Homeतिलिस्मी कहानियाँ64 – जादू का पिटारा? | Jaadu ka Pitara? | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

64 – जादू का पिटारा? | Jaadu ka Pitara? | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि राजकुमारी चंदा का श्राप टूट चुका है और उन्हें अपना मनुष्य रूप वापस प्राप्त हो गया है। लेकिन इतना बड़ा कार्य पूर्ण होने में साहसी करण और उस के मित्र के अलावा अन्य कई लोगों का भी योगदान था। इस के अलावा अंत में करण को एक बहुत प्यार नया मित्र भी मिल गया है।

नए मित्र को देख कर सभी लोग दंग रह जाते हैं क्योंकि उस का आकार और रूप उन सभी को हैरान कर रहा था।

टॉबी- “ये तुम्हारा नया मित्र है क्या करण?”

करन- “हाँ.. ये मुझे इसी महल मे कैद मिला था..!”

शुगर- “ओह… कितना प्यारा है ये..!!”

बुलबुल- “हाँ सच मे..!!

वधिराज- “हां …ये तो सब को मोह रहा है!”

राजकुमारी- “अच्छा कारण.. तुम ने ये नहीं बताया कि वो जादूई खंजर आखिर तुम्हें किस ने दिया था?”

कर्मजीत- “हाँ करण..!”

करन- “हाँ.. माफ करना राजकुमारी जी, मै बताना भूल गया था…मुझे महल के पिछले कमरे मे एक बूढी स्त्री मिली थी.. मुझे लगा कि वह खतरे में है और मुझे उन की सहायता करनी चाहिए..!!”

वधिराज- “फिर तुम ने क्या किया!!”

कर्ण- “तो मैं उन के पास गया लेकिन अचानक से वो एक परछाई में परिवर्तित हो गई.. मैं समझ गया कि वह कोई साधारण स्त्री नहीं है..और उन्होंने ही मेरी उस जादुई खंजर तक पहुंचने मे सहायता की थी! और ये बताया था के बस इसी खजर से ही जादूगर को मार कर हराया जा सकता है।

कुश- “अच्छा.. तो कौन थी वो स्त्री?”

जितेंद्र- “हम ने भी देखा था कि उस स्त्री की आत्मा जादूगर की आंखों में देख रही थी..!”

वधिराज- “तो इस से यही साबित होता है कि शायद वह उस की मां होगी!”

नया मित्र(प्यारी आवाज़)- “हाँ..मै भी यही सोच रहा था.. हो सकता है कि जादूगर पूखिरा अपनी मां को देख कर भावुक हो गया हो!”

कारण (अपनें नए मित्र से)- ” तो क्या तुम भी उस के बारे में कुछ जानते हो?”

नया मित्र(प्यारी आवाज़)- “हाँ.. ज्यादा तो नहीं.. पर थोड़ा बहुत जानता हूं..!”

बुलबुल- “अच्छा नए मित्र.. अपना नाम तो बताओ?”

नया मित्र- ” मेरा नाम सितारा है!”

शुगर- “वाह!! कितना अच्छा नाम है तुम्हारा!”

सितारा- ” बहुत-बहुत शुक्रिया आप का.. हा हा हा हा!”

कुश- “तुम बहुत प्यारे हो सितारा..!”..

सितारा- “हाँ.. वो तो मैं हूं ही!”

और खुशी से सितारा अजीब अजीब आवाजें निकाल कर यहां वहां हवा में उड़ने लगता है।

सितारा- “yeahhhhhh…. हूऊऊ हूऊऊ…मैं इतने दिनों बाद अपनी दुनिया से बाहर की दुनिया में आया हूं !!”

बुलबुल- “हा हा हा, देखो तो कैसे कर रहा है!!!

सितारा- “आज मुझे बहुत अच्छा लग रहा है… आज मैं जी भर कर उड़ना चाहूंगा!”

लव- “अरे सितारा, ये तो बहुत अच्छी बात है.. परंतु ध्यान से.. कहीं इन बड़े-बड़े स्तम्भों से टकरा मत जाना!”

करन- “हाँ… सितारा आराम से, इतनी तेजी से मत उड़ो…!”

सितारा- “अरे नहीं , तुम सब चिंता मत करो, मैं तो बहुत ही बुद्धिमान हूं..! Yeahhhhh….हूऊऊ हूऊऊ”

और इतना कहते ही वह पीछे मुड़ता है तो वह एक स्तम्भ से टकरा ही जाता है।

सब एक साथ- “सितारा…!!”

कर्ण- “कहा था ना तुम्हे!!!

सितारा- “अह्ह्ह… बहुत चोट लग गई मुझे तो!”

बुलबुल- “अरे!!!!… तभी तो हम कह रहे थे ना?”

सितारा- “पर मै ठीक हूं…. लेकिन थोड़ी चोट लग गई है.. मुझे इस स्तम्भ पर बहुत गुस्सा आ रहा है , मैं अभी इसे यहां से गायब कर देता हूं!”

तभी सितारा मंत्र बोलता है !”

सितारा(प्यारी आवाज़)- “सितारा है मेरा नाम, जादू करना है मेरा काम।”

और चुटकी बजाता है लेकिन वह स्तम्भ गायब होने की बजाय उस के पीछे वाला स्तम्भ गायब हो जाता है!

टॉबी- “हा हा हा, ये क्या किया..

शुगर- “जादू उस स्तम्भ पर चल गया!!”

सितारा- “ओ हो…रुको.. अभी फिर से मैं जादू करता हूं!”

चंदा- “बस भी करो अब!!”

सितारा(प्यारी आवाज़)- “सितारा है मेरा नाम, जादू करना है मेरा काम।”

सितारा फिर से चुटकी बजाता है लेकिन बार-बार कोई दूसरा स्तम्भ ही वहां से गायब हो रहा था।

कुश- “ओ हो… सितारा यह क्या हो रहा है तुम्हें?”

टॉबी- “लगता है सितारा कच्चा खिलाड़ी है!”

सितारा- “नहीं नहीं, मैं तो बहुत पक्का खिलाड़ी हूं , तुम ने मुझे क्या समझ रखा है.. हां!”

लव- “अरे नहीं बाबा.. कहीं ये स्तम्भ गायब करने के चक्कर में तुम सारा महल गायब मत कर देना! हा हा हा”

जीतेन्द्र- “हाँ लग तो यही रहा है..!”

सभी- “हा हा हा ….!!”

सितारा- “हा हा हा अरे नहीं नहीं लव!”

और अचानक राजकुमारी चंदा बहुत भावुक हो जाती है और एक तरफ बैठ कर रोने लग जाती है

चंदा- “अच्छा तो अब मुझे यहां से चलना होगा!”

करन- “कहाँ राजकुमारी जी??”

चंदा- “वहीं पर करण.. जहां मेरा वास्तविक स्थान है!”

वधिराज- “हाँ करण…राजकुमारी चंदा के साथ मुझे भी अब तुम लोगों से अलविदा लेना होगा , मैं बहुत देर से यह बात कहना चाह रहा था, परंतु कह नहीं पा रहा था…मुझे माफ करना!”

करण- “अरे नहीं वधिराज जी.. इस में माफी वाली कौन सी बात है , आप ने तो इस मायावी सफर में हमारा बहुत साथ दिया है!”

बुलबुल- “हाँ माफी मांग कर हमें शर्मिंदा न करें!”

टॉबी (दुखी)- “तो क्या राजकुमारी जी और वधिराज दोनों यहां से चले जाएंगे?”

यह बात सुन कर राजकुमारी चंदा टॉबी को गोद में उठा लेती है।

चंदा (एक शीशा दे कर)- “हाँ टॉबी… मुझे तुम सब की बहुत याद आएगी..परंतु तुम सभी चिंता मत करो.. जब भी मेरी याद आए तो ये शीशे मे देख कर मेरा नाम तीन बार लेना!”

करन- “ठीक है राजकुमारी जी…!”

करमजीत- “हम आप के सुखी जीवन की कामना करते हैं!”

और तभी वहाँ आसमान से एक महिला और पुरुष की आत्मा आती है… महिला ने लाल रंग का वस्त्र पहना हुआ है और माथे पर तिलक लगा हुआ है।

करमजीत- “ये कौन हैं!”

बुलबुल- “कर्मजीत,,, ये स्त्री.. मैंने इन्हें बहुत पहले देखा था, जब मुझे ये शक्ति मिली थी उस समय..!”

कुश- “अच्छा…तो ये थीं वो!”

वही राजकुमारी चंदा रोते हुए उन को ( महिला और पुरुष ) गले लगा लेती है ।

चंदा- “यह दोनों मेरे माता-पिता थे। यानी कि अब ये महाराजा रणजीत सिंह और रानी पदमा की आत्मा है..

बुलबुल- “इस का मतलब इन दोनों की आत्मा समय-समय पर हम मित्रों की सहायता किया करती थी!!”

कर्ण- “इसीलिए हम इस भयानक और जादूई सफर को पार कर पाए थे।

और थोड़ी देर बाद राजकुमारी चंदा अपने माता-पिता के साथ अपनी दुनिया में ही वापस चली जाती है।

वही सभी मित्र मिल कर उस जादूगर के मायावी कंकाल को जला देते है..

कुश- “जादूगर तो जा चुका है, फिर हम ने कंकाल क्यों जलाया!!”

जितेंद्र- “ऐसा करना जरूरी था, नहीं तो संभावना थी कि वह जादूगर फिर से इस दुनिया में किसी न किसी रूप में पुनः लौट आएगा।

कर्ण- “हां , अब हमें भी यहां से जाना चाहिए!!”

बुलबुल- “लगता है मुझे चीजों को पत्थर बनाने वाली शक्ति राजकुमारी की माता नें हीं दी है!”

वधिराज- “हाँ.. हो सकता है..!”

कर्मजीत- “तो क्या वधिराज…आप भी यहां से चले जाएंगे? जरूरी है क्या“

वधिराज- “हाँ.. करमजीत जाना होगा, क्योंकि जहां तक मेरा अनुमान है कि आगे का जो भी मायावी सफ़र है.. वह सितारा के साथ पूर्ण हो जाएगा!”

और वधीराज सितारा की तरफ देखता है तो सितारा भी अपना सिर हां में हिलाता है।

वधिराज- “अच्छा मित्रों , मैं यहां से चलता हूं!”

टॉबी- “ध्यान रखना अपना!!”

और सभी वधिराज के सम्मान में झुक कर उसे अलविदा कहते हैं।

वधिराज अपने दोनों हाथ जोड़ता है और चेहरे पर मुस्कान लिए सभी को अलविदा कहते हुए वहां से गायब हो जाता है।

बुलबुल- “हमें राजकुमारी चंदा और वधिराज की बहुत याद आएगी!”

टॉबी- “हाँ…बुलबुल.. बहुत ही ज्यादा!”

शुगर- “हाँ… उन के बिना कुछ दिन तो बहुत ही सूना सूना लगेगा.!”

करन- “हम… परंतु हम सब को इस बात की बहुत खुशी होनी चाहिए कि राजकुमारी चंदा को उन के श्राप से मुक्ति मिल चुकी है जो कि अपने आप में बहुत बड़ी बात है!”

कर्मजीत- “हाँ.. वास्तव में उन्होंने 1000 वर्षों तक का इंतजार किया.. यकीन नहीं होता!”

जितेंद्र- “अच्छा बच्चों मुझे मेरा लबादा मिल चुका है , अब मैं भी यहां से चलता हूं.. तुम सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया!”

और जितेंद्र भी वहाँ से चला जाता है।

शुगर- “एक एक कर के सब जा रहे है!”

करण- “अब हम सब भी चलते है..!”

टॉबी- “हाँ.. कर्ण!”

सितारा- “मित्रों,,, रुको.. वो मैं कह रहा था कि यहां से जाने से पहले मैं अपने घर वालों और अपने मित्रों को अलविदा कह दूं!”

बुलबुल- “हाँ हाँ क्यों नही सितारा ??”

लव- “लेकिन सितारा तुम ने हमें यह नहीं बताया कि आखिर तुम हमारी सहायता क्यों कर रहे हो? “

शुगर- “हाँ बताओ सितारा..!”

सितारा- “दरअसल…एक समय की बात है, जब हमारी दुनिया में एक डोभर नाम का राक्षस घुस आया था.. वह हमारे राज्य को बर्बाद करने आया था, लेकिन इसी बीच दो आदमी हमारी दुनिया में आए और उन्होंने हमारी दुनिया को बचा लिया था!”

कर्मजीत- “तो वह आदमी आखिर कौन थे? “

सितारा- “यह तो मुझे नहीं पता.. परंतु हमारे राज्य के एक बाबा नें बताया कि उन की आत्मा यह चाहती है कि मैं करण नाम के एक बालक की सहायता करूँ.. और जादू और तंत्र-मंत्र से मैं तुम्हारे पास आ गया!”

आखिर वे 2 आदमी कौन थे.. ये बात हम सब जानेंगे आगे आने वाले एपिसोड में!

कुश- “अच्छा.. मुझे तो यकीन नहीं हो रहा कि ऐसा भी कुछ हो सकता है!”

लव- “हाँ भाई…!”

सितारा के साथ उसकी जादुई दुनिया में जाने से पहले सभी ने अपने-अपने लॉकिट उतार कर करण को दिए और करण ने उन सभी लोकीट्स को एक पोटली में डाल कर वहां पास ही बानी शिव भगवान की मूर्ति के साथ रख दिया ताकि जब ये आम लोगो को मिले तो इन सभी लॉकिट्स की अच्छी शक्तियो से लोगो की रक्षा शैतानो की बुरी शक्तियों से होती रहे।

सितारा- “तो चलो फिर मेरी दुनिया में.. सभी तैयार हो ना?”

बुलबुल- “हां हम बिल्कुल तैयार हैं!”

सितारा- “तो चलो…!”

और अपने जादू का इस्तेमाल कर के सितारा उन सभी को अपनी दुनिया में ले जाता है।

सितारा जिस दुनिया में रहता था , वह दुनिया बहुत ही खूबसूरत थी.. हर जगह रंग बिरंगे फूल पौधे और तितलियां उड़ रही थी।

सितारा- “आओ आओ मित्रों…. मैं अभी तुम्हें अपने बाकी साथियों से मिलवाता हूं, उन्हें देख कर तुम सब को बहुत खुशी होगी!”

कर्मजीत- “हाँ सितारा क्यों नही..!”

और सभी मित्र उस मायावी और जादुई स्थान को देखते हुए और आनंद उठाते हुए आगे बढ़ रहे थे।

करन- “वाह्ह.. काफी अद्भुत जगह है!”

बुलबुल- “हाँ करण..सच मे, बहुत खूबसूरत!”

सितारा- “अरे आगे बढ़ते रहो.. अभी तो और भी नई-नई और विचित्र चीजों का आनंद लेना बाकी है!”

बुलबुल- “अच्छ… सच्ची??”

सितारा- “हाँ बुलबुल!”

और थोड़ी देर बाद सभी लोग उस जगह पर आ जाते हैं जहां सितारा के मित्र रहा करते हैं।

सितारा अपने मित्रों को आवाज लगाता है

सितारा- “तुम सब कहां हो?…बाहर आ जाओ , मेरे नए मित्रों से मिलो! जल्दी आओ”

और तभी वहां पर सितारा के जैसे अन्य जादुई लोग आ जाते हैं जो कि बिल्कुल सितारा जैसे दिख रहे थे।

कर्मजीत- “वाह… यह तो बिल्कुल तुम्हारे जैसे दिखते हैं!”

टॉबी- “बस रंग अलग है!!”

और तभी सितारा के मित्र उन्हें देख कर हंसने लगते हैं।

टॉबी- “यह… हमें देख कर ऐसे क्यों हंस रहे हैं करण?”

करण- “पता नहीं टॉबी…!”

सितारा (उन सभी से)- “अरे तुम सब यह क्या कर रहे हो?…यह मेरे मित्र हैं!”

तो आखिर सितारा के मित्र करन और उसके मित्रो पर ऐसे हंस क्यों रहे थे , जानेंगे हम अगले एपिसोड में।

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