Homeतिलिस्मी कहानियाँ46 – जादुई बाज़ का हमला | Jadui Baaz ka Hamla | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

46 – जादुई बाज़ का हमला | Jadui Baaz ka Hamla | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि रानी चमगादड़ की बहन आमला को एक श्राप मिला था। जिस से रानी और उस की बहन बहुत ज्यादा दुखी थी.. लेकिन सुनहरी चिड़िया और करण के मित्रों की सूझबूझ से इस परेशानी का भी हल ढूंढ लिया जाता है। और मुश्किल से आमला का श्राप टूट जाता है और सभी खुश हो जाते हैं।

चमगादड़ रानी- “करन, आप सब ने तो चमत्कार ही कर दिया, सच मे, हम आप का यह अहसान कैसे चुकाएंगे!”

आमला- “हां यह बात तो है.. जो कोई ना कर सका वह कम आप ने कर के दिखाया ,बहुत-बहुत शुक्रिया!”

करन- “कोई बात नहीं रानी, अहसान जैसा कुछ भी नही है, यह तो हमारा फर्ज था!”

कर्मजीत- “अच्छा रानी साहिबा, अब हम सभी को यहां से जाने की जरूरत है.. हमें गांव वालों के पास जाना होगा!”

रानी चमगादड़- “हाँ, अवश्य! एक बार फिर से धन्यवाद”

और इस के बाद, करण और बाकी मित्र वहां से चले जाते हैं।

गांव पहुंचने पर उन्हें वहां लव और कुश दिखाई देते हैं जो कि गांव वालों की पहरेदारी कर रहे थे।

बुलबुल- “ओह बेचारे छोटे पहरेदार!”

शुगर- “हा हा हा!”

लव कुश (गुस्से से)- “हंसना बन्द करो तुम दोनों!

टॉबी- “लगता है ये नाराज हैं हम से!”

लव- “और क्या तो, बिल्कुल हैं!”

कुश- “तुम हमे जो ले कर नहीं गए!”

कर्ण- “अरे फिर गांव वालों की रक्षा कौन करता!”

चिड़िया- “तुम दोनों इतने बहादुर हो, इतने समझदार हो, इसलिए तुम्हे यहाँ रखा!

करमजीत- “हां हमें तो बाकी सब मे कोई इतना बहादुर और समझदार नही लगा!

लव कुश (खुशी से)- “क्या सच मे??!”

करमजीत- “बिल्कुल!!

लव- “फिर ठीक है, फिर तो हम ही सब की रक्षा करेंगे आगे से

कुश- “हॉं बिल्कुल!”

तो सब लोग हंसने लगे जाते हैं।

सरदार तजिंदर- “अच्छा बच्चो, हुन हम दोनों को भी साढ़े गांव लौटना है जी, रात होन तों पहलां!”

बुलबुल- “अच्छा, लेकिन आप दोनों की बहुत याद आएगी,

चिड़िया- “हां सच मे, आप को रोक भी नही सकते, अब क्या करें ,आप दोनों का जाना भी जरूरी है!”

सुनीता- “हाँ, जी, जरूरी तां हैगा कद्दू काट के..!”

उन के जाने की बात से सब उदास हो जाते हैं। बुलबुल और शुगर रोने लग जाती है।

तजिंदर- “अरे ना ना बच्चों, एँवे नई करदे!”

सुनीता (उन को गले लगा कर)- “अरे रो ना जी तुस्सी, कद्दू काट के.. फिर मिलने आ जाएंगे जी सभी से !”

सरदार- “हाँ,वाहे गुरु, तुसां सारेया दा भला करें और जल्द ही तुसी सफल हो जाओ!”

वधिराज- “हां आप की दुआ से सब अच्छा ही होगा”

इस के बाद दोनों पति-पत्नी वहां से चले जाते हैं।

थोड़ी देर बाद शाम हो जाती है…वहीं गांव के सभी लोग खुश थे कि उन के ऊपर से बला टल गई है।

बुलबुल- “चलो बला टली, आज तो चैन की नींद सोएंगे!”

टॉबी- “हां पर पहले कुछ खा तो लेँ, बड़ी भूख लगी है!”

कर्ण- “हां चलो सब खाते हैं! जल्दी खा के सो जाओ, सुबह जल्दी उठना होगा

करमजीत- “हां हमे सुबह यहां से वापिस भी निकलना है!”

चिड़िया- “हॉं करमजीत, अब यहां काफी दिन हो गए हैं!”

इस के बाद सभी लोग अपना खाना पीना कर के सो जाते हैं।

तो सुबह होती है और सब बच्चे जाने की तैयारी करने लगते हैं । सभी बच्चों के माता-पिता काफी दुखी थे परंतु क्या वे भी क्या कर सकते थे.. क्यूंकि उन के बच्चे तो एक नेक कार्य के लिए आगे बढ़ चुके थे।

सभी बच्चों के माता-पिता अपने बच्चों को अलविदा करने के लिए घर से बाहर निकलते हैं।

कर्मजीत- “आप चिंता मत करो मां, हम जल्द ही अपने कार्य को पूरा कर के वापस लौटेंगे!”

कर्ण- “हां मां आप भी दुखी मत हो!”

करमजीत और कर्ण की माँ- “हाँ बेटा, जरूर, विजयी भव:!”

कर्ण- “ठीक है मां, अपना ध्यान रखना!”

इस के बाद सभी बच्चे अपने मार्ग पर आगे बढ़ते हैं।
चलते-चलते उन्हें कुछ वक्त बीत जाता है। और तभी उन्हें कुछ लोगों के भागने की आवाज आती है।

टॉबी- “श~~~श~~~~~~ ठहरो!!”

शुगर- “क्या हुआ टॉबी!”

कर्ण- “हां सब रुक जाओ, हिलो मत!”

टॉबी- “हां कुछ लोग हमारी तरफ ही बढ़ रहे हैं करण!”

शुगर- “हे प्रभु!…अब कौन आ रहा है?”

टॉबी- “तुम चिंता मत करो शुगर, जो भी होगा हम सब देख लेंगे!”

तभी उन के पास गांव के चार लोग आ जाते हैं।

वधिराज- “अरे क्या हुआ?, आप लोग यहां पर क्या कर रहे हैं? सब ठीक तो है ना?”

गाँव का आदमी 1- “नहीं, कुछ भी ठीक नहीं है… आप के जाते ही वहां पर फिर से हमला हो गया है!

आदमी 2- “सब डर गए हैं और हर तरफ अपना तफरी मची हुई है!”

आदमी 3- “हाँ करन, हमारे साथ चलो और हमारी रक्षा करो, जल्दी!”

आदमी 4- “हाँ करन जल्दी चलो, नहीं तो अनर्थ हो जाएगा!”

और उस के बाद वो चारों आदमी बहुत रोते हैं…यह सब कुछ इतनी जल्दी हो जाता है कि इन लोगों को समझ नहीं आता कि अब क्या किया जाए।

करण- “आप सब चिंता मत करिए..चलिए हम साथ चलते हैं!”

करमजीत- “हां चलो सब!”

और सभी लोग दौड़ कर गांव की तरफ भागने लगते हैं।

भागा दौड़ी में करण और उस के बाकी दोस्त आगे निकल जाते हैं लेकिन गांव के वह चार आदमी पीछे ही रह जाते हैं।

कुश- “अरे , पीछे कोई नही है, लगता है वो लोग तो पीछे रह गए!”

लव- “हाँ, पर वो सब आये क्यों नही?”

बुलबुल- “वो देखो ऊपर, ये कैसे पक्षी है!”

आसमान से चार चील उड़ते हुए उन की तरफ आते हैं और उन के चारों तरफ आ कर खड़े हो जाते हैं।

लव- “ये चील है या इंसान!”

कुश- “ये दोनों ही है!”

बुलबुल- “चुप रहो! वो देखो, वो कर्ण की तरफ आ रहा है!”

तो उन में से एक चील कर्ण के पास आता है, जो चीलों का सरदार होता है।

चील का सरदार- “तुम सब को मै जिंदा नहीं छोडूंगा, तुम सब ने मिल कर मेरी बहन चील रानी पर हमला किया था और मैं उसी का बदला लेने आया हूं!”

वधिराज- “लेकिन किस बात का बदला, हम सब ने कुछ भी गलत नहीं किया!”

चील- “मुझे कुछ नहीं सुनना , मुझे बस तुम लोगों का वध करना है!”

और इस के बाद वह सारे चील मिल कर उन पर हमला कर देते हैं।

करमजीत- “साथियों हमला हो रहा है, सावधान!”

करण- “हमला~~~!!!

तो दोनों समूह के बीच में घमासान लड़ाई होने लग जाती है।

तभी बुलबुल लड़ाई के बीच मे एक चील को छू कर उसे पत्थर बनाने का प्रयास करती है। लेकिन वह चील ऊंचा उड़ जाता है

चील- “हा हा हा! तू क्या सोचती है मुझे पता नहीं तेरे बारे में, तू कुछ भी कर ले, मुझे हरा नहीं पाएगी!”

तो बुलबुल अपनी तलवार से उस पर हमला करती है लेकिन वह चील बार-बार बच जाता है और वह चील भी बुलबुल पर आक्रमण करता है।

इसी बीच इन चील में से उन का सरदार अपना मुंह खोलता है और उस के मुंह से आग निकलने लग जाती है।

लव- “आ~~~~ग~~~..!!”

शुगर- “सब लोग बच कर रहो आग से!”

और तभी करन अपनी जादुई अंगूठी का इस्तेमाल करता है और एक कवच बना लेता है लेकिन उस चील की आग इतनी तेज होती है कि करण ज्यादा देर नहीं ठहर पा रहा था

तभी वधिराज कवच में से बाहर आ जाता है।

वधिराज- “रुको मै अभी इस को सबक सिखाता हूँ!”

चिड़िया- “नहीईईईई,वधिराज,!”

लेकिन चील राजा वधिराज पर आग से हमला करता है। और वधिराज बचते हुए उस की तरफ जाने लगता है

करन- “वधिराज, संभल कर….!”

कुश- “कितना साहसी है वधिराज!”

इसी दौरान वधिराज का हाथ हल्का सा जल जाता है।

बुलबुल- “हे भगवान आप ठीक तो है ना!”

वधिराज- “हां बुलबुल मैं ठीक हूं… तुम सब अपना ध्यान रखो, मुझे कुछ नही होगा!”

और तभी फिर से सब मे घमासान शुरू हो जाता है।

तभी सभी साथी चील सेना से बचने का प्रयास कर रहे थे।

तभी बुलबुल लव के पास जा कर उस के कान में कुछ कहती है

फिर भी लड़ाई जारी रहती है।
कुछ ही देर बाद बुलबुल और लव मरने का नाटक करने लगते हैं।

करन- “नहिईई, ऐसा नहीं हो सकता है, तुम दोनों हमें छोड़ कर नहीं जा सकते!”

सुनहरी चिड़िया- “तुम दोनों ने हमारे लिए अपना त्याग कर दिया, हे प्रभु!! यह क्या हो गया!”

कुश (रोते हुए)- “मेरे भाई उठ जा, तू ही बता.. माता-पिता को मैं क्या जवाब दूंगा..तुझे उठना ही होगा लव!”

करमजीत- “दुष्ट चील, ये क्या कर दिया!!”

तभी चीलों का सरदार घमंड में आ जाता है और जोर जोर से हंसने लग जाता है।

सरदार चील- “हा हा हा देखा ना क्या हुआ इन सब का हाल????, जो हाल तूने मेरी बहन का किया था.. वही हाल देख हम ने तेरे दोस्तों का कर दिया, अब तू भी मरने के लिए तैयार हो जा करन!”

कर्मजीत- “मार दो, हमें भी मार दो, अब तो हम भी आप के सामने अपना सिर झुकाते हैं…आप से बड़ा कोई नहीं है महाराज!”

चील सैनिक 1- “देखा महाराज आप की शक्ति के सामने इन लोगों को आखिर झुकना ही पड़ा! हा हा हा”

सैनिक 2- “हम ने तो पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी कि महाराज इन सब का खात्मा कर ही देंगे!”

सैनिक 3- “हा हा हा हा हा…. उत्तम… अति उत्तम!”

और तभी करन और बाकी मित्र सरदार चील के सामने अपना सिर झुका लेते हैं और वहीं वो अपने घमंड में चूर हो कर हंसता जा रह था

और तभी बुलबुल मौका पा कर उठ जाती है और चुपके से वहां से चली जाती है और अच्छा मौका पाते ही वो चील सरदार के पैर को छू लेती है।

चील सरदार- “अरे….आ~~~नही, ये क्या क……????”

और वो अपने शब्द पूरे करने से पहले ही एक पत्थर में परिवर्तित हो जाता है।

सैनिक 1- “तुझे हम जिंदा नहीं छोड़ेंगे!”

सैनिक 2- “हमला~~~~!!

और वो तीनों फिर से करण और उस के दोस्तों पर हमला कर देते हैं। युद्ध फिर से शुरू हो जाता है।

कर्मजीत- “चील सेना भी काफ़ी ताकतवर है, जरा संभल कर दोस्तों!”

करन- “हाँ भाई, ध्यान से!”

कर्ण और उस के साथी लगातार उन के वार से बचते रहते हैं।

थोड़ी देर बाद दो और सैनिक मर जाते है।

और चौथा कहीं जा कर छुप जाता है.. करण और उस के मित्र उसे यहां-वहां ढूंढते हुए दूसरी जगह चले जाते हैं।

वधिराज- “कहीं ये उस की चाल ना हो!”

सुनहरी चिड़िया- “टॉबी कहाँ है?”

शुगर- “हे भगवान, कहाँ है टॉबी??”

और सभी लोग वापस उसी पुरानी जगह पर जाते हैं तो देखते है कि टॉबी की जीभ बाहर है और उसे एक तीर लगा हुआ है। वह दर्द में तड़प रहा है

शुगर (रोते हुए)- “नहीईई…. टॉबी… उठो!”

करन- “हे भगवान!! टॉबी!”

चिड़िया- “करण, ये तीर मुझे जादुई लग रहा है, हो सकता है कि उसे इस का कोई उपाय पता हो!”

करण- “तो इस वक्त हमे उसी को ढूंढना होगा! वही कुछ कर सकता है”

वधिराज- “हाँ करण, जल्दी करो, शुगर तुम परेशान मत हो ,टॉबी ठीक हो जाएगा!”

अगले एपिसोड में हम देखेंगे कि क्या करण और उस के साथी टॉबी की जान बचा पाएंगे!!

देखते रहिए अगला एपिसोड

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