तो आखिर यह बाज कौन था?.. जानेंगे हम तिलिस्मी के अगले एपिसोड में

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